गुरु की महिमा और शिष्य का कर्तव्य।
(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर):- गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व, हिन्दू धर्म में अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आता है, और इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करते हैं। ‘गुरु’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘गु’ का अर्थ है अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है उसे दूर करने वाला। इस प्रकार, गुरु वह है जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।
भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष महत्व रहा है। गुरु न केवल हमें किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि वे जीवन के मूल्यों, संस्कारों और सही मार्ग का भी बोध कराते हैं। वे हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं, असत्य से सत्य की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर। उपनिषदों में भी गुरु को ब्रह्म के समान बताया गया है।
गुरु पूर्णिमा का यह दिन महर्षि वेद व्यास जी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास ने महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की और वेदों को व्यवस्थित किया, जिसके कारण उन्हें आदि गुरु का दर्जा प्राप्त है। बौद्ध धर्म में भी यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। जैन धर्म में भी इस दिन को गुरु-शिष्य परंपरा के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। वे गुरुओं को उपहार भेंट करते हैं, उनके चरण स्पर्श करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहाँ छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और गुरुद्वारों या मंदिरों में जाकर प्रार्थना करते हैं।
आज के आधुनिक युग में भी गुरु का महत्व कम नहीं हुआ है। भले ही शिक्षा के तरीके बदल गए हों, लेकिन एक सही मार्गदर्शक, एक सच्चा गुरु आज भी हमारे जीवन में अत्यंत आवश्यक है। वे हमें सही दिशा दिखाते हैं, चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देते हैं और हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमें हमेशा उन सभी के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए जिन्होंने हमें कुछ भी सिखाया है – चाहे वे हमारे माता-पिता हों, शिक्षक हों, बड़े-बुजुर्ग हों या कोई भी व्यक्ति जिसने हमें जीवन का कोई सबक सिखाया हो।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!