-अरुणाभ रतूड़ी
राष्ट्रपति ने गुरु रविदास जयंती की पूर्व संध्या पर बधाई दी
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने गुरु रविदास जयंती की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई दी है।
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “गुरु रविदास जी की जन्म-जयंती के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
गुरु रविदास एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने भक्ति गीतों के माध्यम से सामाजिक बुराइयों को मिटाने और समाज में सद्भाव लाने का प्रयास किया। उनकी गणना भक्ति आंदोलन के महान संतो में की जाती है।
उन्होंने लोगों के बीच आपसी प्रेम और समानता की भावना का सन्देश दिया। शांति और बंधुत्व की उनकी शिक्षा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। एक प्रबुद्ध आध्यात्मिक व्यक्ति और एक महान समाज सुधारक के रूप में, गुरु रविदास ने हमेशा अपने अनुयायियों को कड़ी मेहनत, परिश्रम और सहनशीलता के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया।
आइए हम गुरु रविदास जी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लें और समानता और सद्भाव पर आधारित समाज के निर्माण में योगदान दें।”
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प्रधानमंत्री ने संत रविदास की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें स्मरण किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संत रविदास की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें स्मरण किया है। उन्होंने यह भी कहा है, ‘मुझे यह बताते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि हमने अपनी सरकार के हर कदम और हर योजना में पूज्य श्री गुरु रविदास जी की भावना को समाहित किया है।’
प्रधानमंत्री ने अनेक ट्वीट्स में कहा;
“महान संत गुरु रविदास जी की कल जन्म-जयंती है। उन्होंने जिस प्रकार से अपना जीवन समाज से जात-पात और छुआछूत जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए समर्पित कर दिया, वो आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायी है।”
“इस अवसर पर मुझे संत रविदास जी की पवित्र स्थली को लेकर कुछ बातें याद आ रही हैं। साल 2016 और 2019 में मुझे यहां मत्था टेकने और लंगर छकने का सौभाग्य मिला था। एक सांसद होने के नाते मैंने ये तय कर लिया था कि इस तीर्थस्थल के विकास कार्यों में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।”
“मुझे यह बताते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि हमने अपनी सरकार के हर कदम और हर योजना में पूज्य श्री गुरु रविदास जी की भावना को समाहित किया है। यही नहीं, काशी में उनकी स्मृति में निर्माण कार्य पूरी भव्यता और दिव्यता के साथ आगे बढ़ रहा है।”
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रॉयल सऊदी सशस्त्र बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर की ऐतिहासिक भारत यात्रा
रॉयल सऊदी सशस्त्र बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर एक ऐतिहासिक और युगांतरकारी यात्रा के तहत 14 फरवरी 2022 को भारत पहुंचे। यह किसी सेवारत शाही सऊदी सशस्त्र बलों के कमांडर की पहली भारत यात्रा है और दोनों देशों के बीच गहन द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का प्रतीक है। इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने दिसंबर 2020 में एक ऐतिहासिक यात्रा के तहत सऊदी अरब का दौरा किया था और यह किसी भारतीय सेना प्रमुख द्वारा सऊदी अरब की पहली यात्रा थी। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करना है।
भारतीय सेना के थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने 15 फरवरी 2022 को साउथ ब्लॉक में लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर का स्वागत किया, जहां उन्हें सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय चर्चा के लिए सेनाध्यक्ष से मुलाकात की और उन्हें सुरक्षा पहलुओं पर जानकारी दी गई।
भारत और सऊदी अरब के बीच आपसी संबंध आर्थिक समृद्धि में साझा हितों, आतंकवाद के संकट को समाप्त करने तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के कारण बढ़े हैं। रक्षा कूटनीति समग्र संबंधों के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है।
लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर 16 फरवरी 2022 को सऊदी अरब के लिए प्रस्थान करेंगे।


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विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने चौथे भारत-ऑस्ट्रेलिया ऊर्जा संवाद की अध्यक्षता की
दोनों पक्षों ने नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, भंडारण, ईवी, महत्वपूर्ण खनिजों और खनन को केन्द्र में रखकर अपने-अपने देशों में ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव से संबंधित विभिन्न गतिविधियों पर चर्चा की
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित प्रौद्योगिकी से जुड़े आशय – पत्र पर हस्ताक्षर किए।
चौथा भारत-ऑस्ट्रेलिया ऊर्जा संवाद 15 फरवरी, 2022 को आयोजित किया गया। भारतीय पक्ष की ओर से केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह और आस्ट्रेलियाई पक्ष की ओर से ऊर्जा एवं उत्सर्जन न्यूनीकरण मंत्री श्री एंगस टेलर ने इस संवाद की सह-अध्यक्षता की।

इस संवाद में चर्चा का मुख्य विषय ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव था और दोनों देशों के ऊर्जा मंत्रियों ने नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, भंडारण, ईवी, महत्वपूर्ण खनिजों, खनन आदि को केन्द्र में रखकर अपने-अपने देशों में चल रही ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। भारत द्वारा ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव से जुड़े विकासशील देशों के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जलवायु वित्त पोषण पर भी प्रकाश डाला गया।


इस संवाद के दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित प्रौद्योगिकी से जुड़े एक आशय – पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। यह आशय – पत्र वैश्विक उत्सर्जन में कमी लाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित प्रौद्योगिकियों की लागत को घटाने और इन प्रौद्योगिकियों की तैनाती को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस आशय – पत्र का मुख्य जोर बेहद कम लागत वाले सौर और स्वच्छ हाइड्रोजन के उत्पादन और उसकी तैनाती को बढ़ाने पर होगा।
भारत-ऑस्ट्रेलिया ऊर्जा संवाद के तहत पांच संयुक्त कार्य समूहों – विद्युत; नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा; कोयला एवं खानों; महत्वपूर्ण खनिज; और तेल एवं गैस – के सह-अध्यक्षों ने संबंधित संयुक्त कार्य समूहों के अंतर्गत अब तक की प्रगति और आगे की कार्य योजना के बारे में जानकारी प्रस्तुत की।
प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और ऊर्जा के क्षेत्र में स्वच्छ बदलाव पर ध्यान देने की तत्काल जरूरत है। इस संदर्भ में, सर्वसम्मत आगे की कार्य योजना में ऊर्जा दक्षता से संबंधित प्रौद्योगिकी; ग्रिड प्रबंधन; फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन, बायोमास या हाइड्रोजन को-फायरिंग, जल चक्र से संबंधित स्थितियों के अधिकतम उपयोग, नवीकरणीय समेकन, बैटरी और इलेक्ट्रिक चालित परिवहन से संबंधित अनुसंधान एवं विकास के मामले में सहयोग जैसे विषय शामिल हैं।
विद्युत क्षेत्र के अलावा, अन्य संयुक्त कार्य समूहों के तहत कई क्षेत्रों में सहयोग अपेक्षित है। इनमें ग्रीन हाइड्रोजन की लागत को कम करना; कोयला आधारित ऊर्जा सुरक्षा और संसाधनों की तैनाती के मामले में सहयोग; खनिज के क्षेत्र में निवेश के अवसर और एलएनजी के क्षेत्र में भागीदारी की संभावना तलाशना आदि शामिल है।
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