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अपने राजनैतिक अनुभव से हिमाचल के विकास की गाड़ी सरपट दौड़ा सकते हैं मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू

नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी(स्वतंत्र पत्रकार)

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा में कांग्रेस की जीत का अर्थ काफी समय से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का बनना निश्चित होता था।जैसे कि कांग्रेस में आज तक होता आया है स्थापित नेता के बाद उसके परिवार (भाई,बेटा,बेटी,पत्नी आदि) को उसकी जगह पर स्थापित किया जाता रहा है।आज के दौर में भी मृत नेताओं के बच्चों को केन्द्रीय राजनीति में सांसद व कांग्रेस शासित राज्यों में मंत्रियों के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि पार्टी की केन्द्रीय कमान आज भी गांधी परिवार के हाथ में है जिसके शीर्ष पर श्रीमती सोनिया गाँधी हैं तो एक किनारे राहुल गाँधी व दूसरे पर उनकी बहन श्रीमती प्रियंका वाड्रा हैं । इस त्रिभुज से शासित होती है कांग्रेस।
इस बार हिमाचल में कांग्रेस की जीत पर पार्टी ने राज्य की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री स्व.वीरभद्र के परिवार को न सौंप कर एक ऐसे व्यक्ति को सौंपी जो है तो साधारण परिवार का पर जिसे पार्षद, संगठन व विधानसभा का लम्बा अनुभव है।
पार्टी के केन्द्रीय पर्यवेक्षक जब हिमाचल के 15 वें मुख्यमंत्री के चयन हेतु हिमाचल पहुँचे तो कुछ कांग्रेसियों ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र की पत्नी श्रीमती प्रतिभा देवी के नाम को विधायक न होते हुए भी मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढाया, पर कुछ ऐसे समीकरण थे जिससे उनका दावा कमजेर पड़ गया। पहला तो यह था कि वे कहीं से विधायक नहीं हैं जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने से किसी विधायक को इस्तीफा देना पड़ता,दूसरा उनके मंडी क्षेत्र से विधानसभा की दस सीटों में से केवल एक सीट ही कांग्रेस जीत पायी है जब कि मुख्यमंत्री बने सुखविन्दर सिंह सुक्खू के हमीरपुर जिले में कांग्रेस को पाँच में से चार सीटें मिली हैं।जो कि उनके सीएम बनने की राह प्रशस्त कर गये।
हरविन्दर सिंह सुक्खू एक आम परिवार से आते हैं। उनका जन्म 26 मार्च 1964 को हमीरपुर जिले की नादौन तहसील के सेरा गाँव में हुआ।इनके पिता रसील सिंह हिमाचल रोड़वेज में चालक की नौकरी करते थे तथा इनकी माँ का नाम संसार देई हैं जो एक गृहणी हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू के एक बड़े भाई भी हैं जो सेना से सेवानिवृत जीवन बिता रहे हैं।इनकी दो बहिनें हैं जो श्री सुक्खू से छोटी हैं।और अपना विवाहित जीवन व्यतीत कर रही हैं।इनकी पत्नी कमलेश ठाकुर हैं जिनसे इनका विवाह 1998 में हुआ।इनकी दो बेटियां हैं जो अभी शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने पोस्टग्रेजुएशन तक शिक्षा ग्रहण की इनकी व्यावसायिक शिक्षा एलएलबी है।उनकी सारी शिक्षा शिमला में हुई है।पढाई के दौरान ही वे कांग्रेस की छात्रसंघ इकाई से जुड़ गये थे। वे सन् 1989 से सन् 1995 तक एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे हैं।वे युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष,दो बार नगर निगम शिमला के पार्षद व सन् 2003,2007 व 2017 में नादौन विधान सभा से विधायक रहे हैं। सन् 2012 में वे विधान सभा का चुनाव हार गये थे परन्तु उनकी योग्यता देख कर सन् 2013 में कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जिसे वे 2019 तक निभाते रहे।
विधानसभा के इस आम चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी विजयकुमार को 3300से अधिक मतों से परास्त कर चौथी बार हिमाचल विधानसभा की सदस्यता ग्रहण की।कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी।
नव निर्वाचित मुख्यमंत्री का राजनैतिक अनुभव बहुत लम्बा है।ऐसे मेंअगर कांग्रेस विधायकों का व संगठन का उन्हें भरपूर सहयोग मिले और मध्यप्रदेश जैसी कोई अनहोनी न हुई तो जनता के मध्य का यह व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में अपने अनुभव व संगठन परअपनी पकड़ से हिमाचल की विकास की गाड़ी को विकास पथ पर कुशलता पूर्वक दौड़ा सकता है।