सीएम हेल्प लाईन भी मदद न कर सका।कांग्रेसी जिपंस सदस्य ने निवेदन करते ही साफ करवा दी सड़क।पढिए Janswar.Com में

सीएम हेल्प लाईन भी मदद न कर सका।कांग्रेसी जिपंस सदस्य ने निवेदन करते ही साफ करवा दी सड़क।

लेख-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी

मेरे गांव सीला से फेडुवा लगभग साढे तीन किमी रोड़ जो देख-रेख के अभाव में झाड़ियों से भरी रोड़ के सफान के मेरे आवेदन/शिकायत को सीएम हेल्पलाईन ने बिना यह सोचे ही कि इस रोड़ से लाभान्वित लोगों को सड़क साफ न होने पर यातायात की कितनी कठिनाइयां झेलनी होंगी, इस उत्तर के साथ बन्द कर दिया कि बजट के अभाव में सफान नहीं हो सकता है।
सीएम हेल्प लाईन से निराश होकर मैंने जिपंस गुमालगांव श्री विनोद डबराल से बात की तो उन्होंने इस जनहित के मुद्दे पर तुरंत हां कर दी।उन्होंने वन विभाग को फोन किया तो वन विभाग जिसकी यह सड़क है, के बजट न होने के कारण हाथ खड़े करने पर उन्होंने मुझे फोन किया कि वन विभाग तो बजट का रोना रो रहा है मैं देखता हूं कि क्या किया जा सकता है।तीसरे दिन उनका फोन आया कि कल जेसीबी आएगी।और कल 27 सितम्बर को जेसीबी आयी और कल इस रोड़ की झाड़ियां साफ हो गयीं।
यातायात मामले में बहुत पिछड़े यमकेश्वर ब्लॉक के सीला गांव मे सन् 1957 में कोटद्वार लालढांग धारकोट फेडुवा रोड़ बनवायी थी।जो 1964 के बाद रखरखाव मरम्मत के अभाव में जगह जगह से टूट गयी।बाद में कांग्रेसी सीएम नारायणदत्त तिवारी ने मेरे आग्रह पर सीली पुल से फेडुवा तक इसके पुनरुद्धार के आदेश दिये।जिस पर वनविभाग ने 2006-07 में सीला से फेडुवा 03किमी सड़क का पुनरुद्धार किया।जिस पर कुछ साल तक समय समय पर यातायात चला पर प्रधान,बीडीसी व जिपंस (इसबार को छोड़ कर सभी बीजेपी)व बीजेपी विधायकों(पुराने -नये) वन विभाग की उपेक्षा से यह मार्ग चलने लायक नहीं रहा। इस पर लैंटाना की ऊंची ऊंची झाड़ियां हो गयीं।चूंकि मुझे राज्य मान्यता के कारण राज्य मुख्यालय रहना अनिवार्य है इसलिए मैं इस मार्ग की कुदशा न जान सका। कोरोना काल मे जब मैं घर आया तो मार्ग की दुर्दशा देखी । वन विभाग से वार्ता की तो बजट नहीं का जबाब मिला। सीएम हेल्पलॉईन में समस्या/शिकायत की तो उन्हों ने डीएफओ का रटारटाया जबाब कि बजट होने पर मार्ग का सुधार किया जाएगा।
सीनियर सिटिजन होने के कारण मैं कोरोना संक्रमण के डर से देहरादून भी नहीं जा सकता था।ऐसे में मुझे अपने जिपंस की याद आयी। कांग्रेसी जिपंस व पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख श्री विनोद डबराल को मैंने फोन किया।अपना नाम बता कर समस्या बतायी।सुखद आश्चर्य हुआ कि उनकी ओर से सकारात्मक जबाब आया।उन्होंने कहा कि वे वन विभाग से बात करेंगे।दूसरे दिन उनका फोन आया कि वन विभाग के पास बजट नहीं है।मैं कोई व्यवस्था करता हूं तीसरे दिन याने 27 सितंबर को उन्होंने जेसीबी भेज कर सीला से फेडुवा तक सड़क साफ करवा दी। ।

इसके बाद मैंने सी.एम. को एक मेल भेजा जिसमें लिखा कि माननीय,सीएम हेल्प लाईन के अधिकारी समस्या का समाधान न करके केवल उस अधिकारी का बयान दिला देते हैं जिसने समस्या पैदा की।उदाहरणार्थ मेरे गांव की 1958 की एक सड़क जिसे सीलापुल से वन विभाग ने मेरे अनुरोध पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर 2007तक फेडुवा तक पुनरुद्धार किया था। लैंसडौन वन प्रभीग के लालढांग रेंज कै फेडुवा बीट में बनी यह 03 कि.मी.सड़क हम ग्रामीणों का एकमात्र यातायात का साधन है। 2007 के बाद वनविभाग ने इसकी कोई सुध नहीं ली।जिससे सड़क पर लैन्टाना की झाड़ियां उग आयी।कोरोना कॉल में जब मैंने बीच सड़क पर ऊंची झाड़ियां देखी तो रेंज अधिकारी से वात की तो वह बजट का रोना रोने लगे तब मैंने सीएम हेल्प लाईन में समस्या क्रमांक-87656 डाली तो डीएफओ का बयान कि बजट नहीं है डाल कर समस्या का समाधान कर समस्या को बन्द कर दिया गया है।अगर किसी स्थान की सड़क बंद होती है तो एक दो दिन में खुल जाती है परन्तु यहां तो 2007 के बाद इस सड़क का रखरखाव ही नहीं हुआ।सड़कके रखरखाव के लिए बजट की मांग क्यों नहीं की गयी।आपत्कालीन(आपदा)बजट का उपयोग क्यों नहीं किया गया।इन बातों पर ध्यान न देकर समस्या /शिकायत बंद कर दी गयी।आपकी यह हेल्प लाईन केवल जनता को सूचना देती है।समस्या का निदान नही करती।
मान्यवर,आश्चर्य की बात तो तब हुई जब मैंने निराश हो कर कांग्रेसी जिला पंचायत सदस्य गुमालगांव को फोन पर यह समस्या बताई तो उन्होंने तत्काल जेसीबी भेजकर सीला से फेडुवा तक सड़क साफ करवा दी।
मैं सन् 1982 से पत्रकारिता करता आ रहा हूं। दो दशक से अधिक समय तक मैंने बीडीसी यमकेश्वर की कार्यवाही की रिपोर्टिंग पहले अमरउजाल व फिर दैनिक जागरण के लिए भी किया।ऐसे जनप्रतिनिधि मुझे या तो श्री चन्द्रमोहन सिंहनेगी पूर्व राज्यमंत्री पर्वतीय विकास व सांसद गढवाल के दिखे थे और बहुत समय बाद कार्य करवाने की यह लगन मैंने श्री विनोद डबराल में देखी है।

डांडामंडल व तिमल्याणी सीला आदि गांव के लिए ब्लाक मुख्यालय व तहसील मुख्यालय जाने को कोई सड़क नहीं है। जिलापंचायत सदस्य ने आज सीला पुल से यमकेश्वर रपटा तक रवासणनदी पर जेसीबी मशीन लगा कर सीजनल जीपेबल सड़क बना दी है।निश्चित रूप से ऐसे योग्य,कर्मठ जन प्रतिनिधि का भविष्य उज्जवल होगा इसमें संदेह नहीं है।

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