राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रूपये जारी।
मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपदा राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह, सांसद श्री तीरथ सिंह रावत, उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री और चमोली जिले के प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी तपोवन आदि क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
कनेक्टीवीटी से कटे गांवों में हेलीकाप्टर से पहुंचाई गई राशन व राहत सामग्री।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, आपदा प्रबंधन, पुलिस, सेना एवं आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ बैठक कर जोशीमठ के रेणी क्षेत्र में आई आपदा में राहत एवं बचाव कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि क्षेत्र में खाद्य सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। राहत एवं बचाव कार्यों में लगे कार्मिकों को भी सभी आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध हो। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई है।
संवेदनशील स्थानों का समय-समय पर सर्वे के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों का समय-समय पर सर्वे कराया जाय। एसडीआरएफ की टीमें भी संवेदनशील स्थानों के निकट तैनात की जाय। आईआरएस के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने जानकारी दी कि ताजी बर्फ के स्खलन से आपदा की संभावना जताई जा रही है। इसकी वजह से नदी के जल स्तर में तेजी से वृद्धि हुई। अब स्थिति सामान्य है।
प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, पानी की सुचारू आपूर्ति
बैठक में जानकारी दी गई प्रभावित क्षेत्र के आस-पास बिजली एवं पानी की आपूर्ति सुचारू हैं। तत्काल राहत के लिए एक हजार राशन के पैकेट एवं अन्य सामग्री भेजी गई है। रैस्क्यू का कार्य जारी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सैन्य सलाहकार ले.ज.(रिटा.) जे.एस.नेगी, मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव श्री आनन्द वर्द्धन, सचिव श्री अमित नेगी, श्री नितेश झा, श्री शैलेष बगोली, श्री दिलीप जावलकर, श्री एस.ए. मुरूगेशन, श्री सुशील कुमार, श्री दीपेन्द्र चौधरी, कर्नल श्री एस. शंकर, आईटीबीपी के कमाडेंट श्री शेंदिल कुमार, आईजी श्री संजय गुंज्याल, डीआईजी श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
लापता लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता के लिए जारी होगी एसओपी
मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश ने बताया कि सरकार की मंशा है कि लापता लोगों के परिजनों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके। इसकी प्रक्रिया तय करने के लिए जल्द ही एक एसओपी जारी की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह, सांसद श्री तीरथ सिंह रावत, उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री और चमोली जिले के प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी तपोवन आदि क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और स्थानीय लोगों से बात की। विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट, विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने भी तपोवन एवं रैणी मे आपदा प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया।
सर्च व रेस्क्यू आपरेशन तेजी से जारी
चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के दूसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सडक पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हैलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। जिलाधिकारी ने बताया कि जब तक यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था या पुल तैयार नही हो जाता तब तक हैली से यहां पर रसद पहुंचाने का काम जारी रहेगा और जल्द से जल्द क्षेत्र के लोगो की परेशानियां दूर करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 70, एनडीआरएफ के 129, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 02 मेडिकल टीमें लगी हुई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना के बाद 18 शव मिल गए हैं जबकि 202 लोग लापता हैं। एनटीपीसी से 12 और ऋषिगंगा प्रोजेक्ट से 15 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।
गोमुख क्षेत्र में गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी के लिए वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को बजट जारी
राज्य में ग्लेशियरों से होने वाली संभावित आपदा के दृष्टिगत मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गोमुख क्षेत्र के अंतर्गत गंगोत्री हिमनद (ग्लेशियर) की निगरानी के लिए वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को बजट आवंटित करने पर सहमति दी है।
निदेशक वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान से शीतकालीन मौसम के दौरान गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में किसी भूस्खलन या कृत्रिम झील आदि के निर्माण के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजने का अनुरोध राज्य सरकार की ओर से किया गया था। इसके लिए वाडिया संस्थान ने राज्य सरकार से 12 लाख रूपए की मांग की थी। साथ ही यह भी जानकारी दी थी कि माननीय उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के अनुसार शीतकालीन मौसम के दौरान इस क्षेत्र का निरीक्षण करना भी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में बिना देरी किए तत्काल 12 लाख की मंजूरी के आदेश कर दिए हैं।
मोरी में पुल के लिए धनराशि मंजूर
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी के विकासखंड मोरी के अंतर्गत बड़गाड़-घन्डूगाडखड्ड पर लॉग ब्रिज का पुनर्निर्माण करने के लिए आपदा प्रबंधन व पुनर्वास विभाग के प्रस्ताव पर 4 लाख रुपए की राशि के आवंटन को स्वीकृति दी गई थी। हालांकि यह राशि पिछले वित्तीय वर्ष में जारी की गई थी। पर कोरोना काल और मौसम की विविधता के कारण विभाग यह राशि 19-20 में खर्च नहीं कर सका। इस पर विभाग ने वर्ष 20-21 में इस जारी को दोबारा से जारी करने का प्रस्ताव रखा। जिस पर मुख्यमंत्री ने क्षेत्रीय जनता की परेशानी को देखते हुए तत्काल इसका अनुमोदन दे दिया है।
6 जिलों को आपदा प्रबंधन के तहत मिला बजट
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, चंपावत, उत्तरकाशी, चमोली, व देहरादून के लिए वित्तीय वर्ष 20-21 में जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के संचालन के लिए बजट आवंटन पर मोहर लगा दी है। इसके तहत आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अंतर्गत पारिश्रमिक मद में 7.83 लाख और परिचालन केंद्र के तहत 11 लाख की धनराशि अवमुक्त करने को मंजूरी दी गई है।
चमोली के तहसील चमोली के ग्राम रोपा के अति संवेदनशील 3 प्रभावित परिवारों को अन्यत्र विस्थापित करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने सहमति दी है।
पुनर्वास नीति के तहत नई सुरक्षित स्थान पर तीनों परिवारों को पुनर्वासित किए जाने के प्रस्ताव पर आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में पहले ही सहमति दी जा चुकी है। इस प्रस्ताव का परीक्षण कर इसे उचित पाया गया। राज्य पुनर्वास समिति की बैठक में इसका अनुमोदन भी किया गया।