लघु सिंचाई व जलस्रोत संगणना को लेकर जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला’संगणना से जल संसाधनों की वास्तविक स्थिति आएगी सामने: प्रभारी जिलाधिकारी’सातवीं लघु सिंचाई, द्वितीय जलनिकाय व प्रथम स्प्रिंग संगणना पर दिया गया विस्तृत प्रशिक्षण।
पौड़ी:- जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट सभागार में प्रभारी जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत की अध्यक्षता में लघु सिंचाई विभाग द्वारा आयोजित सातवीं लघु सिंचाई, द्वितीय जल निकाय, प्रथम वृहद एवं मध्यम सिंचाई तथा प्रथम स्प्रिंग संगणना के संबंध में एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बताया गया कि संगणना का उद्देश्य जिले में उपलब्ध लघु, माध्यम एवं वृहद सिंचाई संरचनाओं, विभिन्न जल निकायों तथा प्राकृतिक जलस्रोतों (स्प्रिंग्स) का सटीक, अद्यतन एवं विश्वसनीय डाटा तैयार किया जाना है।
प्रभारी जिलाधिकारी ने कहा कि संगणना कार्य शासन की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे जिले में उपलब्ध जल संसाधनों की वास्तविक स्थिति सामने आती है। उन्होंने कहा कि इससे जल संरक्षण, सिंचाई सुविधाओं के विस्तार तथा कृषि विकास से जुड़ी योजनाओं का सशक्तिकरण होगा। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सर्वेक्षण कार्य विभागीय समन्वय के साथ समयबद्ध, पारदर्शी एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया जाय। उन्होंने कहा कि स्प्रिंग संगणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सूखते जलस्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सातवीं लघु सिंचाई संगणना, कृषि क्षेत्र में जल उपयोग, सिंचाई क्षमता, जल उपलब्धता एवं भविष्य के संसाधन प्रबंधन का सटीक आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर कार्यरत सभी कर्मी निर्धारित प्रपत्रों में भौतिक सत्यापन के आधार पर पूर्णतः सही एवं अद्यतन आंकड़े संकलित करें, क्योंकि आंकड़ों की शुद्धता ही भविष्य की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की आधारशिला है। उन्होंने वन क्षेत्र में वन्यजीवों के खतरे को देखते हुए संगणना के लिए वन विभाग को संबंधित विभागों के साथ समन्वय के निर्देश दिए।
कार्यशाला के दौरान मास्टर ट्रेनर एवं अपर सहायक अभियंता लघु सिंचाई संगणना देहरादून राहुल कुमार शर्मा ने डेटा संकलन की पद्धति, जल निकायों के वर्गीकरण, जल स्रोतों की पहचान सहित फील्ड सर्वे की गुणवत्ता बनाए रखने से जुड़े तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्होंने भौगोलिक स्थिति अंकित करने तथा ऑनलाइन पोर्टल एवं मोबाइल ऐप के माध्यम से डाटा प्रविष्टि की भी जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि देव ऋषि एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा संगणना का फील्ड कार्य संपादित किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने सातवीं लघु सिंचाई संगणना और जल निकायों की गणना के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले लघु सिंचाई संगणना ऐप की जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, ताकि भूजल और सतही जल स्रोतों के साथ-साथ सभी जल निकायों से संबंधित डेटा को डिजिटल रूप से एकत्र किया जा सके।
इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, अधीक्षण अभियंता लघु सिंचाई संजय भास्कर, अधीक्षण अभियंता जल संस्थान प्रवीण सैनी, अधिशासी अभियंता जल निगम नवनीत कटारिया, अधिशासी अभियंता जल संस्थान कोटद्वार अभिषेक वर्मा, अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई मुकेश दत्त, अधिशासी अभियंता सिंचाई श्रीनगर संजय शर्मा, एसडीओ वन आयशा बिष्ट, सहायक अभियंता लघु सिंचाई अनिल कुमार, कनिष्ठ अभियंता लघु सिंचाई भूपेंद्र सिंह रावत सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
