उत्तराखण्ड के मंत्रीमंडल में करोना की घुसपैठ लापरवाही का नमूना।
लेख-नागेन्द्रप्रसाद रतूड़ी
उत्तराखण्ड की पूर्व मंत्री व उनके पति जो कि वर्तमान में मंत्रीमंडल के सदस्य हैं का कोरोना पॉजीटिव पाया जाना इस बात का द्योतक है कि उन्होंने कोविद-19 गाईडलाईन का पालन नहीं किया और इस महामारी को बहुत हल्के में लिया। अब यह संक्रमण चाहे उनके घर आये लोगों से लगा हो या उनके किसी कर्मचारी से लगा हो या भ्रमण के दौरान लगा हो पर लगा उनकी गैर जिम्मेदारी से।एक पूर्व मंत्री व वर्तमान मंत्री से ऐसी गैर जिम्मेदारी की आशा नहीं रखी जा सकती है।
एक कैबिनेट मंत्री के केरोना पॉजीटिव होने का अर्थ है कि मंत्रालय का स्टाफ,विभागीय अधिकारियों,अपनी समस्या लेकर आने वाली जनता व अपने कैबिनेट को अनजाने ही संक्रमित करना।इसके साथ ही अगर वह अपने विधान सभा क्षेत्र का भ्रमण करते हैं तो अनजाने ही कई नागरिक संक्रमित हो सकते हैं। यदि विधान सभा का सत्र चल रहा होता तो उससे विधायक भी संक्रमित हो सकते थे।
एक मंत्री जनता का आदर्श होता है। जनता उसका अनुकरण करती है।अब यदि वह मंत्री अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान न दे और महामारी से बचने वाली गाईडलाईन की उपेक्षा से महामारी रोग से ग्रस्त हो जाय तो जनता की राय उसके प्रति बदल जाती है।मंत्री के आचरण का असर पूरी सरकार पर,मंत्री परिषद व मंत्रीमंडल पर पड़ता है। इस मामले में अगर प्रदेश का मंत्रीमंडल के व अधिकारियों को क्वारेंटाइन होना पडता है तो इसका जिम्मेदार उस मंत्री को ठहराया जाना चाहिए।
मंत्री व उनका परिवार एम्स ऋषिकेश में उपचार हेतु भर्ती हो गया है। जहां से मंत्री जी तो डिस्चार्ज हो गये पर परिजन डिस्चार्ज होकर पुन: एम्स में भर्ती हो गये हैं।एक सूचना के अनुसार मुख्यमंत्री ने एकान्तवास में रह कर कामकाज चलाने का फैसला कर लिया है।उनकी देखा देखी कुछ अन्य मंत्री स्वयं को होम क्वेरेन्टाइन कर चुके हैं । कुछ मंत्री व शीर्ष अधिकारी भी अपने को होम क्वारेंटाइन कर सकते हैं।आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस आरोग्य सेतु के गुण केन्द्र सरकार रोज गा रही है उस ने भी मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों को यह नहीं बताया कि मंत्री जी संक्रमित हैं और न मंत्री जी को बताया कि उनकी पत्नी संक्रमित हो गयीं हैं। या इनमें से शायद किसी ने अपने फोन पर इस ऐप को डाउनलोड ही नहीं किया था।
अगर प्रदेश की सरकार और शासन में करोना संक्रमण हेता है तो इसके लिए पूर्वमंत्री व उनके पति वर्तमान मंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। क्यों कि उनकी लापरवाही से वे कोरोना संक्रमित हुए हैं और उनसे उनके पति, जो वर्तमान में मंत्री हैं संक्रमित हुए हैं। हमारे देश में तो कानून का पालन करना केवल जनता का काम माना जाता है। नेता मंत्री व बड़े अधिकारी तो इससे स्वयं को मुक्त समझते हैं।इसलिए इस सब के लिए अधिकारिक रूप से न तो पूर्व मंत्री और न वर्तमान मंत्री दोषी नहीं ठहराए जाएंगे। हां यह एक चेतावनी भी है कि कोरोना किसी को नहीं छोड़ता।इसलिए नेताओं,बड़े अधिकारियों व उनके निकट रहने वालों को चाहिए कि अपना बचाव करने में हमेशा सावधानी रखें । कहा भी है सावधानी हटी दुर्घटना घटी।