मुनिकीरेती में बेसहारा गायों का दर्द: सड़कों पर प्रसव की विवशता।
(अरुणाभ रतूड़ी जनश्वर):- मुनिकीरेती जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थल पर निराश्रित गायों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या का रूप ले रही है। दुर्भाग्यवश, इन बेजुबान पशुओं के लिए कोई सुरक्षित आश्रय न होने के कारण, उन्हें सड़कों और गलियों में दयनीयपरिस्थितियों में जीवन-यापन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सबसे हृदयविदारक दृश्य तब सामने आता है जब ये गायें अपने बछड़ों को जन्म देने के लिए भी सड़कों पर विवश होती हैं।
यह सिर्फ पशु क्रूरता का मामला नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और स्वच्छता का भी विषय है। सड़कों पर घूमती गाएं यातायात में बाधा डालती हैं और दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकती हैं। खुले में शौच और कचरा फैलाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, खासकर जब उनके नवजात बछड़े भी उसी माहौल में पलते हैं।
स्थानीय प्रशासन और समाज का यह कर्तव्य है कि वे इन बेसहारा गायों के लिए स्थायी समाधान खोजें। गौशालाओं का निर्माण या मौजूदा गौशालाओं की क्षमता बढ़ाना एक तात्कालिक आवश्यकता है। इसके साथ ही, पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम भी चलाए जाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।
यह समस्या सिर्फ मुनिकीरेती की नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों की है जहां धार्मिक भावनाओं के कारण गायों को पाला तो जाता है, लेकिन उनके बूढ़े या अनुत्पादक होने पर उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। इस पर गंभीरता से विचार करने और ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि इन निरीह पशुओं को सम्मानजनक जीवन मिल सके और वे सड़कों पर कष्टमय प्रसव के लिए मजबूर न हों।