पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने में एआई बनेगा कारगर माध्यम- राज्यपाल।
लोक भवन देहरादून:-लोक भवन में मंगलवार को “स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई का प्रभावी उपयोग” विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय द्वारा किया गया जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत मौजूद रहे।
कार्यक्रम में सीआरएमआईटी, बेंगलुरु के मुख्य परिचालन अधिकारी श्री सी. वी. वेंकट सुब्रह्मण्यम ने चिकित्सा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए एआई आधारित एप्लिकेशन “धनवंतरी” के प्रभावी उपयोग की जानकारी दी। वहीं एम्स ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने एआई की सहायता से निदान एवं उपचार की आधुनिक विधियों तथा यूरोलॉजिकल कैंसर से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी में एआई और तकनीक को समझना और अपनाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग एआई का युग है और वही समाज व राष्ट्र आगे बढ़ेंगे जो तकनीक के महत्व को समझकर उसका प्रभावी उपयोग करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि भारत ने एआई को तेजी से आत्मसात किया है और आज शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, नियोजन सहित लगभग सभी क्षेत्रों में इसका व्यापक प्रभाव दिखाई दे रहा है। चिकित्सा क्षेत्र में एआई की बढ़ती भूमिका स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सशक्त बना रही है। उन्होंने कहा कि एआई को चिकित्सकों के सहयोगी के रूप में अपनाकर उन्हें और अधिक सक्षम बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि एआई केवल एक तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ, प्रभावी एवं भरोसेमंद बनाने का सशक्त माध्यम है। एआई आधारित तकनीकों के माध्यम से सटीक निदान, रोगों की शीघ्र पहचान, व्यक्तिगत चिकित्सा (पर्सनलाइज्ड मेडिसिन) तथा दवा अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति संभव हुई है, जो चिकित्सा को “वन साइज फिट्स ऑल” से आगे बढ़ाकर “वन पेशेंट-वन सॉल्यूशन” की दिशा में ले जा रहा है।
राज्यपाल ने उत्तराखण्ड के संदर्भ में एआई के महत्व पर विशेष रूप से बल देते हुए कहा कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए पहाड़ी एवं दूरस्थ क्षेत्रों में अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने में एआई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जिससे सभी को जुड़ना आवश्यक है। हमें अपनी सोच में बदलाव लाकर बिना किसी संकोच के एआई और आधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर उपस्थित स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय योजनाओं की जानकारी दी और कहा कि इस सेमिनार के माध्यम से जो भी विशेषज्ञों के सुझाव आएंगे उन्हें लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन 25 वर्ष में राज्य ने चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने कार्यक्रम के उद्देश्य और सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में अपर सचिव श्रीमती रीना जोशी, डीन डॉ. गीता जैन, कुलसचिव डॉ. आशीष उनियाल सहित अनेक गणमान्य लोग और विभिन्न कॉलेजों के बच्चे उपस्थित रहे।
