अमर शहीदों के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि। WWW.JANSWAR.COM

विशेष श्रद्धांजलि: राष्ट्रभक्ति की अमर त्रिवेणी,काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायकों को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन।

(अरुणाभ रतूड़ी):- विशेष संवाददाता भारत की स्वाधीनता के इतिहास में 19 दिसंबर का दिन स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। आज ही के दिन मातृभूमि की बेड़ियाँ काटने के लिए हँसते-हँसते फांसी के फंदे को चूमने वाले तीन अमर सपूतों— पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह का बलिदान दिवस है।

काकोरी ट्रेन एक्शन (9 अगस्त 1925) के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला देने वाले इन क्रांतिकारियों ने न केवल आज़ादी की मशाल जलाई, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और अटूट मित्रता की ऐसी मिसाल पेश की, जो आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
साझा शहादत, साझा संकल्प:- जहाँ पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ अपनी ओजस्वी कविताओं और संगठन क्षमता के लिए जाने गए, वहीं अशफाक उल्ला खां ने अपनी अटूट निष्ठा से सिद्ध किया कि वतन की मोहब्बत से ऊपर कुछ भी नहीं। दूसरी ओर, ठाकुर रोशन सिंह के अडिग साहस ने ब्रिटिश साम्राज्य को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारतीय युवा अब झुकने वाला नहीं है।

“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है।” ये पंक्तियाँ आज भी प्रत्येक देशवासी की रगों में राष्ट्रवाद का संचार करती हैं।

विरासत जो संकल्प दिलाती है:- इन महान क्रांतिकारियों का सर्वस्व अर्पण हमें याद दिलाता है कि आज़ादी की यह जोत कितनी बड़ी कीमत पर सुरक्षित रखी गई है। आज का दिन केवल उन्हें याद करने का नहीं, बल्कि उनके द्वारा दिखाए गए ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ के मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का दिन है।

हम सब की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि: “मातृभूमि के मान-सम्मान अर आज़ादी री जोत जळां राखण खातिर आप सबन आपूण सर्वस्व न्योछावर करी द्यौ। आपड़ो बलिदान अर विरासत हम सबन कैं सदैव राष्ट्रहित कैं सर्वोपरि राखण क संकल्प द्यांदी रहैं।”