समाचार प्रस्तुति-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
स्वीडन के राजा कार्ल-16गुस्ताफ व रानी सिल्विया,मुख्यमंत्री,व केन्द्रीय मंत्री व राज्य के पर्यटन मंत्री ने हरिद्वार में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण किया ।
स्वीडन के किंग कार्ल-16 गुस्ताफ, क्वीन सिल्विया, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने किया उद्घाटन।
नमामि गंगे के अंतर्गत 14 एमएलडी क्षमता का है सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट। इसकी लागत 41.40 करोड़ रूपए है।
स्वीडन के किंग कार्ल-16 गुस्ताफ, क्वीन सिल्विया, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में हरिद्वार में नमामि गंगे के अंतर्गत 41.40 करोड़ रूपए की लागत स हाईब्रिड एन्यूटी फाईनेंस मॉडल पर आधारित 14 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण किया गया।
प्रकृति संरक्षण में सहायक है नमामि गंगे
किंग कार्ल 16 गुस्ताफ ने कहा कि उन्हें यहां आकर बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। भारत एवं भारत के लोगों में बहुत सी सम्भावनाएं हैं। उन्होंने गंगा नदी के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये किये जा रहे प्रयासों को सराहनीय बताते हुए नमामि गंगे प्रोजेक्ट की सफलता की कामना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत में प्रकृति और वन्यजीवन के संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों से प्रकृति के संरक्षण में सहायता मिलेगी।
गंगा की निर्मलता के लिए गम्भीरता से प्रयास किए जा रहे हैं
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वीडन के किंग कार्ल 16 गुस्ताफ का उत्तराखण्ड आगमन पर स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के क्षेत्र में ठोस पहल हुई। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार जलीय जीवों के लिए गम्भीरता से प्रयास कर रही है, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
रसायनों के प्रयोग को कम करने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतने कम समय में गंगा की निर्मलता के लिए सराहनीय कार्य हुए हैं। खेतों में प्रयोग किए जाने वाले रसायन का गंगा के प्रदूषण में महत्वपूर्ण भाग है, जिसे रोकने की जरूरत है। गंगा की निर्मलता को बनाये रखने के लिए औद्योगिक कचरे के उपचार की नितान्त आवश्यकता है। साथ ही, कृषि में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के प्रयोग को अत्यधित न्यून करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने आस-पास के नदी-नालों को स्वच्छ रखने में आमजन के सहयोग की अपील करते हुए कहा कि हमें सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करके अपने प्रदेश के साथ ही देश को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग देना चाहिए।
उत्तराखण्ड में सीवेज ट्रीटमेंट प्लान के 34 प्रोजेक्ट्स में 23 प्रोजेक्ट्स पूर्ण
केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वीडन के किंग कार्ल 16 गुस्ताफ एवं क्वीन सिल्वा का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत करते हुए कहा कि यह देवभूमि विश्व प्रसिद्ध पावन नदी गंगा का उद्गम स्थल भी है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी भारत के 32 प्रतिशत भूभाग को सिंचित करती है और भारत की लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्या को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है।
केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि गंगा नदी के संरक्षण के साथ ही स्वच्छ एवं अविरल बनाये रखने के लिए भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस अभियान के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। पृथ्वी की ईकोलॉजी एवं स्वस्थ नागरिक जीवन के लिए प्रोपर वेस्ट मैनेजमेंट की बहुत ही आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सीवेज ट्रीटमेंट प्लान के 34 प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं, जिनमें से 23 प्रोजेक्ट्स पूर्ण हो चुके हैं।
इससे पूर्व स्वीडन के किंग कार्ल-16 गुस्ताफ, क्वीन सिल्विया का जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट, देहरादून पहुंचने पर राज्य के प्रोटोकॉल मंत्री श्री धनसिंह रावत ने स्वागत किया। यहां से किंग कार्ल-16 गुस्ताफ और क्वीन सिल्विया ऋषिकेश गए जहां उन्होंने प्रसिद्ध रामझूला पुल, गंगा माता मंदिर व स्नान घाट का भ्रमण किया एवं पूजा अर्चना भी की। ——————– —————————————-
एम्स में 17 चिकित्सकों को डिप्लोमा प्रमाणपत्र वितरित किए गए। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में डिप्लोमा इन प्राइमरी केयर साइकेट्री कोर्स करने वाले राज्य सरकार के 17 चिकित्सकों को डिप्लोमा प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम के तहत राज्यभर के राजकीय चिकित्सकों को यह प्रशिक्षण एम्स ऋषिकेश, निम्हांस बैगलौर व एनएचएम उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में दिया गया है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में मनो चिकित्सकों का अभाव बना हुआ है,जिससे मनोरोग से ग्रसित मरीजों को लंबी यात्रा करके देहरादून, हल्द्वानी आदि शहरों में उपचार कराना पड़ता है। इसके मद्देनजर राज्य में निम्हांस बैंगलौर की ओर से नेशनल हेल्थ मिशन उत्तराखंड के साथ वर्ष 2017 से डिप्लोमा इन प्राइमरी केयर साइकेट्री का एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किया गया था। एम्स ऋषिकेश ने इस में चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के लिए वर्ष 2018 से निम्हांस के साथ मिलकर अपनी सेवाएं देनी शुरू की। इस कोर्स के दौरान चिकित्सकों को टेली मेडिसिन के माध्यम से उनको घर बैठे ही प्रशिक्षण दिया गया। कोर्स के दो वर्ष पूर्ण होने पर उत्तीर्ण हुए दो बैच के 17 चिकित्सकों को डिप्लोमा प्रमाणपत्र बांटे गए। इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान में कई विषयों पर डिप्लोमा कोर्स शुरू किए गए हैं, जिनके तहत विभिन्न विषयों में केवल उत्तराखंड में सेवारत चिकित्सकों को ट्रेनिंग देकर दक्ष बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नामांकित होने पर ऐसे चिकित्सकों को संस्थान विभिन्न विषयों में प्रशिक्षित करेगा। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि इससे उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर होगी और पहाड़वासियों को सूदूर पर्वतीय इलाकों में ही उपचार उपलब्ध हो सकेगा। डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि दो बड़े संस्थानों के उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में किसी कार्य के लिए एकसाथ मिलकर प्रयास करना राज्य के खासकर दुर्गम इलाकों के लिए अभूतपूर्व पहल है। उन्होंने निम्हांस के निदेशक का आभार जताया कि उन्होंने मनो रोग जैसे विषय में चिकित्सकों को दक्ष बनाने के लिए एम्स संस्थान के मनो चिकित्सा विभाग को अपने साथ लिया। डीन प्रो. गुप्ता ने बताया कि एम्स संस्थान अगले वर्ष से डिप्लोमा इन प्राइमरी केयर साइकेट्री प्रोग्राम शुरू करेगा। इस अवसर पर दोनों संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में जारी नर्सिंग, काउंसलर व सीएचओ प्रशिक्षण कार्यक्रम के ट्रेनिंग मैनुअल व जनजागरुकता प्रचार सामग्री का मौजूद गणमान्य लोगों द्वारा लोकार्पण किया गया। निदेशक निम्हांस डा. बीएन गंगाधर ने टीम के सदस्यों व प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि निम्हांस व एम्स ऋषिकेश जनहित में हमेशा इस तरह के प्रयास करते रहेंगे, उन्होंने इस दिशा में एम्स के प्रयासों की सराहना की। निम्हांस के प्रो. सुरेश बडावठ ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला एवं नेशनल हेल्थ मिशन तथा मनोचिकित्सा विभाग एम्स ऋषिकेश का धन्यबाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि दोनों संस्थानों ने इस कार्यक्रम के तहत न केवल चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया अपितु मरीजों को टेली मेडिसिन के माध्यम से उनके निकटतम अस्पताल पर ही उपचार की सुविधा दी। राज्य की डीजी हेल्थ डा. अमिता उप्रेती व निदेशक एनएचएम डा. अंजलि नौटियाल ने एम्स व निम्हांस द्वारा चलाए जा रहे इस प्रोग्राम की सराहना की और प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। डा. उप्रेती व डा. नौटियाल ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हमेशा एम्स व निम्हांस जैसे संस्थानों को हरसंभव सहयोग करेगी। मनो चिकित्सा विभागाध्यक्ष डा. रवि गुप्ता ने बताया कि एम्स ऋषिकेश ने एनएचएम उत्तराखंड को इस तरह के नियमित प्रशिक्षण के लिए तीन वर्ष के ट्रेनिंग प्रोग्राम का प्रस्ताव भेजा है, राज्य सरकार की सहमति मिलते ही संस्थान व निम्हांस संयुक्तरूप से उत्तराखंड में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर्स, काउंसलर्स एवं कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर्स सीएचओ और चिकित्सकों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करेंगे। इस अवसर पर प्रो. नवीन कुमार, डा. मंजूनाथ, डा. गीता नेगी, डा. जितेंद्र रोहेला, डा. विशाल धीमान, डा. अनिद्या दास,डा. राजेश कुमार, डा. प्रेरणा बब्बर आदि मौजूद थे।
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जिलाधिकारी नैनीताल ने प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के आदेश दिए।
हल्द्वानी- प्याज के बढते मूल्यों पर नियंत्रण रखने एवं बाजार मे प्याज की पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखने के लिए जिलाधिकारी श्री सविन बंसल ने सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिह को प्याज की जमाखोरी रोकने हेतु कार्यवाही करने के आदेश दिये है। जिलाधिकारी श्री बसंल ने कहा है कि प्याज आम आदमी व गरीब आदमी की जरूरत है ऐसे दौर मे जब प्याज की आपूर्ति कम हो रही हैै। ऐसे में प्याज का अनावश्यक भण्डारण गैरकानूनी माना जायेगा। उन्होने प्याज का कारोबार करने वाले आढतियांे को सख्त हिदायत दी है कि बाहर से प्याज ही आवक होते ही तुरन्त उसको खुदरा बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध करायें। अनावश्यक आपूर्ति एवं वितरण मे अवरोध करने वाले लोगो के विरूद्व
प्रशासन सख्ती से पेश आयेगा एवं अधिक मूल्य वसूलने वालांे के खिलाफ भी कार्यवाही की जायेगी।
जिलाधिकारी श्री बंसल ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार के आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके प्याज के थोक व्यापारियों के लिए 500 कुन्तल एवं खुदरा व्यापारियों के लिए 100 कुन्तल की स्टाॅक सीमा निर्धारित की गयी है। उन्होने कहा इससे अधिक स्टाॅक पाये जाने पर वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
जिस पर सिटी मजिस्टेट प्रत्यूष सिह, मण्डी ने थोक व्यापारियों के गोदामोें का स्थलीय निरीक्षण किया गया। निरीक्षण दौरान सचिव मण्डी विश्वविजय देव सिह, पूर्ति निरीक्षक रवि सनवाल एवं गिरीश जोशी मौजूद थे।
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