समाचार प्रस्तुति-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
कोविड को हराकर अपना कामकाज प्रारम्भ किया मुख्यमंत्री ने ।(जनस्वर डॉट कॉम की ओर से बधाई)
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज से पुनः कामकाज शुरू कर दिया है। ज्ञातव्य हो कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र कोरोना पॉजीटिव होने के बाद आगे की जांच हेतु एम्स दिल्ली में भर्ती हुये थे। उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने एवं अपना आइसोलेशन पीरियड पूरा करने के बाद मंगलवार से दिल्ली स्थित आवास से उन्होंने शासकीय कार्यों का निस्तारण शुरू कर दिया है।
दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवास आबंटन में तीन की जगह चार प्रतिशत आरक्षण।
सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांग कार्मिकों को मिलने वाला आरक्षण तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत किया गया
राज्य के सरकारी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कार्मिकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांग कार्मिकों को मिलने वाला आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से जाहिर तौर पर दिव्यांग कार्मिकों को अब पहले से ज्यादा संख्या में सरकारी आवास मिल सकेंगे।
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार द्वारा लगातार जनहित में लोकप्रिय निर्णय लिए जा रहे हैं। इसी क्रम में अब त्रिवेंद्र सरकार ने दिव्यांग कार्मिकों की समस्या को समझते हुए उन्हें बड़ी राहत प्रदान की है। दीगर है कि पूर्व में दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवास पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। कई बार पात्र दिव्यांग कार्मिक सरकारी आवास पाने से वंचित रह जाते थे क्योंकि उस समय दिव्यांग कार्मिकों को केवल 3 प्रतिशत आरक्षण ही सरकारी आवासों के आवंटन में मिल पा रहा था लेकिन अब राज्य सरकार ने उनकी इस पीड़ा को समझते हुए इसे दूर करने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मार्ग-दर्शन में राज्य के समाज कल्याण विभाग ने सरकारी आवासों, भवनों के आवंटन में समस्त श्रेणी के दिव्यांग कार्मिकों के लिए निर्धारित तीन प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। इस संबंध में राज्य संपत्ति विभाग ने भी अपनी सहमति प्रदान कर दी है और मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद समस्त विभागों को आवास आवंटन के लिए जारी किए जाने वाले निर्देश का आलेख्य भी तैयार कर दिया गया है।
——————————————————————-बच्चों को दूध पिलाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो जाता है।-एम्स ऋषिकेश।
महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं। जनजागरुकता की कमी से इस बीमारी की ओर शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। लिहाजा इस रोग के बढ़ते ग्राफ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है। उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत का कहना है कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहतीं। लिहाजा जागरुकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं। उनका कहना है कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
एम्स निदेशक ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ की स्थापना की गई है। जिसमें महिलाओं से जुड़ी इस बीमारी से संबंधित सभी तरह के परीक्षण और उपचार अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है।
संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र ’ की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसर डाॅ. बीना रवि ने इस बाबत बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशत: 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेसिव डक्टल काॅर्सिनोमा के कारण कैंसर होता है। यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है। शुरुआत में यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है। प्रो. बीना रवि ने बताया कि संस्थान के ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसमें विस्तृत जांचों के आधार पर कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है। साथ ही केंद्र में सर्जरी के माध्यम से गांठ को निकालने और रेडिएशन देने की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि महिला का इलाज करने के दौरान ट्रिपल असिस्मेंट की विधि अपनाई जाती है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से मेमोग्राफी, बायोस्पी और महिला की काउन्सिलिंग के 3 चरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं की छाती में गांठ है अथवा उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है, उन्हें इस तरह के लक्षणों को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि समुचित उपचार के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचकर अनुभवी चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण- स्तन में या बांहों के नीचे गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना।
बचाव-
इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरुक रहकर नियमित तौर पर छाती की स्वयं जांच करना जरूरी है। महिलाओं को चाहिए कि इस प्रकार के लक्षण नजर आते ही वह समय पर अपना इलाज शुरू करें, ताकि गंभीर स्थिति आने से पहले ही इस बीमारी का निदान किया जा सके।
कारण-
खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या, धूम्रपान और शराब के सेवन। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।
दूध पिलाने से खतरा कम-
बच्चे को अपना स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। आईबीसीसी की चेयरपर्सन प्रो. बीना रवि जी के अनुसार बच्चे को मां का दूध पिलाने से स्तन में गांठें नहीं बनती। साथ ही बच्चे को मां के दूध के माध्यम से संपूर्ण पौष्टिक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं। उनका सुझाव है कि सभी महिलाएं अपने बच्चे को कम से कम 2 साल की उम्र तक स्तनपान जरूर कराएं। बच्चे को अपना दूध पिलाने से महिला में एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।