खस्ता हालत में है डांडामंडल क्षेत्र को यमकेश्वर ब्लॉक व तहसील मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क।पढिएJANSWAR.COMमें।

लेख-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी

किमसार क्षेत्र को ब्लॉक व तहसील मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क तिमल्याणी बैण्ड से सीला तक खस्ता हालत में।

सन् 2014 ई.में सीला के पास रवासण नदी का बहा मोटर पुल का निर्माण अभी तक नहीं हुआ।

सन् 2013 मे केदारनाथ आपदा में पौड़ी गढवाल का पश्चिमी भाग लगभग अछूता रहा परन्तु सन् 2014 में पौड़ी गढवाल के इस भाग में अतिवृष्टि से कहीं भूस्खलन आया तो कहीं नदी की बाढ ने मोटरपुल को ही बहा दिया। इस आपदा ने तहसील यमकेश्वर के ग्राम सभा सीला के पुल को जड़ से बहा दिया था।
रवासण नदी पर यह पुल लगभग 62 वर्ष पूर्व वन विभाग द्वारा बनाया था जो कोटद्वार-लालढांग-धारकोट सीला फेडुवा मोटर मार्ग पर बना था।पुल की मुंडेर पर अंकित था निर्माण वर्ष सन् 1958 ई।इस मार्ग पर कोटद्वार से सीला तक बरसात को छोड़कर जी.एम.ओ.यू. की बसें चलती थीं जो सन् 1959 से 1964 तक चली पर लालढांग व धारकोट के बीच बखमलगढ व तिमल्याणी – दयाकाटल के बीच द्विजाला के पास व्यापक भूस्खलन होने से सड़क ऐसी टूटी कि उसका दुबारा बनना ही मुश्किल हो गया था फलत:यह सड़क फिर नहीं बन पायी है। बाद में कौड़िया किमसार-धारकोट रोड़ के बनने से इसके पुनर्निर्माण की संभावना बन गयी पर लम्बी प्रतीक्षा के बाद इसकी सफाई हुई और दुज्याला के पास जहां सडक टूटी थी वहां पर बदलाव कर लोक निर्माण विभाग ने दो मोड़ बना कर इसे पुरानी सड़क में मिला दिया गया।जिससे इस पर टैक्सी जीपों/ कमांडरों का परिचालन प्रारम्भ हुआ।
कुछ समय बाद एक लिंक रोड़ हरसोली से माला तक बनाई गयी। तीन वर्ष पूर्व धारकोट से तिमल्याणी गांव तक प्रधान मंत्री सड़क योजना में पक्की सड़क बन रही है पर तिमल्याणी मोड़ से सीला तक सड़क की हालत इतनी खराब है कि लगता है अब गये तब गये पर दाद देनी पड़ेगी इन जीप/कमांडरों के चालकों को जो कभी बीस तो कभी कभी तीस-तीस लोगों को ढोकर ले चलते हैं । क्यों कि पल्ला उदयपुर के तल्लाबनास, मल्लाबनास, कसाण,किमसार,धारकोट,मरोड़ा,

जोग्याणा,रामजीवाला,कंडराह,धारकोट अमोला,ताछला,कचुंडा,डेवराना व वल्ला उदयपुर के कांडई,तिमल्याणी,दयाकाटल,हरसोली के लोगों को ब्लाक मुख्यालय यमकेश्वर व तहसील मुख्यालय बिथ्याणी पहुंचने का एकमात्र सम्पर्क मार्ग है।अब यह महत्व पूर्ण सड़क पक्की व चौड़ी न बन पायी तो इसके लिए हमारे पूर्व विधायक से वर्तमान विधायक तक व आज तक के सभी जिपंस ,बीडीसी व प्रधान जिम्मेदार है।
यह सड़क सीला से फेडुवा तक बनी हुई हैं। वहां से पांच किमी.बना कर इसे कांडी मिलाने के लिए 2008 से प्रयास हो रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत की काँडी घोषणा व वर्तमान मुख्यमंत्री की थलनदी घोषणा के बाद भी यह संपर्क मार्ग अभी तक अधर में लटका है। जबकि इसके निर्माण के लिए प्रथम किश्त जारी हो कर उसका उपयोग हो चुका है। दूसरी किश्त क्यों जारी नही हुई इसका उत्तर किसी के पास नहीं है। कई वर्ष से लो.नि.वि.का उपखण्ड लक्ष्मणझूला इस मार्ग का आगणन बना कर खण्ड कार्यालय दुगड्डा भेजता है पर लगभग आठ साल से यह आगणन स्वीकृत नहीं हुआ है।
सीला के पास रवासण नदी पर बने पुल बह जाने के चार वर्ष के बाद सन् 2018 में 24 मीटर लम्बे इस पुल के पुनर्निर्माण के लिए शासनादेश संख्या-5618/111(2)/18-30 (एम.एल.ए.)2017 दि.20नवम्बर 2018 के अनुसार मुख्यमंत्री की घोषणा के लिए 57लाख रुपये
की प्रथम किश्त जारी हुई। शायद वह कागजों में व्यय हो गयी होगी,या लैप्स हो गयी होगी। डेढ साल बाद भी उसके निर्माण के लिए धनराशि की दूसरी किश्त जारी नहीं हुई है और न पुल का स्थलीय सर्वे ही हुआ है। जब तक यह धनराशि स्वीकृत होगी तब तक इसकी लागत और अधिक हो जाएगी।
बरसात में नदी के पूर्वी छोर पर सीला, फेडुवा, ठींगाबांज,पंचूर (मुख्यमंत्री उ.प्र.योगी आदित्य नाथ की जन्मभूमि)ठाँगर,बिथ्याणी मुंजरा, मलेथा, राजसेरा आदि गाँवों के बच्चों के उफनती नदी पार कर पश्चिमी छोर पर बने राजकीय हाई स्कूल सीला में अध्ययन करने जाना पड़ता है।अब टीचर बहें या बच्चे इसका किसी जनप्रतिनिधि,किसी अधिकारी पर क्या असर पड़ता है।
इसके साथ ही बरसात में पुल के पूर्वी छोर के लोगों को यातायात से वंचित होना पड़ता है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जिस प्रकार भागीरथी की टिहरी झील के डोबरा-चाँठी
पुल का निर्माण कर जनता की बहुप्रतीक्षित आकाँक्षा पूरी कर उसे सुविधा दी है वे इस पुल के निर्माण के लिए वैसी ही भूमिका का निर्वहन करेंगे।

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