-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
पौड़ी गढवाल के डीएम व एसएसपी हटाए गये।आशीष चौहान नये डीएम व श्वेता चौबे नयी एसएसपी होंगी।
फोटो-अन्तर्जाल से साभार
उत्तराखण्ड शासन के कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-1 के दिनाँक-28 अक्टूबर 2022 के आदेश के अनुसार निम्न प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानान्तरण तत्काल प्रभाव से किये गये हैं।
1-आईएएस आशीष कुमार चौहान को जिलाधिकारी पिथौरागढ के पदभार से मुक्त कर उन्हें जनपद पौड़ीगढवाल का पदभार दिया गया है।
2-आईएएस विजयकुमार जोगदंडे को जिलाधिकारी पौड़ी गढवाल केपद से मुक्त कर उन्हें बाध्य प्रतीक्षा में रखा गया है।
3- आईएएस श्रीमती रीना जोशी को जिलाधिकारी बागेश्वर के पदभार से मुक्त कर जिलाधिकारी बागेश्वर का पदभार दिया गया है
4- आईएएस सुश्री अनुराधा पाल को मुख्य विकास अधिकारी पिथौरागढ के पद भार से मुक्त कर उन्हें जिलाधिकारी बागेश्वर का पदभार दिया गया है।
5-आईपीएस श्रीमती श्वेता चौबे को एसएसपी पौड़ी गढवाल बनाया गया है।
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महिला आरक्षण पर अध्यादेश आने तक भर्तियां स्थगित करने की मांग। आंदोलन की चेतावनी
उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकारी नौकरियों में उत्तराखंड की महिलाओं को 30% क्षैतिज आरक्षण का अध्यादेश लागू न होने तक पीसीएस तथा समूह ग की भर्तियां स्थगित करने की मांग की है।
यूकेडी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि सरकार अध्यादेश को अभी तक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भी नहीं भेज पाई है जबकि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस और समूह ग की भर्ती भी शुरू कर दी है। इससे उत्तराखंड की हजारों महिलाएं सरकारी नौकरी से वंचित हो जाएंगी। यूकेडी नेता सेमवाल ने अध्यादेश आने तक भर्तियां स्थगित करने की मांग की है।
यूकेडी नेता ने सवाल उठाया कि वकीलों की लंबी चौड़ी होने के बावजूद सरकार हाईकोर्ट में ढंग से पैरवी नहीं कर पाई और उत्तराखंड की महिलाओं को मिलने वाला 30% क्षैतिज आरक्षण खत्म हो गया। अब सरकार अध्यादेश का ड्राफ्ट बनाने से लेकर उसे विधायी और राजभवन भेजने में भी अनावश्यक देरी कर रही है।
यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि यदि अध्यादेश का ड्राफ्ट राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजने में सरकार ने अपने स्तर से किसी भी तरह की लापरवाही की तो यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की कार्यकर्ता सोमवार को विधानसभा के सामने व्यापक प्रदर्शन करेंगे।
यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष उत्तरा पंत बहुगुणा ने आक्रोश जताते हुए कहा कि जिस मातृशक्ति के संघर्ष की बदौलत यह राज्य बना था आज उन्हीं महिलाओं के हाथों से कहीं घास छीनी जा रही है तो कहीं सरकारी नौकरियां।
यूकेडी ने सवाल उठाया कि नदी किनारे अवैध अतिक्रमण करने वालों के लिए सरकार रातों रात अध्यादेश बना सकती है तो फिर महिलाओं को 30% क्षैतिज आरक्षण के लिए अध्यादेश बनाने में देरी क्यों हो रही है!
यूकेडी में महिलाओं को सरकारी नौकरी में 33% से अधिक आरक्षण संबंधी अध्यादेश को तत्काल लाने की मांग को लेकर सोमवार को विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।