समाचार प्रस्तुति -नागेन्द्रप्रसाद रतूड़ी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने मोनाल नामक रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम का विधिवत शुभारंभ किया। इस सिस्टम के द्वारा कोरोना मरीज के स्वास्थ्य संबंधी वाइटल पैरामीटर्स की जानकारी मरीज के घर पर रहते हुए अस्पताल के कंट्रोल सेंटर में प्रदर्शित होती रहेगी एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में मरीज स्वास्थ्य लाभ उठा सकेंगे। बताया गया कि यदि इस सिस्टम से जुड़े किसी मरीज तवियत अचानक खराब होती है तो यह डिवाइस सिस्टम स्वयं ही मॉनिटरिंग टीम को इस बाबत यथासमय सूचित कर देगी व समय रहते मरीज को आपात सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी। इसके साथ ही मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने देश व प्रदेश को इस डिवाइस को समर्पित करते हुए इसका नाम उत्तराखंड के राजकीय पक्षी मोनाल का नाम पर किया और बताया कि यह डिवाइस कोराेना वायरस की लड़ाई में एक क्रांति लाएगी जो मील का पत्थर साबित होगी । मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार की ओर से इस डिवाइस के क्रियान्वयन में हरसंभव मदद दी जाएगी। रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम मोनाल के उद्घाटन अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस डिवाइस के प्रयोग से मुख्यत: तीन तरह के लाभ होंगे। इससे हेल्थ केयर वर्कर्स का अनावश्यक संक्रमण से बचाव हो सकेगा। साथ ही पीपीई किट की लगातार बढ़ती जरुरत पर रोक लगेगी, इसके साथ ही साथ ही मरीज को अपने घर पर ही स्वास्थ्य लाभ लेने का अवसर प्राप्त होगा और वह दिन-रात चिकित्सकों की सघन निगरानी में रहेगा। एम्स निदेशक के स्टाफ ऑफिसर व टीम के सदस्य डा. मधुर उनियाल ने बताया कि एक कोरोना मरीज को औसतन 15 दिन अस्पताल में रखने में काफी व्यय आता है, ऐसे में इस डिवाइस की लागत एक दिन के व्यय में ही वसूल हो जाती है। इसके फलस्वरूप संस्थान कम संसाधनों में आसानी से अधिकाधिक मरीजों को चिकित्सा सेवा का लाभ दे सकेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने इस पूरे कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डा. मोहित तायल व उनकी टीम के कार्यों की सराहना की व उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी। डा. मोहित ने बताया कि इस डिवाइस को उन्होंने भारत सरकार के उपक्रम भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड एवं इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयासों से तैैयार किया है। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस का 200 से अधिक मरीजों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है और जिसके बेहद उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
————————————————–
प्रदेश के कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, उद्यान एवं फलोद्योग एवं रेशम विकास मंत्री सुबोध उनियाल ने विधान सभा स्थित कार्यालय कक्ष में ओलावृष्टि और वर्षा से कृषि और उद्यान में होने वाले नुकसान के आकलन के सम्बन्ध में बैठक ली। बैठक में जानकारी दी की ओलावृष्टि और वर्षा से कृषि और उद्यान में लगभग 26 करोड़ 34 लाख है के नुकसान की जानकारी मिली है। इनमें से 1 करोड़ 82 लाख का नुकसान देहरादून जनपद में हुआ है।
इस सम्बन्ध में समस्त जनपदीय कृषि एवं उद्यान अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे ओलावृष्टि और वर्षा से होने वाले नुकसान की जानकारी सम्बन्धित एसडीएम के माध्यम से मण्डी को सूचना भेजें। इसके अतरिक्त फूल व्यवसायी एवं उत्पादकों को होने वाले नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है एवं नुकसान की भरपाई के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा जायेगा।
बैठक में रिवर्स पलायन करने वाले लोगों को रोजगार देने के सम्बन्ध में निर्देश दिया गया कि विभिन्न सेक्टरों में योजनाऐं बनायी जायें। रोजगार एवं मार्केटिंग विपणन के लिए, हार्टिकल्चर मिशन एवं हार्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड द्वारा रिटेल आउटलेट स्थापना की जायेगी। इस हेतु केन्द्र सरकार से सब्सिडी ली जायेगी तथा राज्य सरकार अपना राज्यांश में भी वृद्वि करेगी। समूह के द्वारा अपना बाजार आउटलेट, बागवानी फसलों के लिए कृषि उत्पादकों हेतु एक प्लेटफार्म तैंयार किया जायेगा। इस माॅडल द्वारा अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। बंजर भूमि में प्रवासी नागरिकों के लिए खेती की सम्भावनाओं के लिए भी योजनाऐं बनाने का निर्देश दिया गया।
इस अवसर पर निदेशक एच.आर.डी.आई. सी.एन.सनवाल, निदेशक चाय बोर्ड संजय श्रीवास्तव, निदेशक रेशम ए.के.यादव, संयुक्त निदेशक उद्यान डाॅ0 रतन कुमार और डाॅ. जगदीश चन्द्र, संयुक्त कृषि निदेशक दिनेश कुमार एवं उपनिदेशक उद्यान महेन्द्रपाल आदि अधिकारी मौजूद थे।
गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लाॅकडाउन की अवधि में व्यक्तियों के आवागमन की अनुमति दिए जाने के क्रम में उत्तराखंड आने वाले व्यक्तियों की कोविड-19 के परिपेक्ष में गृह मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप निगरानी किए जाने के संबंध में ग्राम सभा/ ग्राम प्रधान को राज्य सरकार द्वारा उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के दृष्टिगत आवश्यकतानुसार शक्तियां प्रदान करते हुए उनको जरूरी निर्देश दिए गए हैं।
यह जानकारी बताते हुए मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि कोविड-19 के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा ग्राम प्रधानो को वर्तमान परिदृश्य में भूमिका देखते हुए उनको महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई है। जनपद प्रशासन गांव में आने वाले समस्त बाहरी लोगों की सूचना तथा उनके स्वास्थ्य से संबंधित सूचनाएं संकलित कर संबंधित ग्राम प्रधान को उपलब्ध करवाएगा। राज्य या जनपद स्तर पर पंजीकरण न करवाते हुए सीधे ग्राम सभा क्षेत्र में पहुंचने वाले व्यक्तियों का पंजीकरण करने का उत्तरदायित्व संबंधित ग्राम प्रधान का होगा। इसके साथ ही बाहर से आने वाले तथा पंजीकरण किए गए सभी व्यक्तियों के मोबाइल नंबर पर कोविड-19 से सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा विकसित तथा एंड्राइड फोनों के लिए गूगल प्ले स्टोर व एप्पल फोनों के लिए एप स्टोर पर उपलब्ध आरोग्य सेतु मोबाइल एप को इंस्टॉल करवाने व इसे उपयोग में लाना सुनिश्चित करवाने के साथ-साथ ग्राम सभा में निवासरत अन्य व्यक्तियों को भी इसके उपयोग हेतु प्रेरित करने का उत्तरदायित्व भी संबंधित ग्राम प्रधान का होगा। मुख्य सचिव ने बताया कि भारत सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोविड-19 सुरक्षित (green) के रूप में चिन्हित उत्तराखंड के जनपदों के साथ-साथ उत्तराखंड के अन्य जनपदों में निर्धारित क्वारनटाइन अवधि पूर्ण करने का साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों को छोड़कर अन्य समस्त स्थानों से ग्राम सभा क्षेत्र में आने वाले सभी व्यक्तियों को अनिवार्यता घर पर 14 दिनों की निर्धारित अवधि के लिए क्वारनटाइन करने का उत्तरदायित्व संबंधित ग्राम प्रधान का होगा। घर पर क्वॉरेंटाइन ना हो पाने की स्थिति में ग्राम प्रधान के द्वारा इन व्यक्तियों को 14 दिन की निर्धारित अवधि के लिए निकटवर्ती विद्यालय/ पंचायत घर/ अन्य सामुदायिक स्थान में क्वॉरेंटाइन किया जाएगा तथा इन स्थानों में बिजली पानी साफ-सफाई आदि की व्यवस्था की जाएगी। ग्राम प्रधान के द्वारा इन व्यक्तियों को विद्यालय/ पंचायत घर/अन्य सामुदायिक स्थान में क्वॉरेंटाइन किए जाने की स्थिति में उक्त पर किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के परिपेक्ष में राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से व्यय के मानकों के संबंध में निर्गत शासनादेश के क्रम में संबंधित जिला अधिकारी को सुसंगत अभिलेख के साथ आवेदन करना होगा। समस्त जिलाधिकारी उपरोक्त अनुसार व्यय की गई धनराशि की प्रतिपूर्ति के लिए प्रक्रिया का निर्धारण करते हुए उक्त सूचना समस्त ग्राम प्रधानों को उपलब्ध करवाएंगे।
उन्होंने बताया कि विद्यालय/ पंचायत घर/अन्य सामुदायिक स्थानों में क्वॉरेंटाइन किए गए व्यक्तियों की नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करवाए जाने तथा इन व्यक्तियों को कोविड-19 के लक्षण पाए जाने की स्थिति में उक्त को संबंधित जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अथवा उनके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के संज्ञान में लाने के लिए संबंधित ग्राम प्रधान उत्तरदाई होंगे। ग्राम प्रधान के द्वारा कोविड-19 की रोकथाम हेतु घरों में व्यक्तियों को क्वॉरेंटाइन किए जाने के संबंध में दिए गए निर्देशों का पालन न करने या उक्त के क्रम में किए जा रहे कार्यों में व्यवधान डालने के दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के साथ साथ एपिडेमिक डिजीजेस एक्ट, 1897 तथा उत्तराखंड एपिडेमिक डिजीजेस कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 के अंतर्गत विधिक कार्यवाही आरंभ की जाएगी।