गढवाल सांसद तीरथसिंह रावत बने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री।
-नागेंद्र प्रसाद रतूड़ी
( राज्य मान्यताप्राप्त स्वतंत्र पत्रकार)
निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्रसिंह रावत के त्यागपत्र देने के बाद जिन लोगों के नाम अगले मुख्यमंत्री के लिए उपनैला जा रहे थे, उन सबको दरकिनार कर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने चर्चाओं से अलग थलग रहे गढवाल सांसद मोतीसिंह रावत को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी, उन्होंने आज की चार शाम शपथ ग्रहण की।
मधुरभाषी श्री रावत राज्य बनने के पूर्व सन् 2097-2000 तक उ.प्र। में विधान परिषद के सदस्य थे। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद वे उत्तराखण्ड के शिक्षा राज्य मंत्री बने।सन् 2012-17 में चौबटाखाल के विधायक। सन् 2013-15 तक वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे सन् 2019 में वे गढवाल संसदीय सीट से सांसद चुने गए। उनकी पत्नी डा.रश्मि त्यागी रावत मनोविज्ञान की प्रोफेसर हैं और इनकी एक बेटी लोकांक्षा पढाई कर रही हैं।
पौड़ी के सीर्स गांव में जन्मे 56 वर्षीय मुख्यमंत्री रावत को राजनीति, मंत्री और संगठन का पूरा अनुभव। उनके पास केवल एक साल का है।अगर उन्होंने इस एक साल में पिछले नुकसान की भरपयी कर दी तो शायद वे एक बार भाजपा से अगली बार कांग्रेस के मिथक को तोड़ सकते हैं और भाजपा को बहुमत दिला कर कर रहे हैं: पार्टी को सत्तारूढ कर दोबारा जीत लेंगे। : मुख्यमंत्री बन सकते हैं और अगर वे अपने पूर्ववर्ती की तरह नौकरशाहों और सलाहकारों पर शासन की जिम्मेदारी छोड़ देंगे तो सबसे अधिक नुकसान ही उठानी पड़ेगी। वे केन्द्रीय नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरे नहीं छोड़ेंगे। पर्ती की हानि तो होगी ही।आशा करते हैं कि युवा मुख्यमंत्री सुशासन देने में सफल रहेंगे।
जनस्वर डॉट कॉम परिवार उन्हें हार्दिक बधाई देता है।