राज्यपाल ने रेडक्रास सोसाइटी उत्तराखण्ड  के सहयोग से लगे रक्तदान शिविर का किया शुभारम्भ #मुख्यमंत्री ने’आकाश तत्व’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी – जीवन के लिए आकाश में प्रतिभाग# जिलाधिकारी पौड़ी गढवाल ने लोनिवि व प्रमंग्रास.योजना विभागों की समीक्षा की।www.janswar.com

अरुणाभ रतूड़ी

 

राज्यपाल ने रेडक्रास सोसाइटी उत्तराखण्ड  के सहयोग से लगे रक्तदान शिविर का किया शुभारम्भ

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन में भारतीय रेडक्रास सोसायटी उत्तराखण्ड के सहयोग से आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारंभ करते हुए कहा कि रक्तदान, महादान होने के साथ-साथ बहुत नेक कार्य भी है। उन्होंने कहा कि रक्तदान से किसी अनजाने व्यक्ति के प्राण बचाने के पुण्य के साथ हमें आत्मिक आनंद मिलता है। इस आनंद की तुलना किसी और सुख से नहीं की जा सकती है। एक व्यक्ति द्वारा किए गए रक्तदान से तीन व्यक्तियों को लाभ मिलता है।  उन्होंने कहा कि नियमित रक्तदान करने से हार्ट अटैक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा लगभग समाप्त हो जाता है। प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन महीने में रक्तदान कर सकता है। राज्यपाल ने राजभवन के सभी रक्तदान कर्ताओं की प्रशंसा की और कहा कि वे सभी अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत हैं।

राज्यपाल ने कहा कि रेडक्रास सोसायटी ने रक्तदान शिविर का आयोजन कर सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि राजभवन में किए गए रक्तदान के माध्यम से अन्य संस्थानों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाएगा। सोसायटी की पहल से रक्तदान के प्रति जागरूकता भी तेजी से बढ़ रही है। इस अवसर पर रेडक्रास सोसायटी के महासचिव एम0एस0 अंसारी, कोषाध्यक्ष मोहन सिंह खत्री सहित दून चिकित्सालय के डॉक्टर्स व राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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मुख्यमंत्री ने’आकाश तत्व’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी – जीवन के लिए आकाश में प्रतिभाग


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को उत्तरांचल यूनिवर्सिटी प्रेमनगर, देहरादून में विज्ञान भारती उत्तराखण्ड एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित आकाश तत्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी – जीवन के लिए आकाश में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर आकाश तत्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी – जीवन के लिए आकाश से संबंधित एटलस एवं सार संग्रह का विमोचन भी किया गया

मुख्यमंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित आकाश तत्व सम्मेलन में देश भर से आए विषय विशेषज्ञों का उत्तराखंड में स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड की पावन धरा पर आयोजित यह चिंतन कार्यक्रम निश्चित रूप से पंच महाभूतों में प्रधान आकाश तत्व के नवीन आयामों की विवेचना करने में सफल होगा। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा दिया था। उन्होंने कहा कि इस अभियान को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसके साथ जय अनुसंधान जोड़कर इसे पूर्णता प्रदान की है। जय विज्ञान और जय अनुसंधान ये दो शब्द आज के विश्व में विज्ञान और अनुसंधान इन दोनों की महत्ता स्पष्ट करते हैं। आज का नया भारत विज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पुरातन व आधुनिक विज्ञान दोनों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए सीएसआर अर्थात कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी की तर्ज पर एसएसआर अर्थात साइंटिफिक सोशल रेस्पांसिबिलिटी के विचार को अपनाने की वैज्ञानिकों से अपील की है। इस प्रकार के सम्मेलन वैज्ञानिक समुदाय के क्रिएटिव माइंडस को एक मंच पर लाकर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को सार्थक करने का मजबूत प्रयास है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन के लिए पांच तत्वों आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन पंच तत्वों के संरक्षण व संवर्धन की हमारी प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस सम्मेलन में विचार-विमर्श हो रहा है, जो निश्चित रूप से सार्थक सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में देखने को मिलता है कि आकाश तत्व की महत्ता मानव जीवन के साथ-साथ देवी-देवताओं में भी परिलक्षित होती है। हमारी सनातन मान्यताओं के अनुसार आकाश में परमात्मा का, देवी-देवताओं का वास होता है। संसार की समस्त चिकित्सा पद्धतियां भी आकाश तत्व की महत्ता को भली-भांति समझती हैं। आज विश्व में अपनी सशक्त छवि को प्रतिस्थापित करता नया भारत हर क्षेत्र की तरह आकाश तत्व सम्बन्धी वैज्ञानिक अनुसंधानों में भी नये आयाम स्थापित कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम सभी के लिए बड़े गर्व का विषय है कि भारत सरकार ने एक नवीन पहल सनातन विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए 4 नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक आकाश तत्व सम्मेलन की सीरीज के आयोजन का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की विराट वैज्ञानिक सोच और हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से आज हमारा देश पूरी दुनिया में शोध एवं अनुसंधान कृषि, व्यापार, विज्ञान प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है। आज का नया भारत अपनी संस्कृति-अपनी पहचान के मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उत्तराखंड वासी सौभाग्यशाली हैं कि हम हिमालय की गोद में बसे हैं और ये पंचतत्व हमें विशुद्ध रूप से शुद्ध वायु, स्वच्छ जल, उपजाऊ मृदा और स्वच्छ आकाश के रूप में प्रकृति से उपहार स्वरूप मिले हैं। राज्य सरकार की कोशिश है कि आर्थिकी और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बना रहे। राज्य सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ साथ सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) की महत्ता पर विशेष ध्यान दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक सोच को जागृत करने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में साइंस सिटी के निर्माण का निर्णय लिया है। हर क्षेत्र तक अनुसंधान एवं शोध गतिविधियों को पहुंचाने लिए ’’लैब्स ऑन व्हील’’ और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में जागरूकता के लिए राज्य में एस्ट्रो पार्क बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस तरह का आयोजन पहली बार हो रहा है, जिसमें प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शोध से जोड़कर वैज्ञानिक मंथन किया जा रहा है। पंचमहाभूत का सर्वप्रथम कार्यक्रम आकाश से शुरू हो रहा है। प्राचीन को आधुनिक से जोड़ने का कार्य विज्ञान के माध्यम से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हर क्षेत्र में हमारी अनेक प्रतिभाएं उभर कर आ रही हैं। उन्होंने कहा कि 25 वर्षों में भारत को शिखर पर ले जाने के लिए हिमालयी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। हिमालय की जैव विविधता विज्ञान एवं अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में एरोमा मिशन में कार्य करने की अनेक संभावनाएं हैं।

इस अवसर पर प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार भारत सरकार डॉ. अजय कुमार सूद , सचिव अंतरिक्ष विभाग श्री एस सोमनाथ , विज्ञान भारती से श्री विवेकानंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह श्री सुरेश भैया जी जोशी ने National Conference and Exhibition on Akash tattva – Akash for life पर अपने विचार दिए।।

इस अवसर पर सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल, श्रीमती कल्पना सैनी, संगठन महामंत्री भाजपा श्री अजेय कुमार उत्तरांचल विश्विद्यालय के कुलाधिपति डॉ. जितेंद्र जोशी, भारत सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव, विज्ञान भारती के पदाधिकारी तथा देश-विदेश से आए वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।

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जिलाधिकारी पौड़ी गढवाल ने लोनिवि व प्रमंग्रास.योजना विभागों की समीक्षा की।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने जिला कार्यालय सभागार में सड़क निर्माण कार्याे से जुडे विभागों लोक निर्माण विभाग व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना विभाग की समीक्षा की। निर्मित मोटर मार्गाे के स्थानान्तरण की धीमी कार्यवाही पर जिलाधिकारी ने पीएमजीएसवाई श्रीनगर व कोटद्वार के अधिकारियों को चेताया कि आ ही सांय 08 बजे तक कम से कम 03 सड़के लोनिवि के स्थानान्तरिक करें। जिलाधिकारी ने बड़कोलू पुल की स्थिति का संज्ञान लेते हुए अधीक्षण अभियन्ता लोनिवि को निर्देश दिये कि यदि पुल स्थिति जर्जर पायी जाती है तो पुल पर आवागमन को सख्ती से रोका जाय।
शनिवार को आयोजित लोनिवि व पीएमजीएसवाई की समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी ने लोनिवि व पीएमजीएसवाई के अधिकारियों की एक संयुक्त समिति बनाकर क्षतिग्रस्त सड़कों व पुलों का चिन्हिकरण करते हुए तेजी के साथ प्रस्ताव तैयार करें ताकि इन परिसम्पतियों की एसडीएमएफ के तहत मरम्मत की जा सके। हाल ही में गुजरात में हुई पुल दुर्घटना का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने बड़कोलू पुल की स्थिति को लेकर अधीक्षण अभियन्ता लोनिवि को निर्देश दिये यदि पुल आवागमन हेतु मानकों के अनुरुप सही नहीं पाया जाता है तो इस पुल पर आवागमन को रोकने के लिए आवश्यक कदम अठाये जायें। वहीं लक्ष्मण झूला पुल के ट्रेफिक के रेगुलेशन व प्रतिबंधित करने केे लिए पुलिस व राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं।
मोटर मार्गाे के स्थानान्तरण की खराब स्थिति जिलाधिकारी ने पीएमजीएसवाई श्रीनगर व कोटद्वार को चेताया आज सांय 08 बजे तक दोनो विभागों के अधीक्षण अभियन्ता एक साथ बैठकर कम से कम तीन सड़कों को विधिवत रुप से लोनिवि को स्थानान्तरित करें। पीएमजीएसवाई के अधिकारियों ने बताया कि उनकी 51 सड़कों में से 22 सड़को व 01 पुल का लोनिवि को स्थानान्तरण किया जा चुका है जबकि 29 सड़कों को स्थानान्तरित किया जाना शेष है।
अधीक्षण अभियन्ता लोनिवि ने बताया कि वर्षा काल से पूर्व विभाग द्वारा 05 करोड़ 60 लाख की लागत से 373.55 किमी0 सड़कों को गढ्ढा मुक्त कर शतप्रतिशत वित्तीय व भौतिक प्रगति प्राप्त की गयी है जबकि वर्षा काल के बाद 316.95 किमी0 सड़कों को गढ्ढा मुक्त कर शतप्रतिशत भौतिक उपलब्धि हासिल की जा चुकी है जबकि 01 करोड़ 75 लाख रुपये का भुगतान शेष है।
जिलाधिकारी ने लोनिवि व पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि रेलवें द्वारा उपयोग में लायी गयी परिसम्पतियों के कारण जो सड़के क्षतिग्रस्त हुई है उनके क्लेम के प्रस्ताव रेलवे को प्राथमिकता से प्रेषित करें। इसके अलावा जिलाधिकारी भूमि हस्तान्तरण के विभिन्न स्तरों पर लम्बित प्रकरणों की वितृत जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अपूर्वा पाण्डे, अधीक्षण अभियन्ता लोनिवि प्रल्हा्द सिंह, ईई लोनिवि पीएस ब्रिजवाल, केएस नेगी, ईई पीएमजीएसवाई एमएस यादव सहित लानिवि व पीएमजीएसवाई के अन्य अधिशासी अभियन्ता उपस्थित थे।