दशहरा: नई उम्मीद और एक नए सवेरे का प्रतीक। WWW.JANSWAR.COM

दशहरा: नई उम्मीद और एक नए सवेरे का प्रतीक।

(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर):- आज का यह **शुभ प्रभात** एक विशेष उल्लास से भरा है, क्योंकि यह दिन है **दशहरा पर्व** का। ‘दशहरा’ या ‘विजयादशमी’ केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह **हर बुराई पर अच्छाई की जीत**, असत्य पर सत्य की विजय और अंधकार पर प्रकाश के स्थापित होने का **महान प्रतीक** है।

रावण की तरह हमारे दुखों का भी अंत हो, एक नई शुरुआत हो एक नए सवेरे के साथ**” इस पर्व के **मूल संदेश** को दर्शाता है। जब हम रावण के पुतले का दहन देखते हैं, तो हम केवल एक मिथकीय पात्र को जलते हुए नहीं देखते, बल्कि यह संकल्प लेते हैं कि हम अपने भीतर के **अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या और आलस्य** जैसे रावणों को भी समाप्त करेंगे। यह पर्व हमें प्रेरणा देता है कि अपने जीवन को भी विकारों से मुक्त कर, ज्ञान और धर्म के मार्ग पर चलाएँ।

दशहरा, नवरात्रि के नौ दिनों की शक्ति साधना के बाद आता है, जो यह दर्शाता है कि विजय बिना **प्रयास, साहस और संकल्प** के संभव नहीं है।

यह पावन अवसर हमें याद दिलाता है कि जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हों, हर अँधेरी रात के बाद एक नया सवेरा अवश्य आता है।

आप सभी को दशहरा पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।प्रभु श्री राम का आशीर्वाद आप पर बना रहे, और आप नई ऊर्जा,नई उम्मीद और सकारात्मकता के साथ अपने जीवन के हर क्षेत्र में  विजय प्राप्त करें।

आपका दिन मंगलमय हो!