मुख्यमंत्री ने की उद्योग विभाग की समीक्षा।
- प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए किए जाएं व्यापक प्रयास।
- उद्योगपतियों से किया जाये आपसी संवाद।
- उद्योगों में स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध हो इसका भी हो परीक्षण।
- उद्यमियों की सहायता के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का किया जाए सरलीकरण, बनाई जाए प्रभावी एवं कारगर नीति।
- प्रदेश में स्थापित उद्योगों के कांक्रीट ऑडिट की भी हो व्यवस्था।
- पर्वतीय क्षेत्रों में भी औद्योगीकरण पर दिया जाए ध्यान।
- औद्योगिक क्षेत्रों की अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर दिया जाए ध्यान।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में उद्योग विभाग की समीक्षा की। उन्होंने प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रयासों की जरूरत बताते हुए बड़े उद्योगपतियों से संवाद कर प्रदेश में उद्योग लगाने हेतु आकर्षित करने, उद्योगों में स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, उद्यमियों की सहायता के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का सरलीकरण और अधिक प्रभावी बनाए जाने के साथ ही उद्योगों की स्थिति एवं समस्याओं आदि की जानकारी के लिए कांक्रीट ऑडिट की व्यवस्था पर ध्यान देने को कहा है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर ध्यान देने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि उद्योगों से संबंधित लंबित प्रकरणों का त्वरित निस्तारण तत्परता एवं समयबद्धता के साथ किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उद्योगों के हित में लिए गए निर्णयों की भी जानकारी उद्यमियों को होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में औद्योगिक अवस्थापना सुविधाओं के विकास एवं निवेशकों से संवाद से निवेश संवर्धन एवं आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने युवाओं में उद्यमिता एवं स्वरोजगार के प्रति अभिरुचि पैदा करने की भी जरूरत बताई। उन्होंने मेगा इंडस्ट्रियल पॉलिसी, मेगा टेक्सटाइल पॉलिसी, क्रय वरीयता नीति, एम.एस.एम.ई. इकाइयों को दी जाने वाली सहूलियतों से संबंधित नियमों में किए जाने वाले आवश्यक संशोधनों पर त्वरित कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इन विषयों पर त्वरित निर्णय हेतु मुख्य सचिव के स्तर पर सभी सम्बन्धित विभागों की बैठक आयोजित किये जाने के भी निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने औद्योगिक विकास योजना को विस्तारित किये जाने, जनपद हरिद्वार मे इन लेण्ड कन्टेनर डिपो की स्थापना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम के अन्तर्गत कल्स्टर विकास योजनाओं, अमृतसर-कोलकता इंडस्ट्रियल कोरिडोर, खटीमा एवं टनकपुर में सिड़कुल की स्थापना से सम्बन्धित प्रस्तावों के क्रियान्वयन मे भी तेजी लाये जाने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिकरण को बढ़ावा देना है। राज्य में उद्योगों के अनुकूल माहौल है। कानून व्यवस्था की भी कोई समस्या नहीं है। बिजली की उपलब्धता है, इनके साथ ही राज्य का शान्त एवं स्वच्छ वातावरण उद्यमियों के अनुकूल है। इसके लिये सभी विभागों को समेकित प्रयासों पर ध्यान देना होगा। राज्य का औद्योगिक वातावरण प्रदेश की आर्थिकी एवं रोजगार सृजन में भी मददगार है।
बैठक में सचिव उद्योग श्रीमती राधिका झा ने व्यापक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदेश में उद्योगों की स्थिति विभागीय कार्यों एवं प्रदेश में व्यापक औद्योगीकरण के लिये किये जा रहे प्रयासों, नीतियों कार्यक्रमों के साथ ही सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र हरिद्वार पंतनगर, सेलाकुई, कोटद्वार,आईटी पार्क देहरादून, सितारगंज एस्कॉर्ट फार्म में उपलब्ध एवं आवंटित भूमि आदि की भी जानकारी दी।
बैठक में कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.सन्धू, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द वर्धन, प्रबन्ध निदेशक सिड़कुल श्री रोहित मीणा, निदेशक उद्योग श्री सुधीर नौटियाल, उप निदेशक श्री अनुपम द्विवेदी एवं अन्य अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों के महाप्रबन्धक उद्योग उपस्थित थे।

प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने विधान सभा में उत्तराखण्ड बीज एवं तराई विकास निगम लि० के निदेशक मण्डल की बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में 186 कर्मियों के 2016 से 2021 तक के डीए का भुगतान करने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय 1 करोड शुद्ध लाभांश का अवशेष 1 करोड 86 उपलब्ध है, इसकोे देखते हुए यह निर्णय लिया गया।
राज्य की निजी बीज उत्पादक संस्थाओं के द्वारा उनकी आवश्यकता का 50 प्रतिशत आधारीय बीज, निगम से क्रय किया जाएगा। टी०डी०सी० द्वारा पन्तनगर विश्वविद्यालय एवं भरसार विश्वविद्यालय के सहयोग से पर्वतीय फसल प्रजातियों के बीज उत्पादित कर राज्य के कृषकों को उपलब्ध कराए जाऐंगे। बिजनेस एसोसिऐट के माध्यम से किए जाने वाले व्यवसाय में निगम के लाभांश में वृद्धि की जाए। टीडीसी की हालात को सुधारने के लिए सीड्स प्लान्टस के आधार सीड्स के 50 प्रतिशत को टीडीसी से लेना अनिवार्य कर दिया गया है। बिजनेस एसोशियेट से लेने वाले कमिशन में वृद्धि होगी। 33 हजार कुन्तल सीड्स को सब्सीडी के आधार टीडीसी से सहकारिता के माध्यम से कृषकों में वितरित किया जायेगा।
बैठक में कहा गया कि गेहूँ प्रमाणित बीज की 33000 कु० मात्रा सहकारी समितियों/सहकारिता विभाग के माध्यम से विक्रय सुनिश्चित की जाएगी, जिसके लिए रू0 1600 प्रति कुं० अनुदान की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। इस हेतु राज्य सरकार के माध्यम से मुख्यमंत्री कृषि विकास योजना के अन्तर्गत रू० 400 प्रति कुं० अतिरिक्त अनुदान उपलब्ध कराने हेतु भी आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं।
स्थानीय फसलों की सत्यापित प्रजातियों का जैविक बीज उत्पादन कृषि विभाग के सहयोग से चिन्हित क्लस्टर्स में किया जाए तथा विभिन्न फर्मों पर टी०डी०सी० को प्राप्त होने वाली अवशेष धनराशि की वसूली हेतु प्रशासन के माध्यम से कार्यवाही की जाए।
इस अवसर पर सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, प्रबन्ध निदेशक टीडीसी. जीवन सिंह नगन्याल, निदेशक कृषि गौरी शंकर, अपर सचिव अरूणेन्द्र सिंह चौहान सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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मुख्य सचिव ने ली खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के सम्बन्ध में बैठक
खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए अभियान चलाया जाएः मुख्य सचिव
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. सन्धु ने मंगलवार को सचिवालय में खाद्य पदार्थों में मिलावट के सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए सख्त कदम उठाते हुए, इसे राज्य की प्राथमिकता बनाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए अभियान चलाया जाए। यह अभियान सिर्फ त्यौहारी सीजन को देखते हुए न हो, बल्कि इसे नियमित आधार पर चलाया जाए।
मुख्य सचिव ने फूड टेस्टिंग लैब बढ़ाए जाने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव ने कहा कि अभी राज्य में एक ही फूड टेस्टिंग लैब है, जो कि रूद्रपुर में है। उन्होंने अधिकारियों को देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी में भी फूड टेस्टिंग लैब खोले जाने के नर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गढ़वाल एवं कुमाऊं हेतु एक-एक मोबाईल फूड टेस्टिंग लैब की व्यवस्था भी की जाए। साथ ही, फूड एडल्ट्रेशन को रोकने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। छोटे-छोटे वीडियो क्लिप्स के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलायी जाए। उन्होंने कहा कि जब तक इसके प्रति आमजन जागरूक नहीं होगा तब तक फूड एडल्ट्रेशन को रोकना आसान नहीं होगा।
मिलावट को रोकने के लिए बनाए गए नियमों का अनुपालन हो सुनिश्चित
मुख्य सचिव ने होटल व्यवसायियों को स्वच्छता रेटिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाए, इसके लिए होने वाले व्यय को सरकार द्वारा वहन किए जाने हेतु प्रस्ताव लाया जाए। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए बनाए गए नियमों और मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए पोर्टल बेस्ड मॉनिटरिंग की जाए। होटल व्यवसायियों को इसके लिए जागरूक किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि नियमित जांच और कठोर कार्रवाई के अभाव में मिलावट पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए लगातार सघन निरीक्षण अभियान के साथ ही मिलावटखोरों पर सख्त कानूनी कार्रवाई कर उदाहरण पेश किया जाए ताकि लोगों में मिलावटखोरी के प्रति भय हो, और इसे रोका जा सके।
इस अवसर पर सचिव श्री अमित नेगी एवं कमिश्नर फूड सेफ्टी डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
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-विश्व रैबीज दिवस के अवसर पर आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग पौड़ी गढ़वाल की ओर से गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मौजूद प्रतिभागियों को रेबीज संक्रमण के सम्बन्ध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज शर्मा द्वारा विस्तृत जानकारी देते हुये बताया गया कि रेबीज बीमारी संक्रमित कुत्ता एवं अन्य जानवरों के काटने पर उनकी लार में मौजूद संक्रमण से होता है, रेबीज एक लाइलाज बीमारी है, रेबीज बीमारी होने पर रोगी को बचाना मुश्किल होता है, रेबीज बीमारी जानवर के काटने के 10 से 20 साल के अंतराल में कभी भी हो सकती है, जानवरों से सावधानी,सुरक्षा एवं टीकाकरण से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है, उनके द्वारा बताया गया कि यदि कोई कुत्ता या कोई अन्य जानवर यदि काट ले तो किसी भी तरह के घरेलू उपचार हल्दी मिर्च आदि लगाने से बचना चाहिए,साथ ही पट्टी टांके इत्यादि नही लगाने चाहिए, घाव को तुरन्त साबुन पानी से धोते हुये एंटीसैप्टिक का प्रयोग करना चाहिए एवं नजदीकी चिकित्सालय में जाकर चिकित्सक की सलाह पर टीका अवश्य लगाना चाहिए, लोगों को घरों में पालतू कुत्तों एवं अन्य जानवरों का समय पर टीकाकरण अवश्य करना चाहिए, रेबीज के टीके समस्त सरकारी चिकित्सालयों में उपलब्ध हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जानकारी देते हुये बताया गया कि जनपद में नेशनल रेबीज कन्ट्रोल प्रोग्राम के अर्न्तगत विभाग की ओर से आने वाले समय में नगरपालिका, पशुपालन विभाग व अन्य विभागों के समन्वय से जनजागरुकता एवं बचाव सम्बन्धी गतिविधियों में तेजी लायी जायेगी, कार्यक्रम के अर्न्तगत पैरामेडिकल स्टाफ हेतु समय समय पर प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं।
गोष्ठी के मौके पर एन.सी.डी. नोडल अधिकारी डॉ. आशीष गुसाईं निम्मी कुकरेती, आशीष रावत एवं अन्य विभागीय कर्मचारी मौजूद रहे।