भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर: एक श्रद्धांजिली
लेख- नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
अपने सुकोमल स्वर के दम पर फिल्म उद्योग के पार्श्वगायन की दुनिया पर दशकों तक एकछत्र राज करने वाली स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर ने 06 फरवरी 2022 को सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में सुबह 8:12 पर अन्तिम सांस लेकर इस दुनिया से प्रस्थान कर दिया है।
लता मंगेशकर के लिए वर्ष 2022 अच्छा नहीं रहा। वर्ष के पहले महीने वे कोरोना से संक्रमित हो गयीं थीं।उन्हें उनके परिजनों ने मुम्बई के ब्रीचकैण्डी अस्पताल में भर्ती कराया जहां वे कई सप्ताह तक आईसीयू में डाक्टरों की निगरानी में रहीं । डाक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी वे बचाया नहीं जा सका। मृत्यु के समय उनकी आयु 92 वर्ष की थी।
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 28 सितम्बर1929 को गोमांतक मराठा समाज के मध्यमवर्गीय परिवार के पंडित दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी के रूप में लता का जन्म हुआ। लता जी की माता का नाम श्रीमती शेवन्ती था।
इनकी तीन बहनें मीना खाडीकर, आशा भोंसले,उषा मंगेशकर तथा एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।आशा भोंसले के एक संस्मरण के अनुसार इनका बचपन का नाम हृदया था। इनके पिता रंगमंच के कलाकार व शास्त्रीय गायक थे। पंडित दीनानाथ मंगेशकर इंदौर से परिवार सहित मुंबई चले गये थे।इनका व इनके भाई बहनों का लालन-पालन मुंबई में हुआ।
लता मंगेशकर बचपन से ही कुंदनलाल सहगल के गायन से प्रभावित थीं जिससे उनके मन में पार्श्वगायिका बनने की चाहत जग गयी थी। लताजी ने अपना पहला फिल्मी गाना बसंत जोगलेकर द्वारा निर्देशित फिल्म कीति हसाल में गाया परन्तु उनके पिता के यह पसंद नहीं था कि लता फिल्मों में पार्श गायन करे।उनके कहने पर यह गाना फिल्म से निकालवा दिया गया था।
भारत की फिल्मी दुनिया में लगभग बीस भाषाओं में तीस हजार गाना गाने वाली लता मंगेशकर का बचपन सुखद नहीं बीता। 1942 में जब लता जी 13 साल की थीं तब इनके पिता की मृत्यु हो गयी थी।पिता की मृत्यु के बाद परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी इनके ऊपर आ जाने से इन्हें फिल्मों में अभिनय करने को मजबूर होना पड़ा।अभिनेत्री के रूप में उन्होंने 1942 में मराठी फिल्म पाहिली मागलागौर थी।जिसमें उन्होंने नायिका की बहन की भूमिका निभायी।इसके बाद उन्होंने चिमकुला संसार,गजभाऊ,बड़ी माँ,जीवन यात्रा,माँद,छत्रपति शिवाजी आदि में अभिनय किया।बड़ी माँ में उनकी छोटी बहन आशा ने भी उनके साथ काम किया।इस फिल्म के लिए उन्होंने अपने गाने स्वयं गाये और अपनी बहन के लिए पार्श्व गायन का कार्य भी किया।
सन् 1947 में बसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ पहली बार पार्श्व गायन का मौका दिया।इनके गाये गाने की सराहना हुई जिससे इन्हें मजबूर फिल्म मे पार्श्व गायन का कार्य मिला। लता जी को प्रसिद्धि मिली 1949 में बनी फिल्म महल में गाये गाने “आएगा आने वाला।” यह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ और जन-जन की जीभ पर चढ गया तत्कालीन समय में सुपर डुपर हिट। इस गाने ने उन्हें पार्श्वगायिका के रूप में भारतीय फिल्मी जगत में स्थापित कर दिया।और वे पार्श्व गायन के क्षेत्र में दशकों तक एक छत्र साम्राज्ञीं रहीं।
स्वर साम्राज्ञी लता जी ने आनन्दघन बैनर से कई फिल्मों का निर्माण भी किया।पर इस क्षेत्र में उन्हें अधिक सफलता नहीं मिली।उनकी छोटी बहन आशा भोंसले भी पार्श्वगायन की सफल गायिका रही हैं।लता जी ने अपनी बढती आयु के कारण सन्1980 से पार्श्वगायन कम कर दिया था। वे हमेशा गाना गाने को पूजा की तरह समझती थीं इससे वे गाना गाते समय नंगे पांव रहती थीं।
समय समय पर लता जी को अनेक पुरस्कार मिले सन् 1958,1962,1965,1969,में फिल्म फेयर पुरस्कार।, 1966-67 में महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार।1969 में पद्म भूषण पुरस्कार,सन्1972,1975,1990 में राष्ट्रीय पुरस्कार,1974 में सबसे अधिक गीत गाने पर गिनीज बुक में नाम,1989 में दादा साहब फॉल्के पुरस्कार,1993 में फिल्मफेयर का लाईफ टाईम एचीवमेंट पुरस्कार।1996 स्क्रीन का लाईफटाईम एचीवमेंट पुरस्कार,1997 में राजीवगांधी पुरस्कार,1999 में एनटीआर पुरस्कार,1999 में पद्म विभूषण,2001 में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न मिला।इसके बाद भी उन्हे बहुत से पुरस्कार मिले।
अपनी मधुर आवाज से गाये गानों से भारतीय समाज में ही नहीं दुनिया भर के सभी हिन्दी भाषियों कानों में अमृत घोलने वाली लता जी आज हमारे बीच नहीं हैं ईश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे।हम भारत के नागरिकों की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजिली।