-अरुणाभ रतूड़ी
प्रधानमंत्री 22 जनवरी को विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों से बातचीत करेंगे
यह प्रयास प्रधानमंत्री के उस विजन से प्रेरित है जिसके अनुसार यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि देश का कोई भी हिस्सा विकास मार्ग पर पीछे न रह जाए
मिशन मोड में जिला स्तर पर विभिन्न योजनाओं की पूर्णता के लक्ष्य को प्राप्त करना इस बातचीत का उद्देश्य है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी, 2022 को सुबह करीब 11 बजे विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत करेंगे।
प्रधानमंत्री जिलों में सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की प्रगति और वर्तमान स्थिति के बारे में सीधा फीडबैक लेंगे। इस बातचीत से कार्य निष्पादन की समीक्षा करने और चुनौतियों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
इसका उद्देश्य सभी हितधारकों के साथ मिलकर जिलों में विभिन्न विभागों द्वारा मिशन मोड में विभिन्न योजनाओं की पूर्णता के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में, सरकार ने देश भर में प्रगति तथा विकास में विषमता को दूर करने के लिए लगातार कई कदम उठाए हैं। यह सभी नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
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नेताजी भारतीय लोगों के दिलों में थे, हैं और आगे भी रहेंगे: डॉ. अनीता बोस फाफ
नेताजी चाहते थे कि युवा अपने जेहन में देश को सर्वोपरि रखें: सुश्री रेणुका मलाकर
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती समारोह के हिस्से के अवसर पर भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय और प्रादेशिक लोकसमपर्क ब्यूरो ने “पराक्रम दिवस” के संबंध में एक वेबिनार का आयोजन किया। भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती दिवस 23 जनवरी को हर साल ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। डॉ. अनीता बी. फाफ (नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी) और सुश्री रेणुका मलाकर (नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपोत्री) ने आज के वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। श्री महेश चंद्र शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) ने भी अतिथि वक्ता के रूप में वेबिनार को संबोधित किया।

(डॉ. अनीता बोस फाफ वेबिनार को संबोधित करते हुए)
इस वेबिनार में जर्मनी से शामिल हुईं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी डॉ. अनीता बोस फाफ ने कहा कि नेताजी भारतीय लोगों के दिलों में थे, हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि उनके पिता एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे लेकिन उनके मन में सभी धर्मों के लिए सम्मान था। डॉ. अनीता ने कहा कि उनके पिता ने एक ऐसे भारत की कल्पना की थी जहां सभी धर्म के लोग शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहते हों। उन्होंने कहा कि नेताजी लैंगिक समानता के हिमायती थे। उनका दृष्टिकोण एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना था जहां पुरुषों और महिलाओं को न केवल समान अधिकार हों, बल्कि वे समान कर्तव्यों का पालन भी कर सकें। यह महिलाओं पर है कि वे स्वयं दासत्व से मुक्ति पाएं, महिलाओं को जीतना चाहिए और वे जीत सकती हैं। डॉ. अनीता बोस ने स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन और योगदान पर भी विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने कहा कि नेताजी के पास भारत की वित्तीय और आर्थिक मजबूती के लिए एक विजन था और भारत को आजादी मिलने से पहले ही उन्होंने एक योजना आयोग का गठन कर लिया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपोत्री और नेताजी सुभाष बोस आईएनए ट्रस्ट दिल्ली-इंडिया की पूर्व महासचिव व वर्तमान ट्रस्टी सुश्री रेणुका मलाकर ने अपने संबोधन में कहा कि नेताजी को अपने देशवासियों से अत्यधिक प्रेम था। भारत के युवा देश का भविष्य है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि उन्हें देश को सर्वोपरि रखना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

(सुश्री रेणुका मलाकर वेबिनार को संबोधित करते हुए)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर विस्तार से जानकारी देते हुए वरिष्ठ पत्रकार और लेखक श्री महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि जिस तरह नेताजी ने देश को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, उसी तरह युवाओं को भी राष्ट्र के लिए प्रयासरत रहना चाहिए, ताकि देश एकजुट, शक्तिशाली तथा धार्मिक और जाति आधारित भेदभाव से मुक्त हो सके। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का राष्ट्र के प्रति समर्पण, भारत में युवाओं के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है।
वेबिनार में इससे पहले पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की अपर महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने उद्घाटन और स्वागत भाषण दिया। डॉ. पालीवाल ने सबसे पहले नेताजी की बेटी डॉ. अनीता बोस फाफ का स्वागत किया और अपना कीमती समय देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पत्र सूचना कार्यालय के इस वेबिनार में उनकी और सुश्री रेणुका मलाकर की उपस्थिति सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि नेताजी की अदम्य साहस व राष्ट्र के लिए नि:स्वार्थ सेवा का सम्मान करने और उन्हें स्मरण रखने को लेकर भारत सरकार ने देश के लोगों विशेषकर युवाओं, को प्रेरित करने के लिए हर साल 23 जनवरी यानी उनके जन्मदिन को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
इस वेबिनार में देश के विभिन्न हिस्सों से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें बीएसएफ के जवान, एनसीसी के कैडेट, नेहरू युवा केंद्र संगठन के युवा स्वयंसेवक और अन्य अधिकारी शामिल थे। अंत में, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमिका पर बनाये गए एक वीडियो को वेबिनार के दौरान दिखाया गया। इस वीडियो का निर्माण सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने किया है। इस वेबिनार का संचालन पीआईबी जयपुर के उप निदेशक श्री पवन सिंह फौजदार ने किया।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का साल भर चलने वाला उत्सव मनाने के लिए इंडिया गेट पर नेताजी की एक भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी
प्रतिमा का काम पूरा होने तक नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा ठीक उसी स्थान पर लगाई जाएगी
‘पराक्रम दिवस’ पर प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करेंगे
प्रधानमंत्री वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक के लिए ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ भी प्रदान करेंगे
महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए और साल भर चलने वाले समारोह के हिस्से के रूप में सरकार ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक भव्य प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया है। ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान को ध्यान में रखते हुए सही मायनों में एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी, और इसके साथ ही यह प्रतिमा नेताजी के प्रति देश के ऋणी होने का प्रतीक भी होगी। प्रतिमा का काम पूरा होने तक नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा ठीक उसी स्थान पर लगाई जाएगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 जनवरी, 2022 को सायं लगभग 6 बजे इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
इस होलोग्राम प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य, हाई गेन, 90% पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह आगंतुकों को नजर नहीं आ रही है। होलोग्राम का सटीक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उस पर नेताजी की थ्रीडी तस्वीर लगाई जाएगी। होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है।
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ भी अलंकरण समारोह में प्रदान करेंगे। समारोह के दौरान कुल मिलाकर सात पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में विभिन्न लोगों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य योगदान एवं नि:स्वार्थ सेवा की सराहना और सम्मानित करने के लिए वार्षिक सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की शुरुआत की है। हर साल 23 जनवरी को इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है। इस पुरस्कार के तहत किसी संस्था के मामले में उसे 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार एवं एक प्रमाण पत्र और किसी व्यक्ति के मामले में उसे 5 लाख रुपये एवं एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। .
प्रधानमंत्री स्वतंत्रता सेनानियों को उचित तरीके से सम्मानित करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे हैं। इन प्रयासों के तहत विशेष रूप से ध्यान महान स्वतंत्रता सेनानी और दूरदर्शी नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर रहा है। इस संबंध में कई कदम उठाए गए हैं जिनमें यह घोषणा भी शामिल है कि हर साल उनकी जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई जाएगी। इसी उत्कृष्ट भावना को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत एक दिन पहले यानी 23 जनवरी से की जाएगी।