-एन.पी.रतूड़ी
कैबिनेट मंत्री डा.हरकसिंह रावत ने कैबिनेट से व विधायक उमेश शर्मा काऊ ने विधायकी से दिया त्यागपत्र ।
जानकारी के अनुसार वनमंत्री हरकसिंह रावत कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए।बैठक में उन्होंने आम आदमी पार्टी के मुफ्त बिजली देने के लोक लुभावनी घोषणा के प्रत्युत्तर में उन्होंने जनता को फ्री बिजली देने की अपनी घोषणा को कैबिनेट में रखा। जिसपर तीखी बहस हुई।डा.रावत ने इससे व्यथित होकर कैबिनेट से यह कह कर उठ गये कि वे कैबिनेट से त्यागपत्र देते हैं और बैठक छोड़कर बाहर निकल गये।डा रावत इस बात से भी व्यथित थे कि उनके चुनाव क्षेत्र में पिछले पांच सालों से मेडिकल कॉलेज खोलने की उनकी मांग को भी अनसुना कर दिया गया है।
डा.रावत भाजपा से उत्तरप्रदेश में विधायक बने वे उपमंत्री भी रहे।बाद में उन्होंने भाजपा छोड़ दी और बसपा की सदस्यता ले ली।बसपा में रह कर उन्होंने मुख्यमंत्री मायावती से रुद्रप्रयाग जिले की घोषणा करवायी। कुछ समय बाद बसपा छोड़कर वे कांग्रेस में आ गये।राज्य बनने के बाद वे पं.नारायणदत्त तिवारी की कैबिनेट में खाद्यमंत्री बने।पर जेनी कांड में नाम आने से उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। बाद में वे न्यायालय से निर्दोष साबित हुए।सन् 2012 में कांग्रेस के विजय बहुगुणा की सरकार बनने पर वे कैबिनेट मंत्री बनाये गये।विजयबहुगुणा के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद वे हरीश रावत सरकार में भी यथावत कैबिनेट मंत्री रहे परन्तु कुछ समय बाद विजय बहुगुणा सहित नौ विधायकों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली, जिनमें डा हरकसिंह रावत भी थे।
सन् 1917 में भाजपा के त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार में उनके बाद 2021 इसी पार्टी के तीरथसिंह रावत सरकार व उनके बाद 2021में ही पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट में डा.रावत वनमंत्री व विद्युतमंत्री बने।
पार्टी में अपनी निरंतर उपेक्षा से आहत होकर अन्तत: उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। आज ही रायपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी विधायक पद से त्यागपत्र दिया।
डा.रावत के त्यागपत्र देने के बाद अटकल लगाई जा रही है कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।उत्तराखण्ड के अब तक के चुनाव परिणामों के अनुसार यहां की जनता एक बार बीजेपी व एक बार कांग्रेस को सत्ता सौंपती है के अनुसार अगर इस बार भी जनता ने यही दोहराया तो आगामी चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने की संभावना देखते हुए और प्रदेश के मुखिया बनाये जाने के के आश्वासन पर ही वे कांग्रेस मे शामिल हो सकते हैं। यह भी संभव है कि वे अपनी पार्टी बना लें या किसी क्षेत्रीय पार्टी को अपना लें।राजनाति में कुछ भी असंभव नहीं।
(फोटो-अन्तर्जाल से साभार।)