यमकेश्वर का कोरोना योद्धा सुदीप कपरूवान।
-कपिल रतूडी
कोरोना की इस भयंकर विमारी से विश्व जगत में मानव बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश में सरकारी सेवारत कर्मचारियों खासकर डॉक्टरों, नर्सो,पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों, शिक्षकों, मीडियाकर्मियों, सहित न जाने कितने स्वयंसेवक ऐसे भी है जो अपने निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा कर रहे है।
इसी तरह की सेवा में रत है प्रेस क्लब मुनिकीरेती के जनसंपर्क प्रमुख व यमकेश्वर ब्लाक के पैंया गांव निवासी पत्रकार सुदीप कपरुवान। बस अंतर इतना है कि सुदीप किसी सरकारी सेवा में कार्यरत नहीम है ना ही वह किसी सरकारी नियमावली से बंधा है। बस उसे तो दर्द है अपने क्षेत्र वासियो की उस पीड़ा का जिसे वह देख नही पाता है और चला दौड़ा जाता है संकटमोचक की तरह।
वर्तमान परिस्थितियों में लॉकडौन के चलते सुदीप के सामने कई ऐसे अवसर आये कि जिसे वह मना नही कर सका। किसी को ऋषिकेश स्थित एम्स पहुंचना हो, एम्स ऋषिकेश से वापस गांव लाना हो या किसी की आवश्यक दवाइयां ऋषिकेश से लाना हो या फिर किसी की गाय बछड़ों को जिन्हें गांव के लोग वैसे ही मरने के लिये छोड़ रहे है उन्हें गोशालाओं तक पहुंचना ये सब काम सुदीप कपरवान बखूबी निभा रहा है। यमकेश्वर ब्लाक के मुसराली की उर्मिला देवी के पैर में चोट लगने से उनको चलना फिरना रुक गया था। मुसराली गांव में सड़क तो है लेकिन बिना रख रखाव के यहाँ सड़क पर जगह जगह मलबा गिरा हुआ है जिस से यहां आपातकालीन सेवा एम्बुलेंस नही जा पाती।फिर मुसराली से अचानक फोन आता है कि मेरी माँ चलने में असमर्थ है तो सुदीप पैदल ही दौड़ा चला जाता है मुसराली। किसी तरह घायल महिला को सड़क मार्ग तक लाया जाता है और फिर सुदीप अपनी एट हंड्रेड कार से किसी तरह एम्स ऋषिकेश पहुंचता है। इसी तरह एक अन्य गांव की महिला का रात को अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया था जिसे सुदीप ने अपने वाहन से निशुल्क एम्स पहुँचाया।
इसके अतिरिक्त यह तीस वर्षीय युवक जाने अनजाने में कईयों को सेवा भाव से उपचार हेतु अस्पताल तक पहुंचा चुका है। सरकार द्वारा लॉकडौन की सख्ती के चलते यमकेश्वर के ही सीला गांव की किसी बिटिया की आवश्यक दवाई जिसे वह परिवार ऋषिकेश से लेन में असमर्थ था, कि दवाइयां को ऋषिकेश से सुदीप स्वयं सीला गांव पहुंच गया।
दिउली क्षेत्र से कई गांवो के गोपशुधन को सुदीप अब तक गंगाभोगपुर स्थित गोशाला में पहुंचा चुका है। अब, आप क्या इसे कोरोना योद्धा नही कहेंगे तो क्या कहेंगे?
सुदीप का कहना है कि प्रेस से जुड़े होने के कारण उसे इस कार्य में पुलिस व प्रशासन से कभी कोई परेशानी नहीं आई है।उन्होंनेनागरिक प्रशासन व गढवाल पुलिस (थाना लक्ष्मणझूला),टिहरी पुलिस(थाना मुनिकीरेती) व देहरादून पुलिस(कोतवाली ऋषिकेश) के पुलिस कर्मियों व अधिकारियों का सहयोग के लिए आभार प्रकट किया है।
खैर, आप जो भी कहेंगे अच्छा ही कहेंगे परन्तु यमकेश्वर क्षेत्र के लोगो के लिये सुदीप एक कोरोना योद्धा से कम नही है , जो अपने संसाधनों और निस्वार्थ कार्य की भवना से ओतप्रोत होकर समाजसेवा का काम कर रहा है।