*घी संक्रांति*??जय देव भूमि जी ??
लेख- ओम रतूड़ी
आज घी संक्रांति या घिया संक्रांद या घी त्यार है। गढ़वाल में इसे आम भाषा में घिया संक्रांद और कुमांऊ में घी—त्यार कहते हैं।
उत्तराखंड में लगभग हर जगह आज के दिन घी खाना जरूरी माना जाता है। इसके पीछे एक डर भी छिपा हुआ है और वह है अगले जन्म में गंडेल यानि घोंघा बनने का।
पहाड़ों में यह बात प्रचलित है जो घी संक्रांति के दिन घी का सेवन नहीं करता वह अगले जन्म में गंडेल (घोंघा) बनता है।
शायद यही वजह है कि नवजात बच्चों के सिर और पांव के तलुवों में भी घी लगाया जाता है। यहां तक उसकी जीभ में थोड़ा सा घी रखा जाता है। उत्तराखंड में यूं तो प्रत्येक महीने की संक्रांति को कोई त्योहार मनाया जाता है। इनमें भाद्रपद यानि भादौ महीने की संक्रांति भी शामिल है।
इस दिन सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है और इसलिए इसे सिंह संक्रांति भी कहते हैं। इस वर्ष आज यानि 17 अगस्त 2019 को सूर्य सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है।
उत्तराखंड में भाद्रपद संक्रांति को ही घी संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां हर परिवार जरूर घी का सेवन करता है।
घी संक्रांति के अलावा कुछ क्षेत्रों विशेषकर कुमांऊ में ओलगी या ओलगिया का त्योहार भी मनाया जाता है जिसमें शिल्पकार अपनी बनायी चीजों को गांव के लोगों को देते हैं और इसके बदले उन्हें धन, अनाज मिलता है।
यह प्रथा चंद्रवंशीय राजाओं के समय से पड़ी। तब राजाओं को कारीगर अपनी चीजों को भेंट में देते थे और इसके बदले उन्हें पुरस्कार मिलता था। जो दस्तकार या शिल्पकार नहीं होते थे वे साग सब्जी, फल, मिष्ठान, दूध, दही, घी राजदरबार में ले जाते थे।
घी संक्रांति प्रकृति और पशुधन से जुड़ा त्यौहार है। बरसात में प्रकृति अपने यौवनावस्था में होती है और ऐसे में पशु भी आनंदित हो जाते हैं।
उन्हें इस दौरान खूब हरी घास और चारा मिलता है। कहने का मतलब है कि आपका पशुधन उत्तम है। आपके पास दुधारू गाय भैंस हैं तभी आप घी का सेवन कर सकते हैं।
घोंघा बनने का मतलब यह है कि अगर आप मेहनती नहीं हैं, आलसी हैं तो फिर आपकी फसल अच्छी नहीं होगी और आपका पशुधन उत्तम नहीं होगा। आप आलसी हैं और इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर पाते।
यहां पर घोंघा आलस्य का प्रतीक है। जिसकी गति बेहद धीमी होती है और इस कारण बरसात में अक्सर रास्ते में पांवों के नीचे कुचला जाता है।
घी संक्रांति के दिन कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं जिनमें दाल की भरवां रोटियां, खीर और गुंडला या गाबा (पिंडालू या पिनालू के पत्तों से बना) प्रमुख हैं।
यह भी कहा जाता है कि इस दिन दाल की भरवां रोटियों के साथ घी का सेवन किया जाता है।
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बिल्डिंग मैटेरियल व डम्पर परिवहन महासंघ ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से भेंट कर उनकी कार्यशैली की प्रशंसा की।
प्रस्तुति-उमाशंकर कुकरेती
दिनांक 17/08/19 को बिल्डिंग मैटिरियल परिवहन महासंघ ऋषिकेश के पदाधिकारियों द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से पुलिस कार्यालय देहरादून में शिष्टाचार भेट की। भेट के दौरान महासंघ के पदाधिकारियों द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आदेशानुसार जनपद में अवैध खनन व ओवरलोड वाहनों के विरुद्ध की जा रही कार्यवाही की प्रंशसा करते हुये उनका आभार प्रकट किया गया । साथ ही उक्त कार्यवाही में अपना पूर्ण सहयोग देने की बात कही गयी। इस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा उपस्थित लोगों को बताया कि पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही का उदेश्य किसी को परेशान करना नही है अपितु अवैध खनन व सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है। उनके द्वारा महासंघ के पदाधिकारीयों को बताया गया कि यदि उन्हें जनपद के किसी भी थाना क्षेत्र में अवैध खनन या ओवरलोडिंग की शिकायत प्राप्त होती है, तो तत्काल इस की सूचना सम्बन्धित थेन व पुलिस द्वारा जारी किये गये सहायता नबंरों पर उपलब्ध कराये, पुलिस द्वारा तत्काल उस पर कार्यवाही की जायेगी, यदि किसी थाना प्रभारी द्वारा इस संबंध में किसी भी प्रकार की लापरवाही की जाती है तो उसकी जवाबदेही तय करते हुये उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी। एसएसपी द्वारा सभी व्यक्तियों को आश्वस्त किया कि पुलिस द्वारा अपनी कार्यशैली में पूर्ण पारदर्शिता बरती जायेगी तथा किसी के भी विरुद्ध, उसे परेशान करने की नियत से कार्यवाही नहीं की जायेगी, जिसका सभी उपस्थित लोगों द्वारा स्वागत किया गया। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा सभी पदाधिकारीयों से अपेक्षा कि वह अपने चालकों/परिचालकों को वाहन चलाते समय नशीले पदार्थो का इस्तेमाल न करने तथा रात्रि के समय वाहनों की लोडिंग अनलोडिंग हेतु अधिक से अधिक चक्कर लगाने के प्रयास में वाहन को तेजी से न चलाने सम्बन्धित हिदायत दें। साथ ही सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया कि ओवरलोडिंग के सम्बन्ध में सभी मालवाहक वाहनों के विरुद्ध कार्यवाही की जाये,केवल डम्परों तक सीमित न रहा जाये । साथ ही नो एन्ट्री के समय अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़ कर अन्य सभी माल वाहक वाहनों पर लागू किया जाये।