पहाड़ के ग्रामीण क्षेत्र में आशाओं /आंगनबाड़ी के माध्यम से बांटे जाने चाहिए सेनिटाइजर व मास्क।
लेख – नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
देश में करोना का तीसरा चरण प्रारम्भ हो गया है ।सरकार जनता से अपेक्षा कर रही है कि वह कोरोना के खिलाफ लड़े। जानता भी इस लड़ाई में सरकार के साथ है। उत्तराखंड में जहां शहरों में सेनेटाइजर व मास्क मेडिकल स्टोरों पर मिल रहे हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्र की जनता सेनेटाइजर व मास्क कहां से खरीदेगी ? क्योंकि यहां न तो मेडिकल स्टोर हैं न बहुत अच्छी स्थिति के अस्पताल।ऐसी स्थिति में अगर पहाड़ी बस्तियों में यह रोग फैल गया तो सरकार इसे काबू कैसे कर पाएगी।सरकार जनता से तो सहयोग मांग रही है कि घर में रहो पर पहाड़ी लोगों के खेत और जानवरों के चारे का क्या होगा?उन्हें तो घास काटने भी जाना होगा और अपने खेत देखने भी। राशन लेने दूसरे गांव भी जाना होगा। ऐसे में कैसे रोक थाम हो सकेगी समझ नहीं आ रहा है।
हो सकता है कि शहरों में छिड़काव हो रहा होगा गावों में तो कोई तैयारी नहीं दिख रही है।केवल जनता के सहयोग से कॉरॉना पर काबू पाया जा सकता तो चीन और इटली में यह दशा न होती। शायद सरकार व शासन के दिमाग में पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों की तस्वीर नहीं है। होती तो ग्राम स्तर पर आइसोलेशन वार्ड बन गए होते। जनता को दो माह का राशन अग्रिम दिया गया होता । आशाओं /आंगनबाडियों के माध्यम से जनता को सेनिटाइजर व मास्क दिए जाने चाहिए थे। पर ऐसा हो नहीं रहा है।
प्रशासन की ग्रामीण क्षेत्र में क्या तैयारियां हैं इसकी जानकारी आम जानता को नहीं है। जबकि करोना को हराने के लिए यह बहुत जरूरी है। इस संबंध में स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित रूप में जानकारी दी जानी चाहिए। पर मैं जिस ग्रामीण क्षेत्र में रह रहा हूं वहां किसी को इसकी जानकारी नहीं है। प्रशासन को प्रत्येक नागरिक को यह जानकारी देनी चाहिए।
कोरोना वायरस को हराने के लिए हमें हर स्तर पर तैयार रहना होगा। हो सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र के अंदरूनी भाग में कुछ बाहरी पर्यटक या विदेशी व्यक्ति भी हो सकते है।ऐसे लोगों की जानकारी भी प्रशासन को होनी चाहिए। क्योंकि इस क्षेत्र का अधिकांश भाग राजस्व पुलिस के पास है। जिनके पास सूचना एकत्र करनी का साधन नहीं होता।ऐसे में प्रशासन को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जो विदेशी गावों में प्रवास करते हैं क्या उनके पास वीजा/अनुमति होती है या वे वैसे ही बिना अनुमति के आ जाते हैं।
यमकेश्वर ब्लॉक के गुरुकुल पब्लिक स्कूल भृगुखाल के प्रबन्धक कपिल रतूड़ी से इस पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन चाहे तो उनके विद्यालय मेंआईसोलेशन वार्ड के रूप में ग्रहण कर सकती है।आज ऐसे लोगों के आगे आने की आवश्यकता है।इसी प्रकार सरकार को यहां के सरकारी अस्पतालों में समय रहते सभी सामग्री उपलब्ध करवानी चाहिए। स्वास्थ्यकर्मियों को उचित पोशाक व पर्याप्त बचाव संसाधन देने के साथ-साथ पर्याप्त एंबुलेंस सुविधा होनी चाहिए जिसकी जानकारी आम नागरिक को भी हो। करोना वायरस से लडने की इस मुहीम को सफल बनाने के लिए प्रशासन को विशेष प्रयास करने होंगे और हर सूचना आम आदमी तक पहुंचने की प्रणाली बनानी चाहिए।तभी हम इसको हरा पाएंगे।