माँ भारती की गौरव गाथा: महान वीरांगना रानी दुर्गावती को विनम्र श्रद्धांजलि।
(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर):- आज का यह पावन दिवस हमें गढ़ा-कटंगा के गोंड राज्य की उस महान वीरांगना, चंदेल वंश की वंशज **रानी दुर्गावती** के जन्मदिवस की याद दिलाता है, जिन्होंने **माँ भारती के स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।** इस अवसर पर, हम उस अद्वितीय शौर्य और बलिदान को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिसने इतिहास के पन्नों में अमरता प्राप्त की।
रानी दुर्गावती का जीवन राष्ट्र रक्षा और आत्मसम्मान का एक ज्वलंत उदाहरण है। उनकी वीरता, रणकौशल और अडिग संकल्प ने मुगलों की विशाल सेना को भी कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने अपने राज्य और प्रजा की रक्षा के लिए अंतिम साँस तक संघर्ष किया, यह साबित करते हुए कि नारी शक्ति किसी भी चुनौती से बड़ी है। उनकी यह गाथा सदियों तक हमें यह मार्ग दिखाती रहेगी कि अपने राष्ट्र, अपनी संस्कृति और अपनी पहचान के लिए सर्वोच्च बलिदान भी छोटा होता है।
रानी दुर्गावती का बलिदान हमें ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ के उस दिव्य भाव को जागृत करने की प्रेरणा देता है, जहाँ व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर देश के हित को प्राथमिकता दी जाती है। उनकी शौर्य गाथा न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि यह हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का भी बोध कराती है।
आज जब हम उनके जन्मदिवस पर उन्हें याद करते हैं, तो यह संकल्प लेते हैं कि उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए हम भी अपने देश के गौरव और अखंडता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
महान वीरांगना रानी दुर्गावती अमर रहें!
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