महन्त मनोज द्विवेदी की चमोली में पुलिस द्वारा महिलाओं से घास छीनने पर प्रतिक्रिया।www.Janswar.com

महन्त मनोज द्विवेदी श्री शत्रुघ्न मंदिर मुनिकीरेती।

सत्ता में बैठे सत्ताधारियों ने कभी अपनी माँ और मातृभूमि को समझने की कोशिश की होती तो शायद ये नौबत नहीं आती। जिस देश का प्रधान मंत्री संसद की चौखट पर माथा टेकता हो उसी पार्टी के राज में अपने हक़-हक़ूक़ के प्रयोग के लिए घास काटने वाली महिलाओं पर मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। ये उत्तराखण्ड के विकास का मॉडल है।
बस एक व्यक्ति दिल्ली से आकर ऊंचे मंच पर खड़ा होकर “दाणा-सयाणा” बोलता है…..तालियां पीटी जाती हैं, जयकारे लगते हैं……और फिर खेल शुरू हो जाता है महिलाओं की अस्मिता से खेलने का खेल। उनके सदियों पुराने परम्परागत हक़ पर डाका डालने का खेल।
पर मूर्खों को नहीं मालूम कि जब पहाड़ की नारी अंगड़ाई लेती है तो बड़े-बड़े सिंहासन डोल जाते हैं।
चेत जाओ!
मत बेचो पहाड़ को, अपने स्वार्थों के लिये।
अपनी ताबूत पर कितनी कीलें ठोकोगे?

 

 

नोट:प्रतिक्रिया में अभिव्यक्त विचारों से संपादक की सहमति आवश्यक नहीं है।

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