समस्त प्रदेशवासियों को शरद पूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर):- हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जिसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ या ‘रास पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है, जिससे इसकी चांदनी बेहद खास और गुणकारी हो जाती है।
धार्मिक एवं पौराणिक महत्व:- मां लक्ष्मी का प्राकट्य: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन धन की देवी मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए, इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कोजागरी व्रत: ऐसा माना जाता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और भक्तों के घर जाकर पूछती हैं- ‘को जागर्ति’ (कौन जाग रहा है)। जो व्यक्ति इस रात जागरण करके देवी की आराधना करता है, उसे उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रास लीला: द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी रात गोपियों के साथ ‘महारास’ रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
शरद पूर्णिमा की विशेष परंपराएँ:- इस पर्व की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है चांदनी में खीर रखना। दूध और चावल से बनी खीर को रात भर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से खीर में चंद्रमा की शीतलता और अमृत तत्व समा जाते हैं। सुबह इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से कई रोग दूर होते हैं और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और अपनी क्षमता अनुसार दान करने का भी विशेष महत्व है।
सुख, समृद्धि और शांति का पर्व:- शरद पूर्णिमा हमें प्रकृति और देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है। यह पर्व जीवन में शीतलता, शांति, स्वास्थ्य और धन-धान्य लेकर आता है। आइए, हम सब मिलकर इस पावन तिथि पर माँ लक्ष्मी और चंद्र देव की उपासना करें और सभी के लिए सुख-समृद्धि की कामना करें।