राज्यपाल से विवेकानंद सेवा संस्थान के बच्चों ने मुलाकात की।#भारतीय विदेश सेवा की प्रशिक्षु अधिकारी गीतिका शर्मा ने राज्यपाल से शिष्टाचार भेंट की।#प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 182 करोड़ की चार परियोजनाओं का किया गया शिलान्यास।#वित्त सचिव ने वित्त वर्ष 23-24 के आय व्ययक संबंधी निर्देश जारी किए।

राज्यपाल से विवेकानंद सेवा संस्थान के बच्चों ने की मुलाक़ात

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से शुक्रवार को राजभवन में स्वामी विवेकानंद  सेवा संस्थान के बच्चों ने मुलाकात की। इस अवसर पर राज्यपाल सभी बच्चों से बेहद आत्मीयता से मिले और उन्होंने बच्चों से संवाद किया। बच्चों से संवाद करते हुए राज्यपाल ने उनके शौक(Hobby) के बारे में पूछा जिनका सभी बच्चों ने बेहद उत्सुकता के साथ जवाब दिए। राज्यपाल से मिलकर सभी बच्चे बेहद खुश नजर आए।

इस दौरान राज्यपाल ने बच्चों का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि हमेशा ऊंचे सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए दृढ़ निश्चय, आत्मानुशासन और आत्मविश्वास पर हमेशा जोर दें। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए आत्म अनुशासन और समय का सदुपयोग बेहद जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि सभी बच्चे एक अच्छा नागरिक बन कर राष्ट्र समाज व जनहित में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में समय के साथ चलना बेहद जरूरी है इसके लिए बच्चों को अभी से ही आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर जोर देने को कहा। बच्चे भविष्य की चुनौतियों के लिए सदैव तैयार रहें। उन्होंने कहा कि जिस किसी भी क्षेत्र में जाएं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने की कोशिश करें। अपने अन्दर की प्रतिभा को पहचाने और हमेशा उसे निखारने का प्रयास करते रहें।

राज्यपाल ने कहा कि अमृत काल के आने वाले 25 सालों में आप सभी बच्चे देश एवं प्रदेश का नेतृत्व करेंगे। विकसित भारत में आपका बेहद महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने कहा कि आप सभी बच्चों के योगदान से ही उत्तराखण्ड और भारत सर्वश्रेष्ठ स्थान पर होगा। राज्यपाल ने सभी बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर बच्चों के अध्यापकगण और संस्थान के सचिव गुलशन माकिन उपस्थित रहे।

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भारतीय विदेश सेवा की प्रशिक्षु अधिकारी गीतिका शर्मा ने राज्यपाल से शिष्टाचार भेंट की।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से शुक्रवार को भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) प्रशिक्षु अधिकारी सुश्री गीतिका ने शिष्टाचार भेंट की। सुश्री गीतिका दिनांक 27 मार्च से 31 मार्च तक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की जानकारी प्राप्त किये जाने हेतु उत्तराखण्ड के भ्रमण पर हैं। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल को अपने भ्रमण से संबंधित जानकारी दी।

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प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 182 करोड़ की चार परियोजनाओं का किया गया शिलान्यास।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया एवं मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य से संबंधित लगभग 182 करोड़ रूपये की चार परियोजनाओं का शिलान्यास किया। जिसमें 124.10 करोड़ की लागत से दून मेडिकल कॉलेज में 500 शैय्या के नवीन ब्लॉक का निर्माण, रूद्रप्रयाग में 20.38 करोड़ की लागत से क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 18.80 करोड़ की लागत से क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण एवं हल्द्वानी (नैनीताल) में 19.48 करोड़ की लागत से क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण कार्य शामिल है। मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया जोशीमठ से वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

प्रदेश को स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं के लिए केन्द्र सरकार देगी पूरा सहयोग- केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि आज राज्य में 180 करोड़ से अधिक कार्यों का शिलान्यास हुआ है। उत्तराखण्ड विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यदि राज्य सरकार केन्द्र द्वारा दिये गये लक्ष्य को प्राप्त करती है, तो राज्य को धन की कोई कमी न हो, इसका हमारा प्रयास रहता है। उन्होंने कहा कि मैं कल से उत्तराखण्ड में हूं, नीति एवं मलारी गांव में भ्रमण के दौरान इन गांवों में जनता के साथ संवाद स्थापित करने का अवसर मिला। मलारी गांव के हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर की कम्यूनिटी हेथ ऑफिसर ने कहा कि यहां बड़े अस्पताल नहीं है, फिर भी यहां बड़े डॉक्टर की सुविधा मिलती है।

हेल्थ एवं वेलनेस सेंटरों से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच रही है स्वास्थ्य सेवा।

राज्य सरकार ने प्रदेश में 02 हजार हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर स्थापित किये हैं। इन सेंटर में दक्ष कम्यूनिटी हेथ ऑफिसर होते हैं। गांवों से मरीज जब यहां आते हैं, तो भारत सरकार  के ई संजीवनी प्लेटफार्म के द्वारा हम टेलीकन्सल्टेंट से डिस्ट्रिक के हॉस्पिटल से जुड़ जाते हैं। जब मरीज के चेकअप की आवश्यकता लगती है तो उसे कहीं और भेजने के बजाय ई संजीवनी के माध्यम से सीनियर डॉक्टर्स या एक्सपर्ट से टेलीकन्सल्टेंट करते हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर मरीज से भी बात करते हैं। मरीज के ईलाज के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर से जो भी निर्देशन मिलता है, इसके हिसाब से हम इलाज करते हैं।

केन्द्रीय मंत्री ने स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में राज्य सरकार के प्रयासों को सराहा।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गांव में काम करने वाले किसान एवं गरीब लोग जब ईलाज के लिए हेल्थ और वेलनेस सेंटर में जाते हैं, स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सलाह उनको मिल जाती है, तो उन्हें जिला अस्पताल या अन्य अस्पतालों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करने के लिए उन्होंने राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया।

स्वस्थ समाज से ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में और उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश का हेल्थ सेक्टर बदल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम अमृत काल में देश को विकसित राष्ट्र बनायेंगे। इसके लिए हमारी प्राथमिकता है कि देश के नागरिक स्वस्थ रहें। स्वस्थ समाज ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। देश के हेल्थ सेक्टर को पहली बार विकास के साथ मोदी जी ने जोड़ा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर सेक्टर में होलिस्टिक एप्रोच के साथ कार्य किये जा रहे हैं। 2014 से अब तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश में तेजी से सुधार हुआ है। उत्तराखण्ड में होलिस्टिक हेल्थ कवरेज के लिए राज्य को एम्स के साथ ही एम्स का सेटेलाइट सेंटर भी दिया गया है। देश में 1 लाख 56 हजार हेल्थ एवं वेलनेस सेंटरों में आज मुफ्त इलाज हो रहा है। देश में टर्सरी हेल्थ केयर, सेकेण्डरी हेल्थ केयर एवं प्रायमरी हेल्थ केयर को सुनिश्चित करने के लिए हेल्थ इन्फ्रास्टक्चर खड़ा करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए देश में आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्टक्चर मिशन चलाया जाता है। देश में क्रिटिकल हेल्थ केयर के लिए 64 हजार करोड़ रूपये 05 साल में खर्च किये जायेंगे। 01 जनपद में औसतन 100 करोड़ रूपये हेल्थ इन्फ्रास्टक्चर के लिए खर्च किया जा रहा है। भारत में ब्रेन पॉवर एवं मेन पॉवर की कभी कमी नहीं थी। भारत सामर्थ्यवान देश है, सवाल था देश के नागरिक को अवसर देने का, जब अब देश के नागरिक को अवसर मिल रहा है, तो नतीजा हमेशा बेहतर होता है।

टी.बी मुक्त उत्तराखण्ड के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की भी की सराहना।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चार दिन पूर्व वाराणसी में विश्व के 40 देशों के प्रतिनिधि टी.बी समिट के लिए आये थे। यूनाइटेड नेशन ने स्टॉप टी.बी अभियान चलाया है। विभिन्न देशों से आये प्रतिनिधियों को हम हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में ले गये। जिसमें कई देशों के स्वास्थ्य मंत्री भी थे। इन सेंटरों में हमारी आशा बहने, ए.एन.एम., डॉक्टर्स, टी.बी. के मरीज और निक्षय मित्र उनसे संवाद कर रहे थे, तो उन्होने विदेशी प्रतिनिधियों को हेल्थ सिस्टम से संबंधित अनेक जानकारियां दी। केन्द्र सरकार ने सभी जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं एवं अधिकारियों को क्षय रोगियों को गोद लेने का आह्वान किया है। इसमें सबका पूरा सहयोग मिला। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखण्ड में जितने भी टी.बी. के मरीज हैं, उनको किसी न किसी ने गोद लिया है। उन्होंने कहा कि मुझे पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखण्ड सरकार पर भरोसा है कि उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य बने जो सबसे पहले टी.बी मुक्त हो। प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में हमें घोषणा करने का अवसर मिले कि उत्तराखण्ड पहला राज्य बना है, जो टी.बी. मुक्त हो गया। उन्होंने कहा कि जो कार्य राज्य सरकार ने आज हाथ में लिया है, इस पर कार्य तेज गति से हां। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा पूरी मदद दी जायेगी। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश की जनता की आस्था  से जुड़े चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार अच्छा कार्य कर रही है। आगामी चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो अपेक्षा रखी गई है, हेल्थ सेक्टर में चारधाम के लिए राज्य को उनकी अपेक्षा से भी अधिक सहयोग मिलेगा।

वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये जा रहे हैं कार्य।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश के सामर्थ्य से हमने कोविड क्राइसिस से लड़ाई की। हम वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा को मानने वाले लोग हैं। हम केवल अपने बारे में नहीं सोचते, सम्पूर्ण विश्व के बारे में सोचते हैं। स्वास्थ्य हमारे लिए बिजनेस नहीं है, सेवा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि हमारा दायित्व है कि हम दुनिया की मदद करें। उस वक्त भारत ने दुनिया के 150 देशों को दवाई उपलब्ध कराई। 78 देशों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराई है। हम संस्कार के वाहक हैं। हमारे देश के साथ दुनिया का भी भला हो हम ये भी सोचते हैं। भारत में दुनिया से सबसे अच्छे कोविड मैनेजमेंट का उदाहरण प्रस्तुत किया।

उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के लिए मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का जताया आभार।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के लिए 182 करोड़ रुपए से अधिक की चार परियोजनाओं का शिलान्यास कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में इतनी बड़ी सौगात देने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. मनसुख मांडविया का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर जीवन का मुख्य ध्येय होना चाहिए यह हमारी संस्कृति मानती है। सबसे पहले शरीर का ध्यान रखें तभी कोई कार्य ठीक से होगा। इसी मूलमंत्र को ध्यान में रखकर सरकार ने राज्य में जन-स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और दिशा निर्देशन में अन्य क्षेत्रों की भांति स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी देश निरंतर आगे बढ़ रहा है। आज विकास का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसको प्रधानमंत्री जी द्वारा शुरू की गई योजनाओं से लाभ न मिल पाया हो। कोरोना काल में जहां एक ओर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने करोड़ो लोगों के दो वक्त का भोजन सुनिश्चित किया वहीं आयुष्मान भारत योजना ने देश के नागरिकों को यह भरोसा दिलाया कि बीमार होने पर उन्हें निःशुल्क उपचार अवश्य मिलेगा।  

 

बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास एवं सभी को प्रभावी ईलाज हमारी प्राथमिकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में चार मोर्चों पर काम करने के लिए  सरकार रणनीति बना रही है। पहला मोर्चा है, बीमारियों को रोकने के लिए जन-जागरुकता का। दूसरा मोर्चा है, गरीबों को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है। तीसरा मोर्चा है, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की क्वान्टिटी और क्वालिटी में बढ़ोतरी करना। चौथा मोर्चा है, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर काम करना। केंद्र सरकार द्वारा बच्चों के संपूर्ण वेक्सिनेशन के लिए प्रारंभ की गई मिशन इंद्रधनुष योजना, आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाओं का विस्तार प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों तक करने का प्रयास किया गया है। आज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर के प्रति भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंच गया है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व वाली सरकार स्वास्थ्य समस्याओं को टुकड़ों के बजाय समग्र रूप से देखती है, इसलिए हमने भी प्रदेश में सिर्फ इलाज ही नहीं बल्कि वेलनेस पर भी फोकस करना शुरु किया है। इसका ही परिणाम रहा कि कोरोना काल में आयुष से जुड़े हमारे नेटवर्क ने बेहतरीन काम किया। ह्यूमन रिसर्च से लेकर इम्यूनिटी और साइंटिफिक रिसर्च तक हमारे आयुष नेटवर्क का इंफ्रास्ट्रक्चर देश के बहुत काम आया।

प्रदेश में योग, आयुर्वेद एवंज ड़ी-बूटी कृषिकरण को दिया जा रहा है बढ़ावा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की दवाओं और वैक्सीन के साथ-साथ हमारे मसालों और हमारे काढ़े का भी वेलनेस के क्षेत्र में कितना बड़ा योगदान है, ये दुनिया ने कोरोना काल में अनुभव किया। योग,प्राणायाम,आयुर्वेद सहित भारत के जड़ी बूटी ज्ञान ने विश्व को चमत्कृत किया। इसलिए राज्य सरकार ने प्रदेश में योग व आयुर्वेद को बढ़ावा देने के साथ – साथ “मेडिसनल प्लांट“ की खेती पर भी ध्यान दिया है। हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ चलाई जा रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश में स्वास्थ के क्षेत्र में “निःशुल्क जांच योजना“ जैसी एक प्रमुख योजना भी प्रारम्भ की है, जिसके तहत मरीजों को 207 प्रकार की पैथेलॉजिकल जांचों की निशुल्क सुविधा मिल रही है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में “किफायती स्वास्थ्य सेवा“ पर ध्यान केंद्रित करने से वंचित तथा मध्यम वर्ग को काफी लाभ होता है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 5 सालों में जितने काम हो सकते थे उनको धरातल पर उतारने का काम किया गया है। आगे भी हम उत्तराखंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में और अच्छा क्या हो सकता है, इसके लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से राज्य को 01 लाख 24 हजार लोगों से ब्लड डोनेशन कराने का लक्ष्य दिया गया था। राज्य में एक लाख 01 लाख 67 हजार लोगों ने ब्लड डोनेशन किया है। उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने सबसे ज्यादा ब्लड डोनेशन किया है और ई रक्तकोश में 80 हजार लोग अभी तक रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं। देश में आयुष्मान भारत योजना लॉन्च हुई तो हमारे राज्य में अटल आयुष्मान योजना लॉन्च की गई। राज्य में अभी तक 50 लाख 24 हजार अटल आयुषमन कार्ड बनाये जा चुके हैं। 07 लाख से ज्यादा लोगों का इस योजना के तहत ईलाज हो चुका है, जिसमें 13 सौ करोड़ से अधिक खर्चा हो चुका है। अब राज्य में किडनी ट्रांसप्लांट भी आयुष्मान कार्ड में कवर कर दिया है। प्रदेश में 91 प्रतिशत संस्थागत डिलीवरी हो रही है। प्रदेश में सरकार ने ईजा बोई योजना शुरू की है। जिसमें गर्भवती महिलाओं को 2000 रूपये पौष्टिक आहार के लिए दिया जाएगा। राज्य में 32 लाख लोगों की आभा आईडी बनकर तैयार हो चुकी है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, सांसद श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल, विधायक श्री खजान दास, श्री विनोद चमोली, श्री प्रदीप बत्रा, श्रीमती सरिता आर्य, श्रीमती रेनू बिष्ट, मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, संयुक्त सचिव स्वास्थ्य, भारत सरकार श्री विशाल चौहान, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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वित्त सचिव ने वित्त वर्ष 23-24 के आय व्ययक संबंधी निर्देश जारी किए।

सचिव वित्त श्री दिलीप जावलकर द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय व्ययक की वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत किए जाने के संबंध में शासन के उच्च अधिकारियों के साथ सभी विभागाध्यक्ष एवं वित्त नियंत्रकों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं उन्होंने कहा है कि वित्तीय विकेंद्रीकरण पर विशेष ध्यान देते हुए मा. विधानसभा द्वारा पारण एवं मा. राज्यपाल की स्वीकृति के उपरान्त “उत्तराखण्ड विनियोग अधिनियम, 2023 प्रख्यापित किया जा चुका है जिसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक हेतु कुल रू. 77,407.08 करोड़ की मांगे अनुदानवार स्वीकृत हुई हैं। उक्त धनराशि के सदुपयोग हेतु दिशानिर्देश संबंधी शासनादेश भी वित्त अनुभाग-1 के स्तर से दिनांक 31.3.2023 को निर्गत कर दिया गया है।
जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि प्रावधानित धनराशि के समय पर सदुपयोग हेतु प्रक्रिया के सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारीकरण पर बल दिया गया है। वित्त विभाग द्वारा अधिकांश धनराशि का प्रशासकीय विभागों एवं विभागाध्यक्षों के स्तर पर विकेन्द्रीकरण कर दिया गया है एवं तदनुसार उनके स्तर से प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत की जा सकेंगी। जिला योजना, केन्द्रपोषित योजनाओं तथा वाह्य पोषित योजनाओं में समस्त स्वीकृतियां प्रशासकीय विभागों द्वारा ही निर्गत की जानी हैं। रु. 20 लाख से अधिक लागत के नए निर्माण कार्यों की ही स्वीकृतियां वित्त विभाग की पूर्व सहमति से जारी की जाएंगी एवं तदोपरान्त चालू निर्माण कार्यों में धनराशि प्रशासकीय विभागों के स्तर से अवमुक्त कर दी जाएगी।
रू. 20 लाख तक की सीमा के लघु निर्माण कार्यों की स्वीकृति हेतु संबंधित विभागाध्यक्षों को अधिकृत किया गया है। लघु कार्यों में कुल बजट प्रावधान का कम से कम 10 प्रतिशत धनराशि दिव्यांगजनों के कल्याण व सुगम्यता सुनिश्चित किये जाने से सम्बन्धित कार्यों में व्यय किये जायेंगे। रु. 50.00 लाख से कम लागत की परियोजना हेतु धनराशि एक किश्व में रु. 50.00 लाख से रू. 2.00 करोड़ की परियोजना हेतु 60. व 40 प्रतिशत की दो किस्तों में तथा रू. 2.00 करोड़ की लागत से अधिक धनराशि की परियोजनाओं हेतु 40-40-20 प्रतिशत की तीन किश्तों में धनराशि अवमुक्त की जाएगी। एस.ए.एस (Scheme for Special Assistance to State for Capital Investment)  के अन्तर्गत निर्माण कार्यो की गुणवत्ता सुनिश्चित किए जाने हेतु नियोजन विभाग द्वारा नामित संस्थाओं से तृतीय पक्ष गुणवत्ता नियंत्रण जांच कराई जाएगी एवं जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुपालनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
नाबार्ड द्वारा अनुमोदित कार्यों हेतु अवमुक्त मोबिलाइजेशन अग्रिम धनराशि वित्त विभाग की सहमति से निर्गत की जाएगी। तदोपरान्त प्रशासकीय विभाग कार्य की प्रगति के आधार पर बजट प्रावधान की सीमा के अन्तर्गत धनराशि अपने स्तर से निर्गत करेंगे एवं व्यय की गई धनराशि के बीजक ससमय नाबार्ड को प्रतिपूर्ति हेतु उपलब् कराएंगे। किन्तु धनराशि अधिकतम तीन चरणों में स्वीकृत कर कार को समयबद्ध अवधि में पूर्ण कराया जाना होगा। विभागों एवं कोषागारों द्वारा आहरण / वितरण की प्रक्रिया को ओ अधिक पेपरलैस बनाए जाने का प्रयास भी किया गया है।