मुख्यमंत्री ने वन विभाग मुख्यालय में ई ऑफिस कार्यप्रणाली का शुभारम्भ किया।# ग्रामसभा मरोड़ा खिर्सू ब्लॉक से पुन: पाबौं ब्लॉक में।#पौड़ी गढवाल में कोविड-19 की आज की स्थिति।पढिएJanswar.Com में

समाचार प्रस्तुति-अरुणाभ रतूडी़

मुख्यमंत्री ने वन विभाग मुख्यालय में ई ऑफिस कार्यप्रणाली का शुभारम्भ किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजपुर रोड स्थित उत्तराखण्ड वन विभाग मुख्यालय में ई-ऑफिस कार्यप्रणाली का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि चमोली एवं पिथौरागढ़ में भालुओं के लिए एक-एक रेस्क्यू सेंटर बनाया जायेगा। बंदरों के लिए चार रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। झाझरा में ‘आनंद वन’ सिटी फॉरेस्ट को विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री ने श्रीमती साधना जयराज को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
     मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि ई-ऑफिस प्रणाली को जल्द ही जिला एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में भी विस्तारित किया जाय। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया की जो शुरूआत की उसके बेहतर परिणाम आज सबके सम्मुख हैं। राज्य में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। 37 ऑफिस, ई-ऑफिस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। डिजिटल कार्यप्रणाली की ओर हम जितने तेजी से बढ़ेंगे, उतनी तेजी से जन समस्याओं का निदान होगा।
     मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार वृक्ष लगाये जायेंगे। इसके लिए वन विभाग द्वारा अभी से तैयारियां शुरू की जाय। ये फलदार वृक्ष जंगलों में भी लगाये जायेंगे, जिससे जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में कम आयेंगे। जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता जंगलों में पूरी हो सके। राज्य में पिरूल पर जो कार्य हो रहा है, इसे और विस्तार देने की जरूरत है। पिरूल एकत्रीकरण पर राज्य सरकार द्वारा 02 रूपये प्रति किग्रा एवं विकासकर्ता द्वारा 1.5 रूपये प्रति किग्रा एकत्रकर्ता को दिया जा रहा है। इसका उपयोग ऊर्जा के लिए तो किया ही जायेगा, लेकिन इसका सबसे फायदा वन विभाग को होगा। वनाग्नि और जंगली जानवरों की क्षति को रोकने में यह नीति बहुत कारगर साबित होगी। स्थानीय स्तर पर गरीबों के लिए स्वरोजगार के लिए पिरूल एकत्रीकरण का कार्य एक अच्छा माध्यम बन रहा है।
     मुख्य वन संरक्षक श्री जयराज ने कहा कि ई-ऑफिस प्रणाली गुड-गवर्नेंस की दिशा में एक अच्छी पहल है। वन विभाग द्वारा इस प्रणाली को जिला, क्षेत्रीय कार्यालयों एवं वन पंचायतों तक विस्तारित किया जायेगा। कॉर्बेट नेशनल पार्क में ऑनलाईन बुकिंग शुरू की गई है, जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। वन विभाग द्वारा रिजॉर्ट्स में भी ऑनलाईन बुकिंग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
     मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार श्री रविन्द्र दत्त ने कहा कि ई-ऑफिस प्रणाली से फाइलों की ट्रेकिंग में आसानी के साथ ही लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो रहा है। सचिवालय के 37 ऑफिस, देहरादून एवं ऊधमसिंह नगर के कलक्ट्रेट, शहरी विकास विभाग एवं वन विभाग,उत्तराखण्ड इस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। अन्य विभागों को भी ई-ऑफिस प्रणाली से जोड़ने के लिए कार्यवाही गतिमान है।
     इस अवसर पर वन विभाग के सलाहकार/ ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, अध्यक्ष वन पंचायत सलाहकार समिति श्री वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, पीसीसीएफ श्रीमती रंजना काला, श्री विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन संरक्षक आईटी श्री नरेश कुमार एवं वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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ग्रामसभा मरोड़ा खिर्सू ब्लॉक से पुन: पाबौं ब्लॉक में ।

जिलाधिकारी गढ़वाल श्री धीराज सिंह गर्ब्याल ने सचिव पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना/विज्ञप्ति/संशोधन आदेश के अनुपालन में ग्राम पंचायत मरोड़ा को विकास खण्ड खिर्सू से हटाकर विकास खण्ड पाबौ में पूर्ववत् सम्मिलित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
ग्राम पंचायत मरोड़ा को विकास खण्ड खिर्सू से हटाकर विकास खण्ड पावौ में पुनः सम्मिलित किये जाने के संबंध में ग्राम वासियों द्वारा अपना पक्ष रखते हुए तथ्य दिये गये कि ग्राम सभा मरोड़ा विकास खण्ड पावौ से मात्र 9 किमी. दूर है, जबकि नये परिसीमन में ग्राम सभा मरोडा की विकास खण्ड खिर्सू से दूरी 16 किमी. है तथा सम्पूर्ण रास्ता जंगलों से आच्छादित है, जिससे जंगली जानवरों का भय हमेशा बना रहता है। वहीं न्याय पंचायत पोखरी की दूरी 26 किमी. है, जिसमें मार्ग जंगल से होने के कारण ग्रामवासियों को वहां पर आने-जाने में कठिनाईयां होती ह तथा विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। ग्राम सभा मरोडा को खिर्सू में सम्मिलित किये जाने से ग्राम सभा में न तो कोई मनरेगा का कार्य हो पा रहा है और न ही किसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। समस्त ग्रामवासियों के खाते पावौ में स्थित बैंक में खोले गये है, जिससे बैंक संबंधित कठिनाईयां उत्पन्न हो रही है। वहीं वर्तमान में कानूनगो एवं पटवारी चैकी भी पावौ में स्थित है तथा यह समस्या उत्पन्न हो रही है कि यदि गांव के किसी व्यक्ति को आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र व अन्य प्रमाण पत्र बनाने हैं तो उनका प्रमाणीकरण पावौ के अन्तर्गत कानूनगो एवं तहसील से करने के बाद संबंधित प्रमाण पत्र 16 किमी. दूर जाकर विकास खण्ड खिर्सू से प्राप्त करना होता है जो अव्यावहारिक है।
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पौड़ी गढवाल में कोविड-19 की आज की स्थिति।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर में स्थापित वार रूम से प्राप्त आज दिनांक        27.10.2020 को समय 01ः20 बजे की रिर्पोट के अनुसार जनपद में आरटीपीसीआर, रेपिड एन्टीजन व ट्रूनेट रूप से 69 हजार 908 सैम्पल जांच हेतु भेजे गये, जिनमंे से 60 हजार 845 नेगेटिव, 6 हजार 409 लम्बित, 1 हजार 632 अस्वीकृत तथा 2 हजार 654 कोरोना संक्रमित रोगी पाये गये। कोरोना संक्रमित 2 हजार 654 में से 2 हजार 242 स्वास्थ्य हो चुके है, जबकि 29 की मृत्यु हुई तथा 383 एक्टिव केस हैं। वर्तमान समय में 79 रोगी आइसोलेशन में भर्ती है, जिनमंे 18 बेस हाॅस्पिटल श्रीकोट तथा 61 बेस हाॅस्पिटल कोटद्वार में है। कोविड केयर सेंटर के अन्तर्गत 31 लोग हैं, जिनमंे 14 नर्सिंग काॅलेज डोबश्रीकोट, 9 सीसीसी कोड़िया कैम्प मंे, 04 गीता भवन स्वर्गाश्रम ट्रस्ट तथा 04 डीसीसीसी सतपुली में है।
जनपद में 65 वेंटिलेटर्स है, जिनमंे 46 बेस हाॅस्पिटल श्रीकोट, 06 बेस हाॅस्पिटल कोटद्वार, 04 जिला अस्पताल तथा 09 हंस फांउडेशन में हैं। 268 आइसोलेशन की सुविधा में से 100 बेस हाॅस्पिटल कोटद्वार कोविड हाॅस्पिटल में, 100 बेस हाॅस्पिटल श्रीकोट कोविड हाॅस्पिटल तथा 68 हंस फांउडेशन में है। वहीं वर्तमान में 7 हजार 22 पीपीई किट, 12 हजार 622 एन95 मस्क, 21 हजार 502 3लेयर मास्क, 436 आॅक्सीजन सिलेण्डर, 42 एम्बुलंेस तथा 11 हजार 31 वीटीएम है। जबकि 51 आईसीयू बेड है, जिनमें 30 बेस हाॅस्पिटल श्रीकोट, 06 बेस हाॅस्पिटल कोटद्वार, 04 जिला अस्पताल पौड़ी, 11 हंस फांउडेशन में है।
जनपद में होम आइसोलेशन में 188 लोग हैं, जिनमें पौड़ी ब्लाॅक में 38, कोट ब्लाॅक में 01, खिर्सू में 79, कल्जीखाल 01, दुगड्डा 28, द्वारीखाल 7, रिखणीखाल 2, यमकेश्वर 9, थलीसैंण 2, पाबौं 6, पोखड़ा 1, एकेश्वर 3, नैनीडांडा 2, बीरोंखाल 1, जयहरीखाल 5 तथा अन्य 3 (टिहरी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, दिल्ली देहरादून) शामिल है।

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