राज्यपाल ने स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री डॉ. किरण सेठ की साइकिल यात्रा का फ्लैग ऑफ किया।#अल्मोड़ा में चौथा डा.शमशेर सिंह बिष्ट स्मृति दिवस मनाया गया।www.janswar.com

-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वीरवार को राजभवन से स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री डॉ. किरण सेठ की साइकिल यात्रा का फ्लैग ऑफ किया। डॉ. किरण सेठ की यात्रा 15 अगस्त को कश्मीर से प्रारम्भ हुई जो 31 दिसम्बर को कन्याकुमारी में समाप्त होगी। उन्होंने बताया की इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय संस्कृति का प्रचार, सादा जीवन उच्च विचार और शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना है।

साइकिल यात्रा को फ्लैग ऑफ करते हुए राज्यपाल ने डॉ. सेठ के उत्साह और जज्बे की प्रशंसा करते हुए उनकी आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को भारतीय सभ्यता, संस्कृति और इतिहास की जानकारी होना आवश्यक है। साइकिल यात्रा के माध्यम से यह संदेश देना एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि युवाओं को डॉ. सेठ के जज्बे से प्रेरणा लेने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि साइकिल चलाना जहां स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए भी साइकिल अच्छा विकल्प बन सकता है। इस दौरान स्पिक मैके की चेयरपर्सन रश्मि मलिक, संयोजक राजीव गिरी, चेयरपर्सन उत्तराखण्ड रूपी महिन्द्रु, सचिव विद्या श्रीनिवासन, आदि उपस्थित रहे।

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अल्मोड़ा: ( अशोक कुमार पाण्डेय)शमशेर सिंह बिष्ट की चौथे स्मृति दिवस पर डा. रवि चौपड़ा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का संचालन उ वो वा के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने किया ।
डा शमशेर सिंह बिष्ट स्मृति समारोह में विचार व्यक्त करते हुए डा. नवीन जुयाल ने डा .शमशेर सिंह बिष्ट व साथियों के फलिन्डा आन्दोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इस आन्दोलन में तय हुआ था कि बांध व नदी में पानी का वितरण क्या होगा पर आज आन्दोलन के नतीजे ठण्ड़े बस्ते में चले गये।बाँध निर्माणों में मनमानी से गम्भीर नतीजे भी हो सकते हैं पहाड़ों में 200मीटर से अधिक ऊचाई में बांध नहीं बनने चाहिये । 24 बाध ऐसे है जो इससे उपर बन रहे है । उपपा अध्यक्ष पी सी तिवारी ने संघर्ष वाहिनी के दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में उत्तराखण्ड़ में क्षेत्रीय जनसंघर्ष प्रारम्भ हुए।
क्षेत्रीय विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि उत्तराखण्ड जिस राह पर चल पड़ा है वह दुखद है । एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ता के रूप मे उनकी प्रतिबद्धता दल के साथ में है। डा.शमशेर सिंह बिष्ट ने उन्हें सच व झूठ पर स्पष्ठ बोलने की सीख दी है
इस अवसर पर कामरेड़ इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि राज्य बनना ही अपने आप में एक समस्या हो गयी है। जब हिमाचल बना तब कार्पोरेट लूट उस स्तर पर नही थी । पर जब उत्तराखण्ड राज्य बना तो यह कार्पोरेट लूट का साधन बन गया । पहा़ड़ो में जो हालत है उसे हेलंग से समझा जा सकता है। हेलंग मे किसी भी ढंग से यदि खेल का मैदान बन सकता हो तो हम अपना आन्दोलन वापस ले लेंगे । उत्तराखण्ड़ अकेले ऐसा राज्य है जहा जमीन खरीदने की लूट है । विधान सभा भर्ती प्रकरण पर सवाल उठाते हुए मैखुरी ने कहा कि विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों ने अपने विशेषाधिकार के नाम पर अपने -अपने लोगों को नियुक्ति दी है। आश्चर्य है की बात यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश की विधानसभा में कुल 527 कार्मिक हैं तथा उत्तराखण्ड मे कार्मिकोॆ की लंख्या 560 पहुंच गई है ।

महिला आरक्षण पर उन्होंने कहा कि बिहार में बिहारी मूल की बालिकाओं कों आरक्षण मिल रहा है पर उत्तराखण्ड़ में इसे निरस्त कर दिया गया ।यह सोचनीय विषय है ।उत्तराखण्ड यू के एस एस सी की परिक्षाएं घोटाला सामने आने के बाद अब परीक्षा वह आयोग करा रहा है जिसने पिछले बीस सालों में केवल छ: परिक्षाएं कराई हैं जिसमें कई सवाल गलत रूप में पूछे गये । यह बड़े आश्चर्य की बात है कि यू के एस एस एस सी की परिक्षाओं मे पेपर लीक कराने का आरोप एक होमगार्ड पर लगा है।

नगरपालिका परिषद अल्मोड़ा के अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी ने शमशेर सिंह बिष्ट के जन आन्दोलनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 66-67 के दशक मे स्टार पेपर मिल द्वारा काटे जा रहे पेड़ों के खिलाफ सशक्त आन्दोलन किया था । वे गलत को हमेशा गलत कहते रहे व सही को सही कहते रहे।अब तो पत्रकार भी जनमुद्दों को आगे नही बढाते।उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में पी सी जोशी व शमशेर सिंह के हाथों में ही बागडोर थी।अब हम देख रहे है कि हर कार्य में भ्रष्टाचार, गड़बडी़ हो रही है जो इस राज्य को कहां ले जा रही है यह सोचने का बिषय है। राज्य में अब जमीन बिक गई है। यहां के लोग कोठियों की चौकेदारी कर कर रहे है।
सभा का संचालन राजीव लोचन साह ने किया।तथा कार्यक्रम का आरम्भ नवीन बिष्ट, दयाकृष्ण काण्डपाल आदि के जनगीत से हुआ , अजय बमित्र बिष्ट कुणाल तिवारी रेवती बिष्ट ने अपने विचार ब्यक्त किये ।
कार्यक्रम में के अन्त में जगत रौतेला ने सबका आभार ब्यक्त किया।