-हेमन्त नेगी
मैं भी राष्ट्रवादी हूं पर , राष्ट्रवाद राज्य सरकार के चुनाव में जायज नहीं, अगर मेरा लिखा समझ सको तो पढ़ो ???
राष्ट्रवाद के नाम पर इस बार वोट देने वालो…
अगर उत्तराखंड की सरकारी नौकरी झारखंडी को दे दी तो तुम्हे तकलीफ क्यों वो भी तो इसी राष्ट्र का है ? ✅✅
अगर उत्तराखंड में प्राइवेट कंपनी में सहारनपुर वालों को नौकरी दे दी तो तुम्हे तकलीफ क्यों वो भी तो इसी राष्ट्र का है?? ✅✅
अगर उत्तराखंड की जमीन दिल्ली के धन्ना सेठ ने खरीद ली और कब्जे कर रहे तो तुमको तकलीफ क्यों क्यों वो भी तो इसी राष्ट्र का है?? ✅✅
अगर उत्तराखंड में संविदा पर अधिकतर UP, MP के लोग को उत्तराखंड सरकार भर्ती कर रही तो तकलीफ क्यों वो भी तो इसी राष्ट्र के हैं, राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है??✅✅
अगर तुम्हारे पानी पर उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र का कब्जा है तो तकलीफ क्यों काम तो दिल्ली, UP, हरियाणा के आ रहा वो भी तो अपने राष्ट्र के हैं ?? ✅✅
अगर खनन के ठेके अधिकतर बाहर की कंपनियों को मिल रहे तो तकलीफ क्यों हैं तो इसी राष्ट्र की कंपनी ?? ✅✅
अगर उत्तराखंड में अरबों खरबों के निर्माण कार्य मैं सारे इंजीनियर, सुपरवाइजर, वर्कर, मजदूर बाहर के हैं और पैसा कमा रहे जो इसी राष्ट्र के नागरिक हैं तो विरोध कैसा, तकलीफ क्यों, वो भी तो इसी देश के नागरिक हैं तुम चुपचाप किनारे रह कर काम होता देखो उनको पैसा कमाता देखो??✅✅
अगर उत्तराखंड के बजट का और केंद्र सरकार की सहायता योजनाओं का आधे से ज्यादा लाभ बाहरी उठा रहे ओर प्रदेश के मूल निवासियों के हिस्से आधा आ रहा तो तकलीफ क्यों वो भी तो देश के नागरिक हैं?? ✅✅
अगर पर्यटन उद्योग या अधिकतर होटल व्यवसाय बाहरियों के हाथ में है तो तकलीफ क्यों वो भी तो इसी राष्ट्र के हैं ?? ✅✅
अगर तुम्हारे जंगलों पर केंद्र सरकार का कब्जा है तुम एक सड़क तक नही बना सकते तो तकलीफ क्यों है, वो जंगल है तो अपने देश की सरकार के पास ही हैं??✅✅
और अगर आपको तकलीफ हो रही है‼️‼️ और आपको लगता है कि इन मुद्दों पर अपना, अपने प्रदेश के लोगों का हक होना चाहिए तो इन मुद्दों पर आपको क्षेत्रवादी होना पड़ेगा, अपने प्रदेश में पहाड़वादी होना पड़ेगा ✅✅✅
क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों ऐसा ही सोचती हैं जैसा मैंने ऊपर कही और इसी हिसाब से योजनाएं और नीतियों बनाती हैं और इसी लिए प्रदेश में अनेक समस्याएं हैं प्रदेश के लोग पिछड़ रहे ✅✅
ऐसा न हो कि राष्ट्रवाद के अधूरे ज्ञान और जोश के चक्कर में अपनी बोली, भाषा, संस्कृति, पहचान, जल, जंगल, जमीन के अधिकार सब खो दो और आने वाली पीढ़ी को भजन गाने में लगवा दो, जब पूरा राज्य बाहरियों के कब्जे में होगा.
मुझे तो इतनी समझ है✅ क्या आपने है??? कि मुद्दे,परिस्थिति और मोका देख कर क्षेत्रवादी पहाडवादी भी बनो इस बार राज्य मैं UKD चुनो क्योंकि चुनाव राज्य के हैं.
जय उत्तराखंड ???
(साभार हेमन्त नेगी की फेसबुक वाल से-संपादक)