मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का किया शुभारम्भ।##एम्स में आज एक और कॅरोना वायरस संदिग्ध का सेंपल लेकर पुणे भेजा ## एम्स में नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक कांफ्रेंस का आयोजन ##नैनीताल में फेंकी गयी सद्यजात बच्ची का सुशीला तिवारी अस्पताल में ईलाज।अपनाने को कई हाथ बढे।पढिए Janswar.com में

समाचार प्रस्तुति-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का किया शुभारम्भ।

10 फरवरी को लगभग 43 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलायी जायेगी।



मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को हिम ज्योति स्कूल देहरादून में बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिला कर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष लगभग 30 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई थी। इस वर्ष 10 फरवरी को लगभग 43 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इसमें स्कूलों की बहुत बड़ी भूमिका रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। देश के बच्चे स्वस्थ रहेंगे तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के माध्यम से प्रदेश भर के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन देशभर के सभी स्कूलों में आंगनवाड़ी में फरवरी माह में किया जाता है। किसके अंतर्गत सभी स्कूलों एवं आंगनवाड़ियों में 1 से 19 साल के बच्चों को कृमि नियंत्रण के दवाई खिलाई जाती है। इससे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर, पोषण के स्तर में बढ़ोतरी के साथ ही स्कूल में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हो सकेगी।
इस अवसर पर ही उपाध्यक्ष राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य उत्तराखंड श्री ज्ञान सिंह नेगी, सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री पंकज पांडेय, महानिदेशक स्वास्थ्य श्रीमती अनीता उप्रेती भी उपस्थित थे।
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एम्स के जसंवि की विज्ञप्ति के अनुसार चीन के वुहान शहर से 23 जनवरी को घर वापस लौटे और अपने परिवार के साथ रह रहे ऋषिकेश के एक 36 वर्षीय युवक जिसे आईडीएसपी टीम ने रेफर किया,अपनी नियमित जाँच के लिए एम्स आया।संदिग्धको होम आईसोलेशन में रखा गया है।उसका सेंपल पुणे प्रयोगशाला भेज दिया गया है।
अभी तक एम्स में कॅरोना वायरस संदिग्ध के पाँच मामले सामने आ चुके हैं जिनमें 2 की नकारात्मक रिपोर्ट,दो की रिपोर्ट लम्बित है।एक का कम संदेह के कारण परीक्षण नहीं कराया गया है।पाँचों स्वस्थ हैं।
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग की ओर से 14 फरवरी से नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सहयोग से कार्यशाला व सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। उत्तराखंड में पहली बार आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सक 21वीं सदी में ऑर्थोपेडिक्स का रूप विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। एम्स के जनसंपर्क विभाग से जारी विज्ञप्ति के अनुसार निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की ओर से जानकारी दी गयी कि संस्थान की पहल पर उत्तराखंड में नाॅर्थ जोन आर्थोपेडिक्स कांफ्रेंस का आयोजन पहली बार हो रहा है। इस कांफ्रेंस में एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ समेत देश के वि​भिन्न मेडिकल संस्थानों के अलावा इंग्लैंड, जर्मनी, नीदरलैंड, सिंगापुर आदि देशों के जाने माने हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ प्रतिभाग करेंगे। हड्डी रोग विशेषज्ञों के इस सम्मेलन के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश के हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग में आधुनिकतम विधियों का प्रयोग करके सभी प्रकार के हड्डी रोग से संबंधित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षु चिकित्सकों व देश के विशेषज्ञ चिकित्सकों को विश्वस्तरीय आधुनिकतम चिकित्सा पद्धतियों से प्रत्यक्ष कराना है। जिससे मरीजों की समस्याओं के निदान के साथ साथ उन्हें गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध हो सके। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन 15 फरवरी को संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत द्वारा किया जाएगा। जबकि सम्मेलन के तहत कार्यशालाओं की औपचारिक शुरुआत विभाग की प्रोफेसर शोभा एस. अरोड़ा जी की अध्यक्षता में 14 फरवरी से हो जाएगी। कार्यशाला में चिकित्सकों को हड्डी के कैंसर से ग्रसित जोड़ों के पुनर्निर्माण की विधियों, रोबोट की सहायता से जोड़ों को बदलने की नवीनतम विधियों, वयस्कों के घुटने से नीचे के टेढे पैरों को हाई टीबीयल ओस्टियोटोमी द्वारा सीधे करने की विधियों, जन्मजात विकृत का जेईएसएस शिकंजे के माध्यम से सीधा करने की विधियों व ड्रिल का प्रयोग करके रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन करने की विधियों आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस विज्ञप्ति के अनुसार नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक कांफ्रेंस का आयोजन प्रतिवर्ष उत्तर भारत के दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, हरियाणा आदि प्रदेशों में किया जाता है। इस वर्ष एम्स ऋषिकेश के हडृडी एवं जोड़ रोग विभाग को उत्तराखंड में इस सम्मेलन के आयोजन का अवसर प्राप्त हुआ है।
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मीडिया सेन्टर हल्द्वानी से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले गुरूवार को नैनीताल में स्टाफ हाउस के पास मिली लावारिश नवजात बालिका को अपनाने के लिए लोगों के हाथ उठे हैं। सद्यजात बालिका को असंवेदनशील लोगों द्वारा नैनीताल मेें पैदा होते ही फेेंक दिया था, जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रही नवजात बच्ची को जिलाधिकारी श्री सविन बंसल ने तुरन्त बीडी पाण्डे चिकित्सालय भेजा इसके उपरान्त बच्ची को चिकित्सकोें द्वारा उच्च इलाज के लिए सुशीला तिवारी अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया। जिलाधिकारी की पहल पर एसटीएच के सभी चिकित्सक
उसके इलाज में पूरे मनोयोग के साथ जुट गये है।
पिछले तीन दिनों मे बालिका के समुचित इलाज से उसका जीवन बचा लिया गया है, उसके स्वास्थ मे निरंतर बेहतर सुधार भी हो रहा है। जिलाधिकारी ने इस बच्ची का अपनाने के लिए अपील की थी, जिसका संवेदनशील समाज के ऊपर असर हुआ और दस से अधिक दम्पत्तियों ने जिलाधिकारी शिविर कार्यालय मे उनसे बच्ची को गोद लेने की स्वयं अथवा फोन द्वारा इच्छा व्यक्त की। कई दम्पत्तियों ने सुशीला तिवारी चिकित्सालय प्रबन्धन से भी बच्ची को गोद लेने की इच्छा व्यक्त की।
जिलाधिकारी श्री बंसल ने इस प्रकार के दम्पत्तियों का जो कि बच्ची को अपनाने के लिए तैयार है का तहेदिल से स्वागत किया है। उन्होने कहा है कि ऐसे संवेदनशील दम्पत्तियों को पीसीपीएनडीटी के अन्तर्गत आयोजित होने वाले समारोह मे सम्मानित किया जायेगा। यदि कोई दम्पत्ति इस बच्ची को गोद लेता है तो श्री बंसल ने कहा कि बच्ची के भरण पोषण, पालन-पोषण, शिक्षा आदि का खर्चा जिलाधिकारी स्वयं वहन करेंगे। उन्होने कहा दम्पत्ति का चयन नियमानुसार आॅनलाइन आवेदन प्रक्रिया के द्वारा किया जायेगा। इसके लिए आवेदकों को आॅनलाइन आवेदन के लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योमा जैन से सम्पर्क कर जानकारियां लेनी होगी, बच्ची को गोद लेने के लिए सभी प्रक्रिया पारदर्शी होगी। उन्होने बताया कि एसटीएच के उपचार के बाद जब बच्ची पूर्ण स्वस्थ हो जायेगी तो उसे सीडब्लूसी के माध्यम से अल्मोडा शिशु गृह मे रखा जायेगा।

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