
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंट कर उत्तराखण्ड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को पूर्वोत्तर राज्यों की भांति विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए बजट आवंटन में निर्धनता अनुपात के साथ ही पलायन की समस्या को भी आधार के रूप में लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा दीनदयाल अन्त्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत योजना के प्रारम्भ से वर्तमान तक 13 जनपदों के 95 विकासखण्डों में कार्य किया जा रहा है। अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु यूएसआरएलएम द्वारा स्वयं सहायता समूहों तथा उनके उच्च स्तरीय संगठनों का गठन कर लिया गया है। 16422 समूहों की सूक्ष्म ऋण योजना तैयार करते हुये उन्हें आजीविका गतिविधियों से जोड़ने के लिए समूहों को सीआईएफ एवं बैंक लिकेंज कर ऋण उपलब्ध कराया गया है। सूक्ष्म ऋण योजना के आधार पर राज्य में गठित समूहों द्वारा 65 प्रकार की आजीविका सम्वर्धन गतिविधियों का चयन किया गया है। समूहों की क्षमता विकास करते हुए उन्हे सतत् आजीविका के साधन उपलब्ध कराये जाने हैं, जिसके लिए इन समूहों को निरन्तर प्रशिक्षण की आवश्यकता है। समूहों को वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन स्तर पर प्रशिक्षण प्रदान करवाया जा रहा है किन्तु वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण सभी समूहों को आजीविका सम्बन्धित गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाना सम्भव नही हो पा रहा है। साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विपणन हेतु नेनौ पेकेजिंग यूनिट स्थापना, पैकेजिंग सामग्री, सरस विपणन केन्द्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास, ग्रोथ सेन्टर में बुनियादी सुविधाओं का विकास, उत्पादों की डिजाइनिंग, ब्राण्ड डेवलेपमेण्ट एवं उत्पादों के प्रचार प्रसार, उत्पाद बिक्री तथा मार्केट लिंकेज हेतु स्थानीय स्तर पर मेलों का आयोजन, क्रेता-विक्रेता सम्मेलन की प्रदान करने एवं सामुदायिक कैडर तथा कार्यरत मानव संसाधन सहित विभिन्न क्रियाकलापो के संचालन हेतु अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मिशन के सफल संचालन हेतु सभी 95 विकास खण्डों में विभिन्न पदों पर कुल 407 पद सृजित किये गये हैं जिसके सापेक्ष सभी पदों पर तैनाती नियमानुसार कर दी गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में सृजित 407 पदों के सापेक्ष मानदेय भुगतान हेतु प्रतिवर्ष लगभग 11 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी जिसकी देयता प्रति माह अनिवार्य रूप से होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डे-एनआरएलएम (दीनदयाल अन्त्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में उत्तराखण्ड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा मिशन के विभिन्न घटकों में रूपये 9572.56 लाख की सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान करते हुए रूपये 4095.52 लाख की अवमुक्ति करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। जबकि कम्यूनिटी फंड, प्रशिक्षण, मार्केटिंग, मानव संसाधन आदि गतिविधियों में 6601 लाख रूपए की आवश्यकता होगी। इस प्रकार राज्य को प्रतिवर्ष कुल 10696.72 लाख धनराशि की आवश्यकता होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय व सीमांत जनपदों में स्थानीय स्तर पर आजीविका क्रियाकलापों को सुदृढ़ किया जाना जरूरी है। इसके लिए निर्धनता अनुपात के साथ-साथ पलायन व अति संवेदनशील सीमांत जनपदों व दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में आजीविका के माध्यम से पलायन रोकने के दृष्टिगत उत्तराखण्ड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को पूर्वोत्तर राज्यों की भांति विशेष पैकेज दिया जाए।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र द्वारा पीएमजीएसवाई-फेज-1 के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा अनुमोदित कोर नेटवर्क में प्रस्तावित मार्गो में से स्वीकृत, निर्मित अथवा निर्माणाधीन 299.98 करोड़ लागत के 139 सेतुओं के निर्माण के लिए कार्यवाही का अनुरोध किया गया, जिस पर केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने सकारात्मक रूख रखते हुए प्रकरण का परीक्षण कराने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री द्वारा पीएमजीएसवाई-1, स्टेज-2 के अन्तर्गत 529.42 करोड़़ लागत के 121 मार्गों (लम्बाई 1051.29 कि0मी0) के पक्कीकरण के लम्बित प्रकरण पर अग्रिम कार्यवाही का भी अनुरोध किया।
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पंचायतीराज विभाग द्वारा नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण के दृष्टिगत जनपद स्तरीय अधिकारियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण (टी0ओ0टी0) आई0आर0डी0टी0 सभागार सर्वे चौक देहरादून में प्रारम्भ हुआ। राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक कोटद्वार श्री दिलीप रावत, विधायक पौड़ी श्री मुकेश कोहली, विधायक, गंगोत्री श्री गोपाल रावत एवं अपर सचिव एवं निदेशक पंचायतीराज श्री एच0सी0 सेमवाल द्वारा दीप प्रज्जवलन कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया।
डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि ‘‘भारत सरकार एवं राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को ग्राम स्तर पर प्रसारित करने हेतु इस प्रकार के प्रशिक्षण उपयोगी होते हैं तथा इनका समय-समय पर आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न रेखीय विभागों को आपसी समन्वय करते हुए ग्राम पंचायतों में विकास हेतु योजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू रूप से करना चाहिए।‘‘
अपर सचिव एवं निदेशक पंचायतीराज श्री एच0सी0 सेमवाल द्वारा नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को कार्यशाला के उद्देश्यों से अवगत कराया गया। विधायक कोटद्वार श्री दिलीप रावत, माननीय विधायक पौड़ी श्री मुकेश कोहली द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को प्रशिक्षण की महत्ता एवं ग्राम स्तर पर पंचायतीराज व्यवस्था को और अधिक सशक्त करने की बात की गयी।
कार्यशाला में जैव विविधता विषय पर श्री धनंजय मिश्रा द्वारा चर्चा की गयी। श्री प्रदीप आंनन्द जी द्वारा प्रधानमंत्री जन-धन योजना/प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना/प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना पर सभी का ज्ञानवर्धन किया गया। श्री अरविन्द सैनी, सहायक श्रमायुक्त श्रम विभाग द्वारा श्रमिक कल्याण, बन्धुआ मजदूरी, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना एवं व्यापारी कल्याण योजना पर सभी नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया। पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक श्री डी0पी0 देवराड़ी द्वारा पंचायतीराज व्यवस्था, 73वें संविधान संशोधन एवं उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 पर प्रतिभागियों से वार्ता की गयी तथा उनकी शंकाओं को दूर किया गया।
महिला सशक्तिकरण एवं पोषण पर श्रीमती सुजाता सिंह, उप-निदेशक आई0सी0डी0एस0 द्वारा त्रिस्तरीय पंचायतो में महिलाओं की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला गया। कार्यशाला में श्री सचिन चौहान द्वारा स्वच्छ पंचायत, एम0आई0एस0 डैशबोर्ड को पंचायतों में प्राथमिकता से लागू करने हेतु मार्गदर्शन किया गया। कार्यशाला में आरती बलोदी जी द्वारा सी0एम0 हैल्पलाईन और पेयजल विभाग द्वारा जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत जल संरक्षण आदि विषयों पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया गया। नगर स्वास्थ्य अधिकारी देहरादून डॉ0 आर0 के0 सिह द्धारा स्वच्छता सर्वेक्षण के अन्तर्गत सभी प्रतिभागियों को मोबाईल एप्प स्वच्छ सर्वेक्षण के सम्बन्ध में जानकारी भी दी। श्री दिनेश गंगवार, एस0पी0एम0यू0 निदेशालय पंचायतीराज द्वारा पंचायतीराज विभाग के अन्तर्गत लागू सॉफ्टवेयरों, ई-पंचायत, पी0एफ0एम0एस0 एवं एम0आई0एस0 के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी गयी।
कार्यशाला का संचालन कंचन नेगी जी द्वारा किया गया और पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड से श्री राजीव नाथ त्रिपाठी, श्री जितेन्द्र कुमार, श्री दीपक पटवाल, श्री योगेश नेगी, श्री रवीश नेगी, आदि उपस्थित रहे।
———————————————————- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश की ओर से सामुदायिक केंद्र आईडीपीएल में कप्रेशन ओनली लाइफ सपोर्ट (कॉल्स) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने रेन्बुकाई कराटे सोसाइटी से जुड़े कराटे खिलाड़ियों व आम नागरिकों को काॅर्डियक अरेस्ट से ग्रसित मरीज की जीवनरक्षा के लिए सीपीआर देने की ट्रेनिंग दी। आईडीपीएल स्थित सामुदायिक केंद्र में रेन्बुकाई कराटे सोसाइटी के सहयोग से एम्स द्वारा आयोजित कप्रेशन ओनली लाइफ सपोर्ट (कॉल्स) प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें सोसाइटी से जुड़े खिलाड़ियों के अलावा क्षेत्रीय नागरिकों ने भी सीपीआर में दक्षता हासिल की। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने बताया कि संस्थान के चिकित्सकों की टीम आम जनता को कॉर्डियक अरेस्ट से ग्रसित लोगों की जीवन की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थानों पर जाकर प्रशिक्षित कर रही है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि कप्रेशन ओनली लाइफ सपोर्ट में दक्ष व्यक्ति अपने आसपास के किसी व्यक्ति के कॉर्डियक अरेस्ट से ग्रसित होने की स्थिति में उसे अस्पताल तक पहुंचाने में मददगार साबित हो सकते हैं। संस्थान के एडवांस सेंटर ऑफ कंटिन्यूअस प्रोफेशनल डेवलपमेंट की विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी राव की देखदेख में आयोजित कार्यशाला में डा. भारत भूषण भारद्वाज, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर हेमंत कुमार, अरुण वर्गिश आदि ने प्रशिक्षणार्थियों को सीपीआर देने के तौर तरीके बताए। इस अवसर पर रेन्बुकाई कराटे सोसाइटी के खिलाड़ियों व अन्य नागरिकों को कॉर्डियक अरेस्ट व हृदयघात में अंतर की जानकारी दी गई। एम्स के विशेषज्ञों की टीम ने शिविर में आपात स्थिति में ग्रसित व्यक्ति के जीवन के संरक्षण के बाबत विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर सोसाइटी के अध्यक्ष कमल बिष्ट, कोषाध्यक्ष राहुल कुमार, संगीता पांडेय, आवेश नेगी, आकांक्षा, राजेंद्र भंडारी, जतिन माथुर, काजल, रूचिका समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे।