मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित सड़क कांडी- सीला केवल घोषणा मात्र ही रह गयी है।पढिए करोना पर कविताJanswar.com में वरिष्ठ पत्रकार नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी की रिपोर्ट व कविता।

मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित सड़क कांडी- सीला केवल घोषणा मात्र ही रह गयी है।          (जान हथेली पर लेकर नदी पार करते रा.हाईस्कूल सीला के शिक्षक)

लेख- नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
राज्यस्तरीय मान्यताप्राप्त पत्रकार
राज्य आन्दोलनकारी

कभी किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री किसी विकास कार्य की घोषणा करता था तो प्रदेश की सारी मशीनरी उसे पूरा करने में लग जाती है पर उत्तराखण्ड में ठीक इसके विपरीत है।यहां के अधिकारी मुख्यमंत्री की घोषणा को कोई महत्व महीं देते हैं, जिसका उदाहरण जनपद पैड़ी गढवाल के यमकेश्वर तहसीलांतर्गत कांडी-सीला मोटर मार्ग है इस 5किमी सड़क बनाने के लिए एक नही दो-दो मुख्यमंत्रियों ने घोषणा की पर अभी तक इसका प्रारंभिक सर्वे तक नहीं हो पाया।इस सड़क की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीशरावत ने अपने कांडी आगमन पर इसके निर्माण की घोषणा कांडी में की थी। उसके बाद वर्तमान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने थलनदी आगमन पर इसकी घोषणा की थी पर इस घोषणा का क्रियान्वित आज तक न किया जाना यही दर्शाता है कि अधिकारियों की नजर में इस घोषणा का कोई महत्व ही नहीं है।इन घोषणाओं को करवाने वाले मेरे बड़े भाई राज्य आन्दोलनकारी श्री के.पी.रतूड़ी इस रोड़ का सपना लिए गोलोक धाम सिधार गये पर रोड़ नहीं बन पायी है।
सन् 1958 में कोटद्वार,लालढांग,धारकोटसीला फेडुवा मोटर मार्ग का निर्माण वन विभाग ने किया था।जो सन्1965 के बाद यह मार्ग बखमलगढ व दोज्याला के पास भूस्खलन से इस प्रकार ध्वस्त हुई कि यह फिर नहीं बन पायी।वन विभाग ने दोज्याला के पास पुरानी सड़क के ऊपर से रोड़ निकाली पर पुरानी रोड़ में मिलान होता उससे 100मीटर पहले ही रोड़ को अधूरा छोड़ दिया गया था जिसे स्व.भारतसिंह रावत के प्रदेश योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहते स्वीकृति के पश्चात मिला कर नयी पुरानी सड़क का मेल किया गया था।
कालान्तर में कौड़या किमसार रोड़ के अस्तित्व में आने से और उसके घारकोट में पुरानी रोड़ में मिलान होने से रोड़ की हल्की फुल्की मरम्मत करने पर इस पर मैक्स टैक्सी सीला तक दौड़ने लगीं। रोड़ क्या है बस मैक्स की लीक मात्र।जरा सा हाथ बहका तो सैकड़ों फीट गधेरे में।पर दाद देनी पड़ेगी उन ड्राईवरों को जो इस लीक पर यात्रियों को सुरक्षित पहुंचा देते हैं।दो बार की दुर्घटना को छोड़ कर।यह दुर्घटना भी शायद ड्राईवर के शराब के अत्यधिक नशे में होने के कारण हुई है।
कहते हैं कि घूरे के दिन भी बहुरते हैं इस रोड़ के कुछ भाग पर यह सटीक बैठता है।धारकोट से तिमल्याणी तक यह रोड़ प्रधानमंत्री सड़क योजना में यह सड़क तिमल्याणी मोड़ तक चौड़ी व पक्की बन गयी है वहां से यह तिमल्याणी गांव को चली गयी। जिसका श्रेय पिछली विधायक विजय बड़थ्वाल के साथ साथ वर्तमान विधायक व तिमल्याणी के सामाजिक कार्यकर्ता श्री दर्शन सिंह रावत व पिछली प्रधान श्रीमती रतूडी को रहा है पर मुख्य सड़क आज भी तिमल्याणी मोड़ से लगभग 6 कि.मी. आगे सीला तक यनीय स्थिति में है।आज भी जान जोखिम में डाल कर वाहन ले जाना पड़ता है। वही 1956 की बनी रोड़।जगह जगह जिस पर लैंटाना की झाड़ियां फैली हैं जिनको सीला से डौराणा तक सीला के नवयुवकों ने पुष्कररतूड़ी की अगुवाई में श्रमदान से साफ किया है।
सीला में रवासण (सतेड़ी) नदी पार कर सड़क फेडुवा तक छोटे वाहन चलने लायक है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायणदत्त तिवारी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मेरे एक साधारण पत्र पर(तब मैं ग्रामीण पत्रकार ऐसोसिएशन उत्तराखण्ड का प्रदेश महासचिव था।)सीला पुल से फेडुवा तक सड़क निर्माण कार्य व मरम्मत कार्य करााया था। यहां से कांडी सड़क की दूरी लगभग तीन कि.मी.है।आश्चर्य है कि दस वर्ष से यह तीन किमी सड़क नहीं बन पायी। इसके लिए प्रथम किस्त भी जारी हो चुकी है पर द्वितीय किस्त का भुगतान न होने से इसके टेंडर नहीं हो पाये। सुना है कि कुछ लोगों की पहल पर इसे काडी सील की जगह कांडई सीला कर ने की कोशिश की जा कही है।
दुर्भाग्य देखिए इसी रोड़ पर सीला में रवासण(सतेडी़) नदी पर सन् 1958 में बना मोटर पुल सन् 2014 की आपदा में बह गया जिससे खैराणी से सीला की ओर वाहनों का आना जाना तो रुक ही गया साथ ही सीला के ग्रामीणोंं का बरसात में आना जाना रुक गया। साथ ही खैराणी स्थित प्राथमिक विद्यालय सीला व राजकीय हाई स्कूल सीला के बच्चे व अध्यापक अपनी जान जोखिम में डाल कर इस नदी को पार कर विद्यालय में जाते हैं।
इस पुल का पुनर्निर्माण शासन द्वारा स्वीकृत तो होगया तथा 59लाख रुपये की पहली किस्त जारी हुई है।तथा पुल का सर्वे हो चुका है। अब यह पुल कब तक बनता है कहा नहीं जा सकता।
कांडी सीला लिंक रोड के लिए कांडी के किसानों व ग्राम सभा कांडी के तत्कालीन ग्राम प्रधान श्री हरगोविन्द सिंह नेगी ने एनओसी दी हुई है। इस सबके बावजूदऔर दो-दो मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी इस पांच किमी सड़क का न बन पाना अधिकारियों की अकर्मण्ता का द्योतक ही माना जाएगा।

कांडी से इस रोड़ के बनने में यदि कोई अड़चन है ते इसके कई विकल्प हैॆं रोड़ को पंचूरखाल, ठांगर या ग्वाडी़ मिलाया जा सकता है।पर आवश्यकता इस बात की है कि अधिकारी मुख्यमंत्री की घोषणा को कितनी गम्भीरता से तो लेवें।

—————————————————

कोरोना सब पर भारी है

हे शिव! चीन देश में उपजा
यह कोरोना सबपर भारी है,
हो कर त्रसित इससे पूरी
मानव जाति हारी है।
कोई उपचार नहीं इसका
वायरस जनित बीमारी है
न कोई दवा बन पायी है
रुके प्रबल प्रतिरोधक क्षमता से
न कोई दवा बन पायी है।
पांचों महाद्वीपों में उन्मत
दानवी सी यह डोल रही
लाखों लोगों के जीवन को
कुछ ही माहों में लील गयी।
श्वसन तंत्र में चुपके से घुस
महाक्षति उन्हें पहुंचाता है
बच्चों बूढों को आसानी से
निज आहार बनाता है।
संक्रमित के निकट जो होता
सभी संक्रमित हो जाते हैं
इसलिए ‘मास्क’से मुख ढकें
‘ग्लब्स’हाथों पर पहने जाते है।
हे हर! जिस गंगाजल से
जगत पवित्र हो जाता है,
तज उसे अल्कोहल से
हाथों को धोना पड़ता है।
हे महामृत्युंजय ! बतलाओ तो
कब तक घर में ही छुपे रहें,
जीने हेतु उद्यम करने को
बाहर निकलना होता है।
हे नीलकण्ठ ! हलाहल सा
कोविद-19 जग संहारी है,
इस महाविष को पीने की
अब फिर तुम्हारी बारी है।
हे भोले! वैद्यनाथ तुम
कोई उपचार बताओ,
इस महामारी से प्रभु
निज भक्त समूह बचाओ।।

रचना व कॉपीरीईट@-नागेन्द्रप्रसाद रतूड़ी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *