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योगी जी अपनी जन्म ग्रामसभा पर भी एक अहसान कर दीजिए।
-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी (स्वतंत्र पत्रकार)

हमारा अजय बिष्ट
बाल्मीकि रामायण में एक श्लोक का उत्तरार्द्ध है “जननी जन्मभूमिश्चस्वर्गादपि गरीयसी।” यह श्लोक स्वयम् भगवान राम ने कहा है। श्लोक के इस उत्तरार्द्ध का अर्थ विद्वानों ने यह बताया है कि माता व जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है। मेरी समझ के अनुसार यह उत्तरार्द्ध हमें यह शिक्षा देता है आप कहीं भी रहो तो आपको अपनी मां व जन्म भूमि का कर्ज जीवन भर अदा करना होगा।
वैसे तो सम्पूर्ण देश ही हमारी जन्मभूमि होती है पर व्यक्ति के नाम से उसका गांव व ग्रामसभा जुड़ी होती है जिसका वह प्रथम नागरिक होता है। जिसकी मिट्टी में वह खेले,जहां के अन्न को खाकर,जहाँ का जल पीकर,जिसकी वायु ने पहली बार उसके तन में प्राण संचारित किए,उस शहर,गांव व ग्राम सभा के प्रति भी मनुष्य का एक ऋण होना चाहिए।
यह बात मैं सभी के लिए लिख रहा हूँ पर यहाँ मेरा उद्देश्य उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से है। योगी आदित्यनाथ एक योगी हैं। उनकी यशगाथा सुदूर पूर्व से पश्चिम तक तथा उत्तर से दक्षिण तक है।वे गुरु गोरखनाथ के मठ की गद्दी पर विराजमान है।उनका लक्ष्य राम की भव्य नगरी बसानी है।महाराज बसायें हम आपके साथ हैं। हमारी ग्रामसभा सीला के खण्ड ग्राम पंचुर में जन्म लेने के कारण आपकी इस जन्मभूमि का और हमारा आप पर अधिकार बनता है। यह अधिकार तब भी बना रहता है जब आप सांसारिक मोहमाया को त्याग कर गेरुआ वस्त्र धारण कर चुके हो।
आप योगीराज होने के साथ -साथ राजयोगी भी हैं। राजा जनक की तरह।उत्तरप्रदेश के शासक हैं। इसी से हमारी आशा और भी बलवती हो गयी हैं कि मैं आपसे कुछ कहूँ।चूंकि मैं ब्राह्मण हूँ इसलिए अपने गाँव के लिए कुछ मांगना चाहता हूँ। देना न देना आपकी इच्छा पर निर्भर है।
योगी जी महाराज हम आपके राजकोष से कुछ नहीं लेना चाहते।आपको याद होगा कि सीला में सतेड़ी नदी पर एक मोटरपुल था । जिसका निर्माण 1958ं में हुआ था। यह पुल सन् 2014 की आपदा में बह गया था। गांववासियों के द्वारा प्रयास करने पर उसके निर्माण हेतु प्रथम किश्त के रूप में लगभग 58 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं।पर कार्य प्रारम्भ ही नहीं हुआ है।बरसात में सतेड़ी नदी कितनी विकराल हो जाती हैयह आपने बचपन में देखा होगा। नदी के इसपार गांव है तो नदी के उसपार आंगनवाड़ी,प्राथमिक स्कूल,जूनियर स्कूल और हाईस्कूल हैं बरसात में बच्चे व शिक्षक जान पर खेल कर नदी पार करते हैं। अब आप ही सोचिए कि आपजैसे राजनेता की जन्मभूमि की ग्रामसभा के आपदा में बहे पुल का निर्माण सात साल बाद भी नहीं होता तो अन्य स्थानों के हाल क्या होंगेइसका अंदाजा इसी से लग सकता है।
आपसे केवल इतना ही करने का निवेदन हम लोग करते हैं कि आप उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को फोन कर इस पुल को बनवाने के लिए कह दें तो शायद वे आपके कहने से इसे शीघ्र बनवादें।इससे जहां हमारा लाभ होगा आपको भी अपनी जन्म ग्रामसभा के एक ऋण से मुक्ति मिल जाएगी।हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
वैसे मैं अपने 38 साल की पत्रकारिता के अनुभव से एक सत्य जानता हूं कि मेरा यह लेख आप तक नहीं पहुँचेगा और हमारी सरकार हमारा पुल इस साल शायद ही बना पाएगी।