राज्यपाल से एफआईआर निदेशक डा.रेनू सिंह ने शिष्टाचार भेंट की।# मुख्यमंत्री के निर्देश पर उत्तरकाशी की घायल महिलाओं को एअरलिफ्ट कर एम्स लाया गया।#जो भी कार्य हो सुनियोजित तरीके से हो:सीएम।#उत्तराखण्ड राज्य के लिये विश्व बैंक ने स्वीकृत की 1000 करोड़ रूपये की बारानी कृषि परियोजना।www.janswar.com

-अरुणाभ रतूड़ी

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से बुधवार को राजभवन में वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) की निदेशक डॉ0 रेनू सिंह ने शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल को संस्थान द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों, शोध एवं अनुसंधान की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा मिशन के रूप में विभिन्न विषयों में वानिकी और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। डॉ0 रेनू सिंह ने बताया कि एफआरआई में अपनाए जाने वाले विषयों में जैव विविधता, वृक्ष सुधार और गुणवत्ता, बीज उत्पादन, गैर लकड़ी वन उत्पादन, सामाजिक वानिकी और भूमि वनीकरण विकास आदि प्रमुख क्षेत्र है।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में वन एवं वन्यजीवों का अमूल्य  भण्डार है जो हमें आर्थिक रूप से सशक्त बना सकते हैं। वनों के रखरखाव के साथ इन्हें आर्थिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्हांने संस्थान को इस दिशा में कार्य करने का सुझाव दिया। राज्यपाल ने कहा कि फॉरेस्ट टूरिज्म के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में बहुत अधिक सम्भावनाएं है इस दिशा में भी कार्य करने की जरूरत है। इस दौरान राज्यपाल व निदेशक एफआरआई द्वारा राजभवन स्थित बोनसाई गार्डन का भ्रमण भी किया गया।

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर उत्तरकाशी की घायल महिलाओं को एयर लिफ्ट कर कराया गया एम्स ऋषिकेश में भर्ती
जनपद उत्तरकाशी के नौगांव में जंगल गई पांच महिलाएं मिट्टी धसने के कारण मलबे में दब गई थी, इस घटना की सूचना मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंची तो मुख्यमंत्री ने देर न करते हुए अपना सरकारी हेलीकॉप्टर तुरंत उत्तरकाशी भेजा। घायल महिलाओं को इस हेलीकाप्टर से एयर लिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश भर्ती कराया गया है। पांच महिलाओं में से एक महिला की अस्पताल आते समय मृत्यु हो गई, जबकि अन्य का उपचार एम्स में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।
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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में राज्य सम्पति विभाग की बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि जो भी कार्य किये जा रहे हैं, उन्हें सुनियोजित तरीके से किया जाए, जिससे कम खर्चे में अधिक आउटपुट मिले। राज्य की आर्थिकी बढ़ाने के लिए विभागों को सुनियोजित प्लानिंग करनी होगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए जो भी नई योजनाएं बन रही हैं, उनमें कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण गुणवत्ता के साथ पूर्ण किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 में जब उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयन्ती मनायेगा। उत्तराखण्ड को देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए सभी विभागों को कार्यों में तेजी के साथ आपसी समन्वय से कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि निर्माण कार्यों कि गुणवत्ता खराब होने पर संबधितों पर सख्त कारवाई की जायेगी। उन्होंने राज्य सम्पति विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि एकीकृत पैटर्न पर कार्य किये जाए। राज्य सम्पति विभाग के प्रस्तुतीकरण से मुख्यमंत्री नाखुश थे, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रस्तुतीकरण सूक्ष्म व स्पष्ट हो। धरातल पर आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए कार्य किये जाए।इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम्, श्री विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव श्री प्रताप शाह एवं राज्य संपति विभाग के अधिकारी थे।
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उत्तराखण्ड राज्य के लिये विश्व बैंक ने स्वीकृत की 1000 करोड़ रूपये की बारानी कृषि परियोजना

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बारानी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से बनाई गई 1000 करोड़ रूपये की “उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना‘‘ को विश्व बैंक द्वारा मंजूरी दे दी गई है। यह परियोजना जलागम विभाग द्वारा कियान्वित की जायेगी।

वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन, अधिक ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन से वैश्विक स्तर पर अनिश्चित मौसम चक्र/घटनाओं से सभी देश प्रभावित हैं। हमारा राष्ट्र भी COP -26 Agreement का प्रतिभागी है, इसी को दृष्टिगत रखते हुये उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा ग्रीन हाऊस कार्वन उत्सर्जन कम किये जाने एवं जलवायु परिवर्तन से हो रहे कृषि क्षेत्र में प्रभावों को कम करने हेतु भारत सरकार को विश्व बैंक से वित्त पोषण हेतु “उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना Uttarakhand Climate Responsive Rain – fed Farming Project  का प्रस्ताव प्रेषित किया गया था।

यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्रों में स्प्रिंगशैड प्रबन्धन, कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, पलायन रोकथाम, नवीनतम आधुनिक तकनीक अपनाकर क्लस्टर आधारित खेती को प्रोत्साहित करने में कारगर सिद्ध होगी, ताकि कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सके और प्रदेश के युवाओं एवं कृषकों हेतु कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित हो सके।
राज्य के बारानी कृषि क्षेत्र के व्यापक सुधार, प्रति इकाई उत्पादकता वृद्धि तथा कृषि व्यवसाय वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुये प्रस्तावित परियोजना में प्रमुख रूप से निम्नानुसार गतिविधियां की जाएंगी।
० वर्षा आधारित कृषि उत्पादन प्रणालियों में संभावनाओं के विस्तार हेतु आधारभूत प्रणाली के रूप में स्प्रिंग- शेड प्रबंधन अवधारणा से कार्य।

० प्रभावी वर्षा जल भंडारण तथा कुशल जल उपयोग गतिविधियों के माध्यम से सूक्ष्म में स्थित स्प्रिंग- शेड प्रवाह क्षेत्रों में जल उत्पादकता बढ़ाना।

० जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियाँ अपनाकर, बारानी कृषि भूमि की मृदा में जैविक कार्बन की मात्रा में सुधार करते हुए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना।

० विविध कृषि प्रणालियों के अंतर्गत हाइड्रोपोनिक्स आदि जलवायु दक्ष तकनीकों के अंगीकरण तथा एग्रोलॉजिस्टिक्स को प्रोत्साहन।

० परंपरागत स्थानीय फसलों के प्रमाणित बीज उत्पादन तथा एकीकृत फसल प्रबंधन रणनीतियों द्वारा बारानी क्षेत्रों में जलवायु अनुकूल को बढ़ावा देना।

० जलवायु अनुकूल कृषि सलाहकार सेवाओं तथा क्लस्टर स्तर पर विश्वसनीय फसल आधारित

० मौसम सलाहकार सेवाओं का प्रसार तथा तद्नुसार किसानों का क्षमता विकास।

० छोटी जोत वाले किसानों के लिए विभिन्न आयपरक स्रोत विकसित करने हेतु कृषि, बागवानी, पशु पालन (विशेष रूप से छोटे पशु) आदि सहायक कृषि गतिविधियों का एकीकरण ।

० पारंपरिक स्थानीय फसलों के जैविक प्रमाणीकरण द्वारा मूल्य वृद्धि सुनिश्चित करना।

० किसानों को समन्वित रूप से कृषि आधारित सेवाएं प्रदान करने तथा लाभकारी बाजार संपर्क सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना ।

प्रस्तावित परियोजना गतिविधियों द्वारा न सिर्फ क्लस्टर स्तर पर विश्वसनीय फसल आधारित मौसम सलाहकार सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा फसलों, सब्जियों तथा फलों के लिए जलवायु अनुकूल पैकेज आफ प्रैक्टिसेज का विकास संभव हो सकेगा, अपितु परियोजना क्षेत्र में उच्च मूल्य संरक्षित कृषि क्लस्टरों की स्थापना के साथ-साथ स्थानीय कृषकों की वित्तीय तथा तकनीकी सहायता में पूर्णतः सक्षम एवं क्रियाशील 5 कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना भी हो सकेगी। इसके अतिरिक्त जल उत्सर्जन में 4 प्रतिशत की वृद्धि, मृदा क्षरण में 15 प्रतिशत की कमी तथा बारानी फसलों में 20 प्रतिशत एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि जैसे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकेंगे।