होली के त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा: होलिका दहन। WWW.JANSWAR.COM

होली के त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा: होलिका दहन।

(अरुणाभ रतूड़ी):- होलिका दहन: एक प्रतीकात्मक जीत:- होलिका दहन होली के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत और अन्य हिंदू बहुल देशों में मनाया जाता है। यह त्योहार होली के एक दिन पहले मनाया जाता है, और इसमें एक बड़े आग के ढेर को जलाया जाता है, जिसे होलिका का प्रतीक माना जाता है।

होलिका दहन की कथा:- होलिका दहन की कथा प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था, जो अपने पुत्र प्रहलाद को मारना चाहता था क्योंकि वह भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी, जो आग में नहीं जलती थी। हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रहलाद को आग में जलाने के लिए कहा। लेकिन जब होलिका प्रहलाद को आग में ले गई, तो भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की और होलिका को आग में जला दिया।

होलिका दहन का महत्व:- होलिका दहन का महत्व इस कथा में निहित है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन के माध्यम से, हम बुराई के प्रतीक होलिका को जलाकर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं। यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

होलिका दहन की रस्में:- होलिका दहन की रस्में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती हैं। आम तौर पर, होलिका दहन के लिए एक बड़े आग के ढेर को तैयार किया जाता है, जिसे होलिका का प्रतीक माना जाता है। आग के ढेर को जलाने से पहले, लोग इसकी परिक्रमा करते हैं और पूजा करते हैं। इसके बाद, आग के ढेर को जलाया जाता है, और लोग इसके चारों ओर नाचते हैं और गाते हैं।

निष्कर्ष:- होलिका दहन एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। होलिका दहन की रस्में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन इसका मूल उद्देश्य एक ही है: बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना।