सरदार पटेल: भारत के शिल्पकार को राष्ट्र का नमन, रियासतों के विलय की कहानी। WWW.JANSWAR.COM

सरदार पटेल: भारत के शिल्पकार को राष्ट्र का नमन, रियासतों के विलय की कहानी।

(अरुणाभ रतूड़ी):- भारत के इतिहास में ‘लौह पुरुष’ के नाम से अमिट छाप छोड़ने वाले, महान स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को आज उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर पूरा देश श्रद्धापूर्वक नमन कर रहा है। 15 दिसंबर 1950 को उनका निधन हुआ था, लेकिन एक सशक्त और अखंड भारत के निर्माण में उनकी भूमिका आज भी प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
एकीकरण का असाध्य कार्य, आज़ादी के बाद, देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी 562 से अधिक देसी रियासतों का भारतीय संघ में विलय। तत्कालीन रियासतें अलग-अलग कानून और प्रशासन के तहत कार्य कर रही थीं। यदि यह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न नहीं होता, तो भारत कई टुकड़ों में बिखर जाता।

सरदार पटेल ने अत्यंत रणनीतिक कुशलता, दृढ़ता और राजनीतिक सूझबूझ के साथ इस चुनौती का सामना किया। उन्हें इस ऐतिहासिक कार्य के लिए ‘भारत का बिस्मार्क’ भी कहा जाता है।

“एकजुटता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।” – सरदार वल्लभभाई पटेल

प्रमुख रियासतों का विलय:- रियासत प्रमुख चुनौती पटेल की रणनीति
हैदराबाद निज़ाम की स्वतंत्रता की इच्छा ‘ऑपरेशन पोलो’ (सैन्य कार्रवाई)
जूनागढ़ नवाब का पाकिस्तान में जाने का निर्णय जनमत संग्रह और कूटनीति
जम्मू-कश्मीर महाराजा हरि सिंह का सशर्त विलय कानूनी विलय और रक्षा सहायता

‘सरदार’ की उपाधि और स्वतंत्रता संग्राम:- वल्लभभाई पटेल का स्वतंत्रता आंदोलन में प्रवेश महात्मा गांधी के साथ जुड़ने के बाद हुआ। गुजरात के किसानों के लिए उनका संघर्ष अतुलनीय रहा।

बारडोली सत्याग्रह (1928): ब्रिटिश हुकूमत द्वारा बढ़ाए गए भारी लगान के विरोध में उन्होंने इस सफल किसान आंदोलन का नेतृत्व किया। यहीं की महिलाओं ने उन्हें प्यार और सम्मान से ‘सरदार’ की उपाधि दी।

वह सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा के प्रतीक थे।

आधुनिक प्रशासनिक ढांचे के जनक:- सरदार पटेल ने न सिर्फ रियासतों को जोड़ा, बल्कि देश के प्रशासनिक ढांचे को भी मज़बूती दी। उन्हें अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) – भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के ‘संरक्षक संत’ के रूप में जाना जाता है। उनका मानना था कि इन सेवाओं के माध्यम से ही केंद्र और राज्यों के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित किया जा सकता है।

पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि:-आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर, देश के शीर्ष नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और देश के प्रति उनके बलिदान को याद किया। गुजरात में उनकी विशालकाय प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ राष्ट्र की एकता का प्रतीक बनकर खड़ी है, जो उनकी विरासत को जीवंत रखती है।