पत्रकार विमल ध्यानी को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार।
(कपिल रतूड़ी)
कोटद्वार ।प्रसार भारती दूरदर्शन देहरादून के संवाददाता विमल ध्यानी को पत्रकारिता के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जाएगा। यह पुरुस्कार उन्हें पर्यावरण के हितेषी हिमालयन गिद्दों की सफल स्टोरी के लिये प्रदान किया जाएगा। एक ओर दुनिया जँहा कोरोना की विश्वव्यापी बीमारी के भय से सहमी हुई थी तो दूसरी ओर विमल ध्यानी पर्यावरण के मित्र व धरती के अपमार्जक गिद्दों पर स्टोरी बना रहे थे।
हिमालयन क्षेत्र सहित देश में गिद्दों की वर्तमान स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जिससे देश ही नहीं दुनिया का पारिस्थितिकी सन्तुलन भी बिगड़ता जा रहा है। विमल ध्यानी द्वारा बनाई गई स्टोरी में गिद्दों के पर्यावरणीय महत्व को बताया गया है जिसे प्रसार भारती के देहरादून स्थित दूरदर्शन केंद्र ने 3 मई को अपने केंद्र से प्रसारित किया था। स्टोरी के महत्व को देखते हुए प्रसार भारती ने अपने राष्ट्रीय प्रसारण में पुनः 4 मई को इस स्टोरी को स्थान दिया था।
दूरदर्शन समाचार के महानिदेशक द्वारा प्रेषित पत्र के अनुसार विमल ध्यानी को उनकी स्टोरी के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है जिसमे प्रशस्ति पत्र के साथ साथ नगद धनराशि से भी पुरुस्कृत किया जाएगा। देश के विभिन्न क्षेत्रो से आई कई स्टोरियो में से विमल ध्यानी की स्टोरी कई मायनों में अव्वल थी।उत्तराखंड के पत्रकारिता जगत में विमल ध्यानी को मिले इस पुरस्कार से खुशी व्याप्त है। उत्तराखंड स्टेट प्रेस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष विश्वजीत सिंह नेगी ने विमल ध्यानी की इस उपलब्धि पर उन्हें सन्देश प्रेषित करते हुए कहा कि यह उपलब्धि उत्तराखंड की पत्रकारिता में अनुकरणीय है। प्रेस क्लब मुनि की रेती के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद रतूडी ने कहा कि पत्रकार ध्यानी की इस स्टोरी व उपलब्धि ने देश और दुनिया को पर्यावरण के प्रति सतर्क किया है।
मूल रूप से पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक (चाँदकोट) के बोरगांव निवासी विलम ध्यानी आकाशवाणी के उददघोषक भी रहे है। आकाशवाणी के नजीबाबाद द्वारा प्रसारित ‘ग्राम जगत’ कार्यक्रम में अपनी मधुर व कर्णप्रिय आवाज से हजारों श्रोताओं के मन मस्तिष्क में अमिट छाप छोड़ने वाले विमल ध्यानी ने लोकडौन कि स्थिति में व अपने पैर के ऐड़ी के ऑपरेशन के बावजूद इस सफल स्टोरी को जनमानस तक पहुंचाया है। विमल ध्यानी जनवरी माह में यमकेश्वर क्षेत्र में दूरदर्शन के एक कार्यक्रम को शूट करने के दौरान गिरकर बुरी तरह चोटिल हो गए थे और उनके बाये पैर की ऐड़ी टूट गई थी। डॉक्टर के अनुसार उन्हें तीन माह का बेड रेस्ट को कहा गया था परन्तु विमल ध्यानी का ही जुनून था जो एक राष्ट्रीय पुरस्कार का हकदार बना।
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जनस्वर डॉट कॉम परिवार की ओर से श्री ध्यानी जी को बधाई।