-अरुणाभ रतूड़ी
राज्यपाल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की व होली की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
देहरादून 07 मार्च, 2023
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तराखण्ड की समस्त महिलाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। राज्यपाल ने कहा कि महिला सशक्तिकरण तथा उनके अधिकारों को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मात्र महिलाओं के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, अपितु संपूर्ण समाज के संतुलित एवं सर्वांगीण विकास के लिए पुरुषों के लिए भी समान महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि हमें महिला सशक्तिकरण से एक कदम आगे, महिला नेतृत्व की ओर बढ़ना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि बेहतर शिक्षा, कौशल विकास तथा पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवा कर ही महिलाओं को वास्तव में सशक्त तथा आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। हमें एक ऐसी संस्कृति तथा वातावरण बनाना है जिसमें महिलाओं को निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता हो।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की परिश्रमी व साहसी महिलाओं का राज्य के विकास एवं प्रगति में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में परिवार का सबसे सशक्त सदस्य हमारी महिलाएं ही हैं वे अपनी क्षमता के बल पर किसी भी चुनौति से निपटने में सक्षम हैं। राज्य में रोजगार के लिए पुरुषों के पलायन के कारण महिलाएं ही राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक संरचना की रीढ़ हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में महिलाओं ने अपने परिश्रम व साहस के बल पर अपने घर, गांव, खेतों और संस्कृति को आबाद रखा। राज्य आंदोलन में भी यहां की वीर नारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
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राज्यपाल ने होली के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
राजभवन देहरादून 07 मार्च, 2023
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने प्रदेशवासियों को होली की शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने कहा कि ‘‘हर्ष और उल्लास के रंगों से भरपूर होली का पर्व सभी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के रंग लेकर आये। उन्होंने कहा है की इस अवसर पर हम घृणा, अहंकार एवं बुराइयों का त्याग कर सामाजिक सद्भाव तथा नवीन उत्साह व उमंग से होली का स्वागत करें। हम आपसी मतभेदों और कटुता को भुलाकर एक दूसरे के प्रति प्रेम-भाव और सहयोग को प्रोत्साहित कर सुरक्षित प्रकार से होली मनाएं।
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मुख्यमंत्री ने जन औषधि दिवस पर डा.पुनीत धमीजा,डा.मुकुल अग्रवाल व कुसुम गोयल को सम्मानित किया
राज्य के जिन मेडिकल कॉलेजों में कैथ लैब नहीं हैं, उन सभी मेडिकल कॉलेजों में कैथ लैब बनाये जायेंगे। राज्य के सभी चिकित्सा इकाइयों में एमआरआई, सिटी स्कैन की पूरी व्यवस्था एवं टेक्निशियन की कमी को पूरा किया जायेगा, इसमें सभी जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज सम्मिलित हैं। यह घोषणा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में जन औषधि दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 2022-23 में जन औषधि के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाले डॉ. पूनीत धमीजा, जन औषधि मित्र के रूप में श्रेष्ठ कार्य करने वाले श्री मुकुल अग्रवाल एवं जन औषधि ज्योति के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाली श्रीमती कुसुम गोयल को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को जन औषधि दिवस एवं होली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखना अत्यंत आवश्यक है, शरीर की रक्षा करना और उसे निरोगी बनाये रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। बीमारी लगने पर पहले लोगों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती थी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देशभर में जन औषधि केंद्र खोलकर लोगों को सस्ती और सुलभ दवाइयां उपलब्ध कराने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री जी का लक्ष्य है कि अंतिम पंक्ति में खड़ा कोई भी व्यक्ति इलाज से वंचित न रहे, इसके लिए केंद्र तथा राज्य की सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। आज सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक कार्य कर रही है। जन औषधि योजना के अंर्तगत सरकार कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध करा रही है। इस योजना के द्वारा अभी तक 850 से ज्यादा दवाओं का मूल्य नियंत्रित किया गया है। इन केंद्रों द्वारा हमारी बहनों और बेटियों को सिर्फ एक रुपये में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जन औषधि योजना सेवा और रोजगार दोनों का एक सशक्त माध्यम बन गई है। इस योजना से सिर्फ पुरुषों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी बहुत लाभ हुआ है। देशभर में एक हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्र तो ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ महिलाएं ही चला रही हैं। यह योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है। इस योजना द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में, मलिन बस्तियों में, जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले देशवासियों तक सस्ती दवा पहुंचाने में मदद मिल रही है। इस योजना से फार्मा सेक्टर में संभावनाओं का एक नया आयाम भी खुला है, आज मेड इन इंडिया दवाइयों और सर्जिकल्स की मांग बढ़ी हैं और मांग बढ़ने से उत्पादकता भी बढ़ी है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उत्पन्न होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत मुहिम को भी बल मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही आज लोगों को निःशुल्क इलाज के साथ ही सस्ती दवाएं मिल पा रही है। महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना आज देश भर में लाखों लोगों को चिकित्सा के क्षेत्र में फायदा पहुँचा रही है। प्रदेश में अभी तक आयुष्मान योजना के अंतर्गत भारत सरकार के सहयोग से, 70 हेल्थ एवं वेलनेस केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं। इन सभी 70 हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों में जनसामान्य की चिकित्सा सुविधा के लिए योग, आयुर्वेद, पंचकर्म सम्बंधित सभी सेवाओं के साथ-साथ लैब टेस्टिंग जैसी सुविधाओं और जन औषधि केंद्र को भी जोड़ा गया है, ताकि लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। राज्य सरकार प्रदेश में अंत्योदय के लक्ष्य को लेकर लगातार कार्य कर रही है। राज्य में भी अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 05 लाख रूपये तक का सुरक्षा कवच दिया गया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस योजना की नियमित समीक्षा करने को भी कहा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में जो भी जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं, उनमें सरकार द्वारा 05 लाख रूपये की सहायता दी जाती है। गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने में जन औषधि केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राज्य को अभी 400 जन औषधि केन्द्र खोलने का लक्ष्य मिला है, 225 जन औषधि केन्द्र खोले जा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य की सभी 670 न्याय पंचायतों में कोपरेटिव सोसायटी में एक-एक जन औषधि केन्द्र खोला जायेगा। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैबिनेट ने राज्य में 500 से अधिक विकलांग बच्चों को घर पर ही शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार 265 अध्यापकों की नियुक्ति करने जा रही है। राज्य के 850 अनाथ बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम से 13 हॉस्टल बनाये जा रहे हैं, जिनमें से 10 पूर्ण हो चुके हैं। इन हॉस्टल में अनाथ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा एवं रहने की व्यवस्था की गई है। हर जनपद में एक-एक डायलिसिस केन्द्र चल रहा है। राज्य में संस्थागत प्रसव में तेजी से वृद्धि हुई है, पिछले 05 सालों में संस्थागत प्रसव 37 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हुआ है। शिशु मृत्युदर में भी कमी आई है। प्रति हजार शिशु पर शिशु मृत्युदर 29 से घटकर 24 हुआ है। इसे 10 से कम लाने का लक्ष्य रखा गया है।
जन औषधि दिवस कार्यक्रम में आईं श्रीमती दीपा शाह ने कहा कि उन्हें पेरालसिस के ईलाज के लिए पहले 7000 रूपये दवाई लेने में लगते थे, जन औषधि केन्द्रों से उनको यह दवाई मात्र 1500 रूपये में मिलने लगी। उन्होंने इस योजना के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ लेकर वह ठीक हुई। अब वे इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को लगातार जागरूक करती हैं।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल, डॉ. कल्पना सैनी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री महेन्द्र भट्ट, मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, विधायक श्री खजान दास, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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ऐम्स ऋषिकेश में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में यूथ-20 सम्मिट के तहत एम्स ऋषिकेश में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करने पर जोर दिया।
इस मौके पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश एक लैंगिक समावेशी और लैंगिक संवेदनशील संगठन होने की दिशा में काम कर रहा है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने इस अवसर पर महिलाओं के कल्याण के लिए एक सामाजिक समूह की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह समूह लिंग आधारित मुद्दों पर संवेदीकरण और समर्थन की दिशा में काम करेगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम कंडवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गौरा देवी जैसी उत्तराखंड की मजबूत महिलाओं के इतिहास को हमें हमेशा याद रखना चाहिए। उन्होंने महिलाओं से अपने संस्कारों के प्रति संकल्पित रहने का आह्वान किया। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि किसी भी समाज के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका होती है। उन्होंने एक चिकित्सक और नर्स के रूप में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रही महिलाओं के योगदान पर भी प्रकाश डाला और किशोरियों तथा महिलाओं को अपने विषय में गूढ़ अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सिंगापुर से अंतरराष्ट्रीय वक्ता सुश्री अंजू जसवाल ने कॉर्पोरेट क्षेत्र के संदर्भ में कामकाजी महिलाओं के वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर में महिलाओं को कार्यस्थल पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन दिल्ली की प्रोफेसर मीराम्बिका महापात्र ने महिलाओं के लिए भारतीय परिदृश्य के विषय पर चर्चा की और महिलाओं के समर्थन में की जा रही कार्यवाहियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यस्थल के साथ-साथ घरेलू मोर्चे पर महिलाओं की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और लैंगिक संवेदनशीलता और समावेशिता पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम में प्रो.मीराम्बिका व अंजू जसवाल ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।
संस्थान की डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने बालिकाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सशक्त बनाने पर जोर दिया। कहा कि तभी महिला समाज अपना सही मुकाम हासिल कर सकते हैं।
डॉ. वंदना ढींगड़ा ने लैंगिक समानता बनाम समानता और इसे प्राप्त करने के तौरतरीकों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में पीजीआईएमईआर के प्रोफेसर मधु, प्रोफेसर मनोज गुप्ता, प्रोफेसर लतिका मोहन, डॉ. मीनाक्षी धर, डॉ. अंजुम सैय्यद,डॉ.रश्मि मल्होत्रा, प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग डॉ. स्मृति अरोड़ा, डॉ. बेल्सी, डॉ. मलार कोडी, डॉ. पंकज शर्मा, डॉ. पूर्वी कुलश्रेष्ठ, डॉ. पूजा भदौरिया समेत आदि मौजूद थे।