शिक्षाविद् और समाज सुधारक मालवीय जी को पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नमन।WWW.JANSWAR.COM

BHU संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।

(अरुणाभ रतूड़ी):- महामना पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अमर विभूति हैं। वह केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि शिक्षाविद्, समाज सुधारक, पत्रकार और भारत रत्न से सम्मानित आदर्श व्यक्तित्व भी रहे हैं। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा से नमन करते हुए उनके अतुलनीय योगदान को याद करना हर भारतीय का कर्तव्य है।

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा:- पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में एक विद्वान परिवार में हुआ था। प्रारंभ से ही उन्होंने संस्कृति, संस्कार और शिक्षा को जीवन का आधार बनाया। कड़ी मेहनत व साधना से उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:- स्वतंत्रता की इच्छा से प्रेरित होकर मालवीय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच से जुड़े। वे 1886 में कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन से लेकर जीवन के अंतिम क्षण तक स्वराज्य के संघर्ष में समर्पित रहे। वे नरम और गरम दलों के बीच सेतु बने, गांधी युग के कांग्रेस में हिंदू-मुस्लिम एकता व राष्ट्रीय एकता के लिए निरंतर कार्य करते रहे। वे चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे[5][9].

शिक्षा एवं समाज सुधार:- मालवीय जी की सबसे ऐतिहासिक उपलब्धि है – बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना। उनकी परिकल्पना थी कि भारत को ऐसे शिक्षित युवा मिलें जो देश का गौरव बढ़ा सकें। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा। उन्होंने ‘गंगा महासभा’ की स्थापना, देवनागरी लिपि को कोर्ट की भाषा बनवाना, अस्पृश्यता निवारण, हिंदू-मुस्लिम सामाजिक सद्भाव के पक्षधर के रूप में भी महत्वपूर्ण कार्य किए।

पत्रकारिता और साहित्य में योगदान:- पंडित मालवीय जी ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई, बल्कि पत्रकारिता जगत में भी उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने कई पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों का संपादन किया और निर्भीक पत्रकारिता को बढ़ावा दिया। अंग्रेजों द्वारा किए गए दमन के खिलाफ बुलंद आवाज़ उठाने वालों में उनका नाम अग्रणी था।

सम्मान और विरासत:- भारत सरकार ने महामना मालवीय जी के अतुलनीय योगदान को देखकर उन्हें 2014 में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया। उनका पूरा जीवन कर्म, त्याग, सत्य और समाज सेवा के लिए समर्पित रहा। आज भी उनके विचार और आदर्श हमें प्रेरणा देते हैं और देश की दिशा तय करते हैं।

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की पुण्यतिथि पर, उनके प्रति शत-शत नमन। शिक्षा, स्वतंत्रता और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को यह राष्ट्र कभी नहीं भुला सकता। उनका जीवन हर भारतीय के लिए पथप्रदर्शक है।