द्वारा- अरुणाभ रतूड़ी
मुख्यमंत्री ने गांधी शताब्दि चिकित्सालय में 132 नई एम्बुलेंस का फ्लैग ऑफ किया
गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सा विज्ञान केन्द्र के आईसीयू का लोकार्पण
कोविड-19 में तैनात डॉक्टरों एवं कोविड वार्ड में तैनात कार्मिकों को 11-11 हजार रूपये की सम्मान राशि दी जायेगी- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में आपातकालीन चिकित्सा सेवा 108 के बेड़े में 132 नई एम्बुलेंस का फ्लैग ऑफ किया । इन आपातकालीन एम्बुलेंसस का क्रय विश्व बैंक सहायतित उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी परियोजना के माध्यम से किया गया है। उन्होंने गांधी शताब्दी अस्पताल में 10 बेड की आईसीयू यूनिट का भी लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी कोरोना वॉरियर्स को प्रमाणपत्र और कोविड वार्ड में मरीजों की सेवा करने वाले सभी डॉक्टरों एवं अन्य कार्मिकों को 11-11 हजार रूपए की धनराशि सम्मान स्वरूप देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में रहा है। आपातकालीन सेवा में 132 नई एम्बुलेंस के सम्मिलित होने से मरीजों को स्वास्थ्य सेवा का त्वरित लाभ मिल सकेगा। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में यह सेवा मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित होंगी। ये एम्बुलेंस एडवांस व बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त हैं। पिछले चार साल में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कुल 271 एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना से अभी तक लगभग 02 लाख 32 हजार लोग लाभान्वित हो चुके हैं। इस योजना से 4200 से अधिक नेत्र रोगी अपना ईलाज करा चुके हैं। राज्य में चिकित्सा सेवाओं को बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास किये गये हैं। 10 माह पूर्व जहां राज्य में कुल 216 आईसीयू बेड व 116 वेन्टीलेटर्स थे, अब बढ़कर 863 आईसीयू बेड व 695 वेन्टीलेटर्स हो गए हैं। जल्द ही तीन मेडिकल कॉलेज रूद्रपुर, हरिद्वार एवं पिथौरागढ़ तैयार हो जायेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अनेक प्रयास किये गये हैं।
इस अवसर पर मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, सचिव स्वास्थ्य श्री अमित नेगी, सचिव आपदा प्रबंधन श्री एस. ए. मुरूगेशन, प्रभारी सचिव डॉ. पंकज पाण्डेय, अपर सचिव श्री युगल किशोर पंत, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. अमिता उप्रेती, सीएमओ देहरादून डॉ. अनूप डिमरी आदि उपस्थित थे।
एम्स ऋषिकेश में 8 दिवसीय इंटर्नशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम 2021 विधिवत शुभारंभ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में इंटर्नशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम 2021 विधिवत शुरू हो गया। इस आठ दिवसीय वृहद प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षु चिकित्सकों को इंटर्नशिप अवधि के दौरान रोगी की देखभाल संबंधी विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी जाएगी, साथ ही इससे जुड़ी सभी प्रक्रियाओं के बाबत संक्षिप्त व्याख्यानमाला का आयोजन भी किया जाएगा। संस्थान के मेडिकल एजुकेशन विभाग में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने 8 दिवसीय इंटर्नशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम 2021 का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर इंटर्न के नए बैच को संबोधित करते हुए उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में अपने व्यक्तिगत व्यवहारिक अनुभव इंटर्न चिकित्सकों से साझा किए। साथ ही उन्होंंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से इंटर्न को रोगी की देखभाल के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। संकायाध्यक्ष शैक्षणिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने कहा कि लोगों व खासकर मरीजों के प्रति सद्व्यवहार से एक अच्छा इंसान बनने पर वह एक दिन अपने आप अच्छे चिकित्सक बन जाएंगे।
इस अवसर पर बताया गया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सॉफ्टस्किल्स और पेशेंट इंटरेक्शन पर भी विशेषरूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही विभिन्न प्रकार के अनुकरण के द्वारा इन कार्यों को पूर्ण किया जाएगा। मेडिकल एजुकेशन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शालिनी राव जी की देखरेख में आयोजित इंटर्नशिप ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम में कोऑर्डिनेटर व शल्य चिकित्सा विभाग के अपर आचार्य डॉ. फरहान उल हुदा, निश्चेतना विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मृदुल धर आदि मौजूद थे।
सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की जान बचाने व चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने गुड सेमेरिटन के बचाव के निर्देश
भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह‘ के तहत सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की जान बचाने वाले एवं उन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले गुड सेमेरिटन के बचाव के लिए अस्पतालों, पुलिस और अन्य सभी प्राधिकरणों को निर्देश जारी किये गये हैं। ज्ञातव्य है कि 18 जनवरी, 2021 से 17 फरवरी, 2021 तक ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह‘ मनाया जा रहा है।
सचिव जनपद स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति/सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी पौड़ी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की जान बचाने वाले एवं उन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले गुड सेमेरिटन के बचाव के लिए जारी निर्देशों के तहत किसी सड़क दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी सहित कोई भी गुड सेमेरिटन किसी घायल व्यक्ति को अस्पताल लेकर जा सकता है तथा उसे तुरन्त जाने की अनुमति दे दी जायेगी और उससे कोई प्रश्न नहीं पूछा जायेगा। सिवाय सिर्फ प्रत्यक्षदर्शी के जिसे पता बताने के बाद जाने दिया जायेगा। सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने वाले अन्य नागरिकों को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकारों द्वारा गुड सेमेरिटन को उचित ईनाम दिया जायेगा तथा वह किसी सिविल तथा आपराधिक दायित्व के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। साथ ही गुड सेमेरिटन जो पीड़ितों की मदद के लिए पुलिस को सूचना दें अथवा आपातकालीन सेवाओं के लिए फोन काॅल करे, उसे अपना व्यक्तिगत विवरण देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा बल्कि इसे स्वैच्छिक तथा वैकल्पिक माना जाएगा।
अधिसूचना के अनुसार उन लोक अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी जो गुड सेमेरिटन को अपना नाम अथवा व्यक्तिगत विवरण के लिए बाघ्य करेंगे। गुड सेमेरिटन के दुर्घटना का प्रत्यक्षदर्शी होने पर भी पुलिस द्वारा उससे जांच पड़ताल हेतु एक ही बार पूछताछ की जायेगी। पूछताछ के दौरान वीडियो कांफ्रेंस का विस्तृत रूप से उपयोग किया जायेगा। कोई भी पंजीकृत सार्वजनिक एवं निजी अस्पताल गुड सेमेरिटन को न रोके अथवा पंजीकरण और भर्ती लागतों के लिए भुगतान की मांग न करें, जब तक कि गुड सेमेरिटन घायल व्यक्ति के परिवार का सदस्य अथवा सगा-संबंधी न हो। सड़क दुर्घटना से संबंधित किसी आपातकालीन परिस्थिति में जिस समय डाॅक्टर से चिकित्सीय देखभाल प्रदान किये जाने की आशा की जाती है, किसी डाॅक्टर द्वारा प्रतिक्रिया के अभाव में उस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। सभी अस्पताल अपने प्रवेश द्वारा पर हिन्दी, अंग्रेंजी एवं उस राज्य की देशी भाषा में एक चार्टर प्रकाशित करेंगे कि वे किसी गुड सेमेरिटन को नहीं रोकंेगे अथवा किसी पीड़ित के उपचार के लिए उसे धन जमा करने को नहीं करेंगे। साथ ही गुड सेमेरिटन के बचाव के लिए अन्य आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किये गये हैं।