इस दौरान राज्यपाल को गुरूद्धारा प्रबंध कमेटी व मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान उनके साथ प्रथम महिला श्रीमती गुरमीत कौर भी उपस्थित रहीं।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि टीएचडीसी की टिहरी यात्रा कार्यक्रम के प्रारम्भ से पूर्व अतीत की ओर देखें तो जल विद्युत की अपार संभावनाओं वाले इस राज्य में वर्ष 1906-07 से ही लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना होने लगी थी। 1914 में मसूरी के भट्टाफॉल में स्थापित ग्लोगी जल विद्युत परियोजना जो मैसूर के बाद देश का दूसरा और उत्तर भारत का प्रथम विद्युत संयंत्र था। जिसका वर्तमान में पुनः कायाकल्प किया जा रहा है।
समय के साथ-साथ ग्लोगी जल विद्युत परियोजनाओं से लेकर पंचेश्वर बांध परियोजना सहित लगभग 21 जल विद्युत परियोजनाओं में कई परियोजनायें निर्मित एवं क्रियाशील हैं, कुछ एक निर्माणाधीन हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल विद्युत परियोजना के इस सफर में टीएचडीसी का पदार्पण केन्द्र सरकार के माध्यम से 1989 में हुआ तथा 1990 में इस कार्पोरेशन को विस्थापित लोगों के पुनर्वास की भी जिम्मेदारी सौंपी गई। 2400 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना में दो चरण हैं। प्रथम चरण में 1000 मेगावॉट की टिहरी बांध एवं जल विद्युत परियोजना है। द्वितीय चरण में 1000 मेगावाट की टिहरी पम्प स्टोरेज प्लान्ट तथा 400 मेगावाट की कोटेश्वर बांध एवं जल विद्युत परियोजना है। सरकार द्वारा गत वर्ष टी०एच०डी०सी० के जलाशय का जलस्तर 830 मीटर भरने की भी अनुमति प्रदान की गयी। सरकार के इस निर्णय से उत्पादन में, जो पहले 3000 मिलियन यूनिट थी, उसमें जलस्तर बढ़ोत्तरी से 20 मिलियन यूनिट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन हो पाया है। जिससे 770 करोड़ रुपए की आय का प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी हो पा रही है।टिहरी बांध के अतिरिक्त ज्भ्क्ब्प्स् कोटश्वर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट सहित अन्य हाइड्रो, सौलर, पवन ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन कर रहा है तथा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है।उन्होंने आशा व्यक्त की कि ज्भ्क्ब्प्स् देश में ऊर्जा संचय में भारत सरकार की पहल में अग्रणी भूमिका बढ़ाते हुए शीघ्र ही टिहरी च्ैच् परियोजना को पूर्ण करेगा और देश के विभिन्न राज्यों में भारत सरकार द्वारा सौंपी गई विभिन्न स्टोरेज परियोजनाओं में भी द्रुत गति से कार्य आगे बढ़ायेगा।
केंद्रीय मंत्री श्री आर.के.सिंह ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में हाइड्रो पॉवर का महत्व बहुत बढ़ गया। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की मुहिम में क्लीन सोर्सेज ऑफ एनर्जी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने टिहरी हाइड्रो बांध की क्षमता के पूरे उपयोग के लिए सहमति देने के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि जिन राज्यों के पास हाईड्रो पॉवर का पोटेंशियल है, उन राज्यों की आर्थिकी को बढ़ाने में हाईड्रो पॉवर की अहम भूमिका रही है। हाईड्रो पॉवर के क्षेत्र में उत्तराखंड में भी अनेक संभावनाएं हैं। हैं। उन्होंने कहा कि हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने में कठिनाई तो है, लेकिन समाधान सेंसिविटी से किया जाय तो हाइड्रो प्रोजेक्ट फायदेमंद होते है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट के अंश के लिए उत्तराखंड सरकार से जो मांग की गई है, उस पर न्यायोचित कार्यवाही की जाएगी। टिहरी बांध से संबंधित पुनर्वास के सभी लंबित मामलों का समाधान किया गया है।
इस अवसर पर सांसद श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक श्री किशोर उपाध्याय, जिला पंचायत अध्यक्ष टिहरी श्रीमती सोना सजवान, सचिव ऊर्जा भारत सरकार श्री आलोक कुमार, सीडीओ टिहरी श्रीमती नमामि बंसल, एसएसपी श्री नवनीत भुल्लर, प्रबंध निदेशक टीएचडीसी श्री राजीव विश्नोई मौजूद थे।
श्री सुनील शर्मा, सम्भागीय परिवहन अधिकारी, देहरादून द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में लगभग 1100 बसों का संचालन रोटेशन व्यवस्था के अन्तर्गत किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड परिवहन निगम द्वारा भी यात्रा मार्गों पर लगभग 80 वाहने उपलब्ध करायी गयी हैं। ठेका बसों, टैक्सी / मैक्सी कैब के अतिरिक्त प्रतिदिन लगभग 100 वाहनें एक धाम दो धाम, चार धाम हेतु प्रस्थान कर रही हैं और लगभग इतनी ही संख्या में वाहने यात्रा पूरी कर लौट रही हैं। वर्तमान में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या के आधार पर यदि परिवहन निगम द्वारा 15 से 20 अतिरिक्त बसे उपलब्ध करायी जाती है, तो यात्रियों हेतु वाहनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और उन्हें वाहनों के लिये अधिक इन्तजार नहीं करना पड़ेगा।बैठक में विस्तृत विचार विमर्श में उपरान्त निम्नवत निर्देश दिये गयेः
सम्बन्धित सम्भागीय / सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी द्वारा वाहनों की आवश्यकता का मूल्यांकन कर लिया जाय और यात्रियों की संख्या के आधार पर वाहनों की व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाय।
उत्तराखण्ड परिवहन निगम से भी अतिरिक्त बसों की मांग के सम्बन्ध में निगम के अधिकारियों से वार्ता कर ली जाय और यह प्रयास किया जाय कि निगम की वाहनों को चारधाम के स्थान पर एक या दो धाम यात्रियों के आवागमन हेतु ही प्रयोग किया जाय, ताकि उक्त वाहने लम्बी अवधि तक धामों पर न फंसी रहे।
सिटी बस / स्कूल बस के चालकों को पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने का अनुभव अपेक्षाकृत कम होता है। अतः यात्रा कार्य हेतु यदि अपरिहार्य हो तो ही सिटी बस / स्कूल बस लिये जाने पर विचार किया जाय और उन्हें यात्रा मार्ग के स्थान पर ऋषिकेश-हरिद्वार-देहरादून इंटरसिटी संचालन में प्रयोग किया जाय।
यद्यपि कुमाऊँ मण्डल से वाहनें चारधाम यात्रा हेतु पूर्व में ही मंगायी गयी हैं, फिर भी यदि आवश्यकता हो, तो कुमाऊँ मण्डल से अन्य वाहनें मंगाये जाने का प्रयास कर लिया जाय इस सम्बन्ध में सम्बन्धित परिवहन कम्पनियों से वार्ता कर ली जाय।
यात्रा मार्गों पर स्थापित प्रवर्तन दलों एवं चैकपोस्टों पर वाहनों को अनावश्यक न रोका जाय और ग्रीन कार्ड / ट्रिप कार्ड की जाँच त्वरित गति से करते हुए इस प्रकार चैकिंग को सुनियोजित किया जाय कि जाम की स्थिति उत्पन्न न हो।
दिनांक 25-05-2022 को जनपद टिहरी में घटित सड़क दुर्घटना की जाँच हेतु डॉ० अनीता चमोला, सहायक परिवहन आयुक्त, उत्तराखण्ड को जॉच अधिकारी नामित किया जाता है। जाँच अधिकारी द्वारा एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट परिवहन आयुक्त को प्रस्तुत की जायेगी।******
सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखण्ड श्री मस्तु दास ने बताया है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के क्रम में जनपद चम्पावत की 55-चम्पावत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उप निर्वाचन, 2022 के मतदान हेतु सभी मतदाताओं द्वारा मतदाता फोटो पहचान पत्र का प्रयोग किया जायेगा, जो मतदाता अपनी पहचान हेतु फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं, उन्हें पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंको/डाकघरों द्वारा जारी किए गए फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के अन्तर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राईविंग लाइसेन्स, पैन कार्ड, एनपीआर के अन्तर्गत आरजीआई द्वारा जारी किये गये स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्र/राज्य सरकार/लोक उपक्रम/पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गये फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सांसदों/विधायकों/विधान परिषद् सदस्यों को जारी किए गए सरकारी पहचान पत्र तथा यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी कार्ड में से कोई एक दस्तावेज, वैकल्पिक फोटो पहचान के तौर पर प्रस्तुत करना होगा।