राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित उत्तराखण्ड की पहली सुप्रसिद्ध लोक गायिका कबूतरी देवी को पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि।
(अरुणाभ रतूड़ी जनश्वर) उत्तराखण्ड की लोक संगीत परंपरा को अपनी अनूठी आवाज़ से नई पहचान देने वाली, और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित उत्तराखण्ड की पहली सुप्रसिद्ध लोक गायिका कबूतरी देवी को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि।
कबूतरी देवी सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, बल्कि वह उत्तराखण्ड के पहाड़ों की आत्मा, वहाँ के जन-जीवन, सुख-दुख और संस्कृति की मुखर प्रतिनिधि थीं। उनकी आवाज़ में पहाड़ की सादगी थी, लोकगीतों की मिठास थी, और एक गहरा जुड़ाव था अपनी माटी से। उन्होंने अपनी गायकी के माध्यम से उत्तराखण्ड के लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया, जिससे हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक नई पहचान मिली।
उनके गीत, जिनमें ऋतु गीत, न्योली, जागर और विभिन्न लोक कथाएँ शामिल थीं, आज भी हर उत्तराखण्डवासी के मन में रचे-बसे हैं। उन्होंने अपनी सुमधुर वाणी से न केवल लोक कला को जीवंत रखा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनीं। उन्हें मिला राष्ट्रपति पुरस्कार उनके अथक प्रयासों, बेजोड़ प्रतिभा और लोक कला के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण था।
आज उनकी पुण्यतिथि पर, हम उन्हें नमन करते हैं और उनके अतुलनीय योगदान को याद करते हैं। कबूतरी देवी जी भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी आवाज़, उनके गीत और उनकी विरासत सदैव उत्तराखण्ड के पहाड़ों में गूँजती रहेगी और हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखेगी।
उनकी आत्मा को शांति मिले!