नवरात्रि का दूसरा दिन: देवी ब्रह्मचारिणी की महिमा।
(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर):- नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
देवी ब्रह्मचारिणी अपने पूर्व जन्म में हिमालय की पुत्री थीं। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यंत कठिन परिस्थितियों में तप किया। उनकी इस असाधारण तपस्या के कारण ही उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
उनका यह रूप हमें बताता है कि जीवन में किसी भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम, संयम और दृढ़ संकल्प आवश्यक है। वे आध्यात्मिक भक्ति, त्याग और तपस्या का प्रतीक हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति में धैर्य, सहनशीलता और एकाग्रता बढ़ती है। यह हमें जीवन की बाधाओं को पार करने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा देती है।