मेरा गत वर्ष का मकान मालिक।
मैं चौदह बीघा ढालवाला में विगत ग्यारह वर्षों से किराए के मकान में रह रहा हूँ।इन ग्यारह सालों से कई प्रकार की मानसिकता वाले मकान मालिकों से पाला पड़ा।लगभग एक को छोड़ सभी सौहार्द्ध वाले व बहुत आत्मीयता वाले रहे हैं।
मुझे गत वर्ष ऐसे मकान मालिक मिले जिन्हेंने मकान देते समय बहुत सहृदयता दिखाई। मकान किराया पर देते समय पूछने पर अपनी शर्तें नहीं बतायी। कहा हमारी कोई शर्त नहीं है।सो हम उनके घर किराये पर चले गये।मेरी आदत है कि मैं समय पर किराया व हर बिल का भुगतान करता हूँ। यहां भी मैंने हर बिल समय पर दिया बिजली का मीटर अलग था।पानी के बिल का आधा होता था।कहीं कोई विवाद नहीं था।उसी मकान के प्रथम तल में उनका निवास था पर वे उस नकान में रह नहीं पाते थे। क्यों कि वे दोनो सरकारी सेवा में थे। उनका आना हफ्ते पन्द्रह दिन में ही हो पाता था। अपने काम पर दूसरे शहरों में रहते थे।इस अवधि तक उनका व्यवहार बहुत मृदु था।मैं भी उनकी अनुपस्थिति में उनके बाग-बगीचे, पौधों को आवश्यकता अनुसार पानी देता रहता था।याने सब कुछ सौहार्द्ध पूर्ण चल रहा था।
हमें वहां रहते नौ महीने हुए थे कि एक दिन भवन स्वामी स्थाई रूप से वहां रहने आ गये।वी.आरएस लेकर।धीरे-धीरे वे छोटी-छोटी बातों पर टोका-टोकी करने लगे।इसे मकान मालिक का अधिकार समझते हुए मैं सबको नजरअंदाज करने को कहता था।
इस जनवरी में पानी का बिल अग्रिम रूप से मार्च तक का भुगतान हुआ।हमने भी बिल का भुगतान कर दिया था।अब बिजली का बिल आया।जो लगभग ढाई हजार का था।उनके लगाये मेरे कमरे का सब मीटर जितनी यूनिट दर्शा रहा था उस हिसाब से मेरा बिल रु. 425/-का आ रहा था।जब मैं बिल देने गया तो मकानमालिक ने कहा कि मैं पन्द्रह सौ रुपये दूँ क्योंकि किसी ने मीटर खराब कर दिया। मैंने कहा ठीक है अगर मीटर खराब है तो मैं आधा बिल दे दूंगा और मैंने आधा बिल जो लगभग बारह सौ पिचहत्तर था दे दिया।इस पर मकान मालिक ने कहा कि देना है तो पन्द्रह सौ रुपये दो वरना मकान खाली कर दो।मैंने कहा यह तो समझाओ कि मैं पन्द्रह सौ किस बात का दूँ। मकान मालिक ने फिर कहा कि पन्द्रह सौ दो वरना मकान खाली कर दो। मकान मालिक भूल गये कि दिसम्बर जनवरी की ठंड में उन्होंने ए.सी.भी चलायी होगी।मकान मालिक ने वाशिंग मशीन भी चलायी होगी। उन्होंने हमारे कमरों में टंकी के पानी की सप्लाई रोक दी। वह तो गनीमत थी कि वहां लाईन का पानी बराबर सप्लाई होता था।उन्होंने सब मीटर भी बदल दिया।
उन्होंने हमें 15 अप्रैल का समय दिया था पर मैंने 01मार्च को ही उनका मकान खाली कर दिया था।मैं पहले ही खाली कर देता पर मैं देखना चाहता था कि पन्द्रह दिन में मेरा बिजली का बिल कितना आता है यह देखना था।
जब मकान मालिक के कानों में यह बात पड़ी कि हम उनका मकान खाली कर रहे हैं तो वह अन्य किरायेदारों से कहने लगे कि हमने तो नहीं कहा खाली करवाने को अपने आप खाली कर रहे हैं। अरे भाई जब तुमने टंकी का पानी बंद कर दिया।दोनों पति-पत्नी ने मकान खाली करने को कह दिया तो बाकी कैसे कहते हैं मैं यह नहीं जानता।और जब मकान मालिक मकान खाली करने को कहता है तो मैं तुरंत अगला मकान ढूँढने लग जाता हूँ। मकान मिलते ही मैंने उनसे उनका हिसाब करने को कहा तो आधे माह का किराया व पन्द्रह दिन के बिजली का बिल रु०150/-का बिल दिया। जिसका मैंने तत्काल भुगतान कर दिया।
अब देखिए नये मीटर के अनुसार भी मेरे पंद्रह दिन की कुल 30 यूनिट का बिल रु०150/-हुआ। इस हिसाब से दो माह का बिल रु०600/-होता है।इससे यह सिद्ध हो गया कि पुराना मीटर भी सही था। वे मुझसे अपना बिल भी थोप रहे थे।
ऐसे मकान मालिक के पास जब तक बाहर रहने की विवशता थी तब शायद उन्होंने हमें सर आँखों में बिठाने का नाटक रकर एक तरह से इस्तेमाल किया।जब मकान मालिक वी.आर.एस. लेकर अपने घर आगये तो इनका व्यवहार बदल गया। हो सकता है व्यापारिक दृष्टि से उनका व्यवहार सही हो पर मानवता से बहुत दूर,केवल स्वार्थपरक है।