अल्मोड़ा में कारगिल विजय दिवस की 23वी वर्षगाँठ पर शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर सलामी दी गयी। घोषणाएं पूरी होने पर होगी सच्ची श्रद्धांजलि:एन.के.गुसाईं -www.janswar.com

-अशोक कुमार पाण्डे

 

अल्मोड़ा 26 जुलाई, 2022 कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगाँठ शहीद स्मारक छावनी क्षेत्र में आयोजित की गयी। कारगिल शहीदों की स्मृति में *शहीद स्मारक* छावनी परिषद पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि एवं पुष्पचक्र अर्पित किये गये साथ ही 02 मिनट का मौन रखा गया। गैरीसन अल्मोड़ा की सैन्य टुकडी द्वारा शहीदों के सम्मान में सलामी दी गयी। इस शौर्य दिवस के अवसर पर श्रीमती सावित्री देवड़ी पत्नी शहीद हरीश देवड़ी व श्रीमती सरस्वती माया घले पत्नी शहीद हरी बहादुर घले एवं कारगिल युद्व में घायल अ0 कैप्टन जीवन सिंह मेहरा को जिलाधिकारी वन्दना द्वारा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी द्वारा (शौर्य दिवस) पर शहीद स्मारक पर कारगिल शहीदों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में सैनिकों की वीरता व बलिदान की लम्बी परम्परा रही है। देश की आजादी से पहले एवं आजादी के बाद उत्तराखंड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कारगिल युद्व में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा। इस दौरान नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, एसएसपी प्रदीप कुमार राय तथा अपरजिलाधिकार एवं अन्य ने पुष्प चक्र एवं पुष्प मालाएं अर्पित की।
इस अवसर पर गैरीसन अल्मोड़ा के कमान अधिकारी कर्नल विनय यादव, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल (अ0प्रा0) योगेन्द्र कुमार, (अ0प्रा0) बिग्रेडियर के0सी0 जोशी, शौर्य चक्र कर्नल जयंत थापा, ले0कमाण्डर हीरा सिंह सांगा, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 आर0सी0 पंत, एवं जनपद के गौरव सैनानी सैनिक/वीर नारियों आदि ने शहीद स्मारक में पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी।

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(केशर जन कल्याण समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एन के गुसाईं)

घोषणाएं पूरी होने पर होगी सच्ची श्रद्धांजलि,हम पहले दिन से लेकर आजतक घोषणाओं को दिला रहे याद। केशर जन कल्याण समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एन के गुसाईं ने कहा कि वर्ष में एक दिन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बजाय शहीद परिवारों के संबध में केंद्र व राज्य सरकार की घोषणाओं को धरातल पर उतारने की आवश्यकता है।

समिति ने आज कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस अवसर पर बोलते हुए समिति के अध्यक्ष गुसाईं ने कहा कि 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध खत्म होने से लेकर आज तक समिति समय समय पर शहीदों के सम्मान व घोषणा पूरी होने की बात करती आ रही है और आगे भी करती रहेगी।युद्ध समाप्त होते ही शहीदों के सम्मान व परिजनों के कल्याण हेतु तत्कालीन केन्द्र व प्रदेश सरकार ने आनन फानन में घोषणाओं की झडी लगा दी,लेकिन उनको आज 23 वर्षों बाद भी धरातल पर उतारने हेतु ईमानदारी से प्रयास नहीं किये।
गुसाईं ने कहा कि आज हम और सरकारें शहीदों को सही मायनों में नमन कर रहे हैं या फिर वर्ष में 1 दिन के लिए औपचारिकता मात्र कर रहे हैं।जब हर सैनिक 365 दिन व 24 घंटे मां भारती की सेवा में जां न्यौछावर करने को तत्पर रहता है तो सिर्फ 1 दिन ही उन्हें क्यों याद किया जाता है।शहीद परिवार के लिए बड़ी-बड़ी घोषणा करने के बावजूद 1 टुकड़ा जमीन के लिए सारे नियम कानून ले आते हैं शासन,प्रशासन व सचिवालय कर्मी तथा अधिकारी,वहीं दूसरी ओर रायपुर डोईवाला सहित पूरे तराई में हजारों एकड भूमि पर बाहरी लोग मुफ्त में बस गये हैं या फिर देवभूमि के गद्दार नेताओं द्वारा बसाये जा रहे हैं।
बाहरियों के लिए देवभूमि उत्तराखंड से बढ़िया ऐशगाह पूरे भारत में और कहीं नहीं है ऐसा प्रतीत ही नहीं हो रहा है बल्कि स्पष्ट दिखाई दे रहा है।गुसाईं ने कहा कि शहीदों के सम्मान में राज्य सरकार घोषणाओं पर शीघ्र अमलीजामा पहनाये।

घोषणाओं में प्रमुख हैं- 1-शहीद परिवार को शहरी क्षेत्र में मकान हेतु प्लाट अथवा ग्रामीण क्षेत्र में 5 बीघा कृषि भूमि संबधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा आवंटित होनी थी। 2-शहीद के 2 बच्चों को किसी भी सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूल में निर्विरोध दाखिला।3-बच्चों की किताबों व स्कूल ड्रैस हेतुउचित धनराशि संबधित स्कूल द्वारा।4-पुलिस क्षेत्राधिकारी व तहसील कर्मियों द्वारा समय समय पर शहीद के परिवार का उनके घर जाकर हाल चाल पूछना।5-बिजली व पानी का कनेक्शन प्राथमिकता के आधार पर लगाना सहित कई घोषणाएं आज तक घोषणा बन कर रह गई हैं।