जीत और हार से परे, लोकतंत्र और सेवा का सार। WWW.JANSWAR.COM

चुनाव परिणाम: जीत और हार से परे, लोकतंत्र और सेवा का सार।

(अरुणाभ रतूड़ी जनश्वर ):- आज का दिन, त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के परिणाम का दिन, कई उम्मीदवारों के लिए भावनाओं का ज्वार लेकर आया है। कुछ के लिए यह विजय का क्षण है, तो कुछ के लिए आत्मचिंतन और पुनः प्रयास का अवसर। लेकिन इन सबके बीच, एक महत्वपूर्ण बात जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए, वह है जीतने वाले को अपनी ज़मीन नहीं छोड़नी चाहिए और हारने वाले को हौसला नहीं छोड़ना चाहिए।

चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जो हमें जनता की राय जानने का मौका देती है। इसमें हार-जीत स्वाभाविक है। एक माह की कड़ी चुनावी थकान के बाद, यह समय है प्रतिद्वंद्विता को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाने का। चाहे आप जीते हों या हारे हों, एक-दूसरे का सम्मान करना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी है।

जीतने वाले उम्मीदवारों के लिए:- अगर आपको जनता का प्यार और आशीर्वाद मिला है और आप विजयी हुए हैं, तो यह आपकी मेहनत और जनता के विश्वास की जीत है। लेकिन याद रखिए, आपकी जीत और आपके प्रतिद्वंद्वी की हार में अक्सर बहुत मामूली अंतर होता है। यह क्षण अहंकार का नहीं, बल्कि विनम्रता का है। जनता ने आपको जो सम्मान दिया है, उसके सामने झुकना आना चाहिए। जैसा कि किसी शायर ने खूब कहा है:

झुकते तो वो हैं जिनमें जान होती है,अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है।

अपनी जीत को गाँव के सामूहिक विकास की दिशा में पहला कदम मानें। हारने वाले प्रतिद्वंद्वी और उनके समर्थकों को भी गाँव के विकास में अपना सहयोग देने के लिए प्रेरित करें। आखिर, लक्ष्य तो गाँव का भला करना ही है, और इसके लिए सभी को साथ मिलकर काम करना होगा। अब समय है अपने वादों को पूरा करने का और निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा में लीन होने का।

हारने वाले उम्मीदवारों के लिए:- यदि आप इस बार जनता का भरपूर प्यार पाने में नाकाम रहे हैं, तो निराश होना स्वाभाविक है। लेकिन हौसला छोड़ना विकल्प नहीं है। यह समय आत्म-मूल्यांकन का है। ईमानदारी से विश्लेषण करें कि कहाँ कमी रह गई? क्या आपकी रणनीति में कोई चूक थी, या जनता की अपेक्षाएँ कुछ और थीं? इस अनुभव को एक सीख के रूप में लें।

याद रखिए, चुनाव एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं। जनसेवा का मार्ग केवल सत्ता से होकर नहीं गुजरता। आज से ही, बिना किसी पद की लालसा के, नि:स्वार्थ भाव से जनता की सेवा और गाँव के विकास कार्यों में जुट जाइए। जनता जनार्दन बहुत समझदार होती है; वह आपके अथक प्रयासों और निःस्वार्थ सेवा को एक दिन अवश्य सम्मान देगी।

किसी कवि ने सही कहा है:- खोल दे पंख मेरे कहता है परिंदा,अभी उड़ान बाकी है। जमीं नहीं है मंजिल मेरी,अभी पूरा आसमां बाकी है।

लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि यह हमें बार-बार मौका देता है। अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाएँ और भविष्य के लिए स्वयं को और मज़बूत करें।

आज, जब चुनाव परिणाम सामने हैं, आइए हम सभी इस बात का संकल्प लें कि प्रतिस्पर्धा से आगे बढ़कर, हम सब मिलकर अपने गाँव, समाज और देश के बेहतर भविष्य के लिए काम करेंगे।

हार्दिक शुभकामनाएं।