समाचार प्रस्तुति-अरुणाभ रतूड़ी
हिमालय के पर्यावरण को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिमालय दिवस के अवसर पर जारी अपने संदेश में कहा कि हिमालय न केवल भारत बल्कि विश्व की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। यह हमारा भविष्य एवं विरासत दोनों है, हिमालय के सुरक्षित रहने पर ही इससे निकलने वाली सदानीरा नदियां भी सुरक्षित रह पायेंगी, हिमालय की इन पावन नदियों का जल एवं जलवायु पूरे देश को एक सूत्र में पिरोता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय हमारे जीवन के सरोकारों से गहनता से जुड़ा हुआ है, अतः हिमालय के संरक्षण की पहली जिम्मेदारी भी हमारी है। हिमालय के संरक्षण के लिए इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, नदियों एवं वनों का भी संरक्षण आवश्यक है, इसीलिए जल संरक्षण, संवर्धन तथा व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। यही नहीं हिमालय संरक्षण के लिए हमने राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम भी चलाई, विगत में मसूरी में आयोजित हिमालय कॉन्क्लेव इसका प्रमाण है, इसमें लगभग सभी हिमालयी राज्यों द्वारा हिमालय के पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति मसूरी संकल्प पारित कर हिमालय को बचाने का संकल्प भी लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण की दिशा में प्रभावी पहल की आवश्यकता है। हमें हिमालय को उसके व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा, राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर पर इस दिशा में विभिन्न कार्य योजनाओं के माध्यम से कई स्तरों पर विचार गोष्ठियों एवं जन जागरूकता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। फिर भी इस व्यापकता वाले विषय पर सभी बुद्धिजीवियों, विषय विशेषज्ञों, प्रकृति प्रेमियों, हिमालय पर उसकी समग्रता का अध्ययन करने वाले अध्येताओं को एक मंच पर आकर संजीदगी के साथ इस दिशा में आगे आना होगा, इसके लिए राज्य सरकार हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारे स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच को दर्शाती है। वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन भी प्रकृति की प्रेरणा से संचालित हुआ है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल जंगल जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं। रिस्पना, कोसी जैसी नदियों के पुनर्जीवीकरण करने के लिए प्रयास किए जाने के साथ ही गंगा, यमुना व उनकी सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। नदियों का स्वच्छ पर्यावरण भी हिमालय के पर्यावरण को बचाने में मददगार होगा।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार हिमालय के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सदैव दृढ़ संकल्पित रही है, इस संबंध में समय-समय पर किए गये अध्ययनों आदि पर तत्परता से कार्य योजना के निर्माण के प्रति ध्यान दिया गया है। प्रतिवर्ष हिमालय दिवस का आयोजन किया जाना इस विषय पर गंभीरता के साथ चिंतन करने के प्रयासों को प्रकट करता है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर ढोलवादक धूमसिंह एम्स में भर्ती।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर जनपद चमोली के ग्राम उर्गम निवासी ढोल वादक श्री धूम लाल को उपचार हेतु एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया है। मुख्यमंत्री ने श्री धूम लाल की चिकित्सा पर होने वाला व्यय मुख्यमंत्री राहत कोष से किये जाने के भी निर्देश दिये हैं।
ज्ञातव्य है कि मुखोटा नाटकों एवं नंदा राज जात यात्राओं के ढोल वादक श्री धूमलाल की अस्वस्थता के बारे में सोशल मीडिया से पता चलने पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने त्वरित संज्ञान लेकर श्री धूम लाल को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराने के निर्देश दिये तथा इलाज पर होने वाला व्यय मुख्यमंत्री राहत कोष से किये जाने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। मुख्यमंत्री ने श्री धूम लाल को ढ़ोल वादक के रूप में दी जाने वाली पेंशन के अविलम्ब भुगतान हेतु निदेशक संस्कृति को भी निर्देश दिये हैं।
पर्यटन विकास अधिकारी पौड़ी गढवाल ने किया यमकेश्वर ब्लॉक का भ्रमण।
जनपद में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु जिला पर्यटन विकास अधिकारी पौड़ी खुशाल सिह नेगी ने सोमवार को जनपद के यमकेश्वर विकास खण्ड के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर लोगों को अपने घरों को होमस्टे के रूप में विकसित करने तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजना दीनदयाल उपाध्याय गृह होमस्टे योजना तथा वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली योजना की विस्तार पूर्व जानकारी दी।
जिला पर्यटन विकास अधिकारी श्री नेगी ने यमकेश्वर के अन्तर्गत देवीखाल, थलनदी, नालीबड़ी आदि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा अपने घरों को सुधारीकरण कर होमस्टे के रूप में विकसित करने के कार्यो का भी निरीक्षण करते हुए, लोगों को होमस्टे संचालन की भी आवश्यक जानकारी दी। उन्होने कहा कि अपने घर परिसर में सौन्दर्यकृत कार्य को प्राथमिकता दे तथा आंगन परिसर में फुलवारी, कींचन गार्डन आदि को विकसित करें। घरों एवं परिसर में नियमित साफ सफाई रखें। शौचालय आदि की समुचित व्यवस्था बनाये रखे। उन्होने यह भी कहा कि अपने क्षेत्रान्तर्गत प्रसिद्ध, धार्मिक अथवा पर्यटकों को लुभावन वाले क्षेत्र की जानकारी रखें। जिसे अपने होमस्टे के मानचित्र पर अंकित करें व आने वाले पर्यटकों को इसकी जानकारी दे, जिससे वे उक्त स्थल का भी सेर-सफाटे कर, अधिक समय तक होमस्टे पर ठहर सकेगें। जिससे आप लोगों की अच्छी आमदनी हो सकता है। कहा कि होमस्टे पर आने वाले पर्यटकों को परंपरागत भवनशैली, लोक-संस्कृति, पारंपरिक कास्त आकर्षित करते है। स्थानीय उत्पाद के व्यंजन उन्हे खुब पसंद होती है। कहा कि जिस देशकाल से आपके रहन-सहन भवन इत्यादि की परंपरा चली आ रही है, केवल उसे सवांर कर रखने की जरूरत है। होमस्टे योजना के तहत जहां आपके घर आंगन में लोगों की चहल कदमी बढेगी वहीं जैविक उत्पाद की अच्छी खपत हो सकेगे। जिससें आपके अच्छी आमदनी हो सकता है। उन्होने उक्त योजना का अधिक से अधिक लाभ एवं जानकारी लेने की अपील करते हुए, अपनी विरान हो रही भवनों को होमस्टे में विकसित कर अपने क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने को कहा। साथ ही उन्होने लोगों को अपने होमस्टे को पर्यटन विभाग से पंजीकृत करने को कहा।